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साहित्य की सतत् साधना से शिक्षा के शिखर का सफ़र

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जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ गांव की पगडंडियों से निकलकर डी लिट की उपाधि तक संघर्ष की तस्वीर
साहित्य समाज का दर्पण है । साहित्य की सतत् साधना व्यक्ति के व्यक्तित्व को आकार देने में साकार भूमिका अदा करती है । राजस्थान के करौली जिले की महावीरजी तहसील के छोटे से गांव दानालपुर की सरकारी स्कूल में पढ़े प्रो. जनक सिंह मीना आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं । वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. जनक सिंह का व्यक्तित्व साहित्य, पत्रकारिता, लेखन, समाज सेवा एवं अनुंसधान समेत समाज विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंकित है । अपने सैकड़ों उद्बोधनों के माध्यम से समाज में जन-जागरण एवं नवचेतना का संचार कर उन्होंने नवज्ञान का सृजन किया है । पत्रकारिता एवं जनसंचार की स्नातक स्तर में सर्वाधिक अंक प्रदान कर उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया। स्नातकोत्तर में भी उन्होंने पत्रकारिता एवं जनसंचार, लोक प्रशासन, राजनीति विज्ञान और समाज शास्त्र में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। प्रो. मीना ने पीएचडी की उपाधि व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च फैलो के रूप में राजस्थान विश्वविद्यालय,जयपुर से शोध कार्य किया है । प्रो. मीना ने शिक्षा के क्षेत्र में उच्चतम उपाधि डी.लिट. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से प्राप्त की। उन्होंने साहित्य समेत लोक प्रशासन, राजनीति विज्ञान, समाज शास्त्र, पत्रकारिता, विधि, वाणिज्य एवं विज्ञान में अपना लेखन कार्य किया है। इनके द्वारा 36 पुस्तकों का लेखन एवं संपादन किया जा चुका है। प्रो. मीना के 170 से अधिक शोध पत्र, आलेख, पुस्तक समीक्षाएं, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं । आदिवासी-दलित साहित्य एवं स्त्री विमर्श पर भी प्रो. मीना ने लेखन कार्य किया है। प्रो. मीना वर्ष 2011 से आदिवासी साहित्य एवं संबंधित विषयों पर केन्द्रित अरावली उद्घोष पत्रिका का संपादन कर रहे है। इन्हें वर्ष 2011 में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान नई दिल्ली द्वारा ‘शिक्षा का अधिकार’ एवं वर्ष 2014 में ‘सामाजिक सामंजस्य और समावेषी विकास’ विषय पर निबंध लेखन का राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। प्रो. मीना की बहुचर्चित पुस्तकें जो काफी लोकप्रिय रही है वे हैं- आदिवासी समाज और साहित्य चिंतन, आदिवासी वंचना-उभरते प्रश्न,भारत के आदिवासी- चुनौतियां एवं संभावनाएं, भारत के स्वातंत्र्य समर के जनजातीय नायकों की वीरगाथा ।
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार
प्रो. जनक सिंह को दो बार वर्ष 2011 एवं 2014 में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान नई दिल्ली द्वारा निबंध लेखन के लिए राष्ट्रीय स्तर के प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है । राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी, जयपुर द्वारा हिंदी में लेखन के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित किया जा चुका है । वहीं राजकीय महिला महाविद्यालय, करौली द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र के लिए सम्मानित किया गया है । प्रो. मीना को नेपाल सरकार की पंजीकृत शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला शक्ति काव्य रत्न सम्मान 2024, हिन्दी भाषा के प्रति उत्कृष्ट लेखनी के लिए भारत माता अभिनन्दन सम्मान 2024, गाँधी नगर साहित्य सेवा संस्थान, गुजरात द्वारा प्रजातंत्र सेवा सम्मान 2024, शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल द्वारा मातृभाषा काव्य रत्न सम्मान 2024, स्वर्णिम श्रीराम साहित्य विभूषण सम्मान 2024, दिव्य ज्योति साहित्यिक संस्थान रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा मातृ स्नेही कलमकार सम्मान, राष्ट्रीय काव्य शिरोमणि सम्मान, अंतरराष्ट्रीय पत्रकार संघ, बीकानेर द्वारा राष्ट्रीय स्तरीय पत्रकार सम्मान, डॉ. भीमराव अम्बेडकर साहित्यश्री राष्ट्रीय शिखर सम्मान 2014, लाला लाजपतपराय राष्ट्रीय शिखर सम्मान 2015, विधिकसहायता एवं सेवा संस्थान जोधपुर द्वारा उत्थान अवार्ड 2015, पं. दीनदयाल शतवार्षिक स्मृति साहित्य राष्ट्रीय शिखर सम्मान 2016, विद्यासागर सम्मान 2016, नवभारत मेमोरियल फाउंडेशन जयपुर द्वारा रिसर्चश्री राष्ट्रीय सम्मान 2029, कोरोना योद्धा सम्मान 2020, भारतीय दलित साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय अवार्ड 2021, प्राउड इंडियन इंस्पायरिंग एकेडमिशिएन अवार्ड 2022, अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी गौरव सम्मान 2022 काठमांडू, नेपाल, इंटरनेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन, रिसर्च एंड ट्रेनिंग द्वारा इंडियन यूथ आईकॉन अवार्ड 2023, समर्पण संस्थान जयपुर द्वारा डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम गौरव राष्ट्रीय पुरस्कार 2023, कबीर कोहिनूर पुरस्कार 2024, ज्ञान विभूषण सम्मान 2024 सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं । प्रो. जनक सिंह मीना जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में अध्यापन के साथ-साथ आदिवासी अध्ययन केन्द्र के संस्थापक निदेशक के रूप में सेवाएं दी। जोधपुर के ही संघटक महाविद्यालय के एन कॉलेज में प्रोक्टर के रूप में, हिन्दुस्तान स्काउट्स एवं गाइड्स के ग्रुप लीडर तथा सांयकालीन अध्ययन संस्थान में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) के समन्वयक एवं राजनीतिक विज्ञान के प्रभारी के रूप में सेवाएं दी हैं । वे न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया में 2017 से 2022 तक महासचिव रहे हैं तथा वर्तमान में अध्यक्ष पद पर सेवारत हैं । वे भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं । वे लगभग एक दर्जन संस्थाओं के आजीवन सदस्य तथा एक दर्जन पत्र-पत्रिकाओं के संपादन मंडल के सदस्य हैं । वर्तमान में प्रो. मीना गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के गांधीवादी विचार एवं शांति अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष के रूप में सेवारत हैं ।

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