कुछ समय पहले ही किडनी में ट्यूमर की समस्या से जूझ रहे 57 वर्षीय मरीज के लिए परेशानी तब ज्यादा बढ़ गई जब उन्हें पता लगा कि उनकी किडनी में वापस ट्यूमर हो गया है। सामान्य सर्जरी से दूसरी बार उनकी किडनी को बचाना बहुत मुश्किल था। ऐसे में जब उन्होंने सी के बिरला हॉस्पिटल में संपर्क किया तो यहां सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने रोबोटिक पार्शियल नैफ्रॉक्टमी कर मरीज को समस्या से निजात दिलाई।
डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने बताया कि मरीज को दाईं किडनी में सामान्य गांठ थी जिसे उन्होंने अन्य सेंटर पर ऑपरेट करवाया था। वहां उनकी किडनी को बचाते हुए गांठ निकाल दी गई थी। 3 महीने बाद ही उनकी किडनी में दोबारा ट्यूमर हो गया। जब वे दोबारा उसी सेंटर गए तो वहां उन्हें सलाह मिली कि अगर दूसरी बार ट्यूमर हुआ है तो किडनी को निकालना पड़ेगा। ऐसे में अपनी किडनी बचाने के लिए उन्होंने सी के बिरला हॉस्पिटल में संपर्क किया।
4 घंटे चली जटिल सर्जरी – पहले सर्जरी के बाद आंतरिक संरचना में काफी बदलाव आ जाता है जिसके कारण दूसरी बार सर्जरी करना काफी मुश्किल हो जाता है। डॉ देवेंद्र ने बताया कि सामान्य सर्जरी द्वारा उनकी किडनी को बचाते हुए ट्यूमर निकलना संभव नहीं था इसीलिए हमने रोबोटिक सर्जरी करने का निर्णय लिया। 4 घंटे चली इस जटिल सर्जरी में हमने ट्यूमर निकाल कर उनकी किडनी को बचा लिया। दूसरी बार उन्हें कैंसर का ट्यूमर हुआ था। सर्जरी के बाद तीसरे दिन ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। मरीज को सर्जरी के बाद होने वाला दर्द भी बहुत कम था और रिकवरी भी तेजी से हो गई। डॉ. देवेन्द्र ने जानकारी दी कि सामान्य लैप्रोस्कोपी से री डू सर्जरी में उनकी किडनी को बचाते हुए ट्यूमर निकाल पाना संभव नहीं था लेकिन रोबोटिक सर्जरी से यह संभव है।