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कॉर्ड प्रेजेंटेशन और गेस्‍टेशनल डायबिटीज से जूझ रही गर्भवती महिला की हाई-रिस्क डिलीवरी को सफलतापूर्वक संभाला

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मुंबई, दिव्यराष्ट्र/ – नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल, मुंबई ने हाल ही में 32 वर्षीय पहली बार गर्भवती महिला की एक दुर्लभ और जटिल डिलीवरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस महिला को कॉर्ड प्रेजेंटेशन, ऑब्लिक लाइ और गेस्‍टेशनल डायबिटीज मेलिटस ( जीडीएम) जैसी जटिलताएं थीं।

डॉक्टरों ने बताया कि महिला ने प्राकृतिक रूप से गर्भधारण किया था और शुरुआत में उसकी गर्भावस्था सामान्य रूप से आगे बढ़ रही थी। पहले ट्राइमेस्टर में किया गया नुचल ट्रांसलुसेंसी ( एनटी) स्कैन और ड्यूल मार्कर टेस्ट सामान्य थे, और 18वें सप्ताह में हुआ एनोमली स्कैन भी ठीक आया था। हालांकि 28वें सप्ताह तक आते-आते समस्याएं सामने आने लगीं – भ्रूण अपनी आयु के हिसाब से अपेक्षाकृत बड़ा था और माँ को प्रेग्‍नेंसी से जुड़ी लिवर संबंधी हल्की समस्या (इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस) और गेस्टेशनल डायबिटीज का पता चला।

उसे दिन में दो बार मेटफॉर्मिन 500 मि.ग्रा. और रात में सेटिरिजिन 10 मि.ग्रा. दी गई ताकि ब्लड शुगर कंट्रोल में रहे और खुजली में राहत मिले। 32वें हफ्ते में कराए गए कलर डॉप्लर स्कैन की रिपोर्ट सामान्य आई, जिससे थोड़ी राहत मिली।

हालांकि, 36वें सप्ताह में भ्रूण की स्थिति तिरछी (ऑब्लिक लाइ) हो गई और अल्ट्रासाउंड में कॉर्ड प्रेजेंटेशन भी सामने आया – यानी गर्भनाल शिशु से पहले प्रसव मार्ग में प्रवेश कर गई थी। यह स्थिति फेटल हाइपॉक्सिया (बच्चे को ऑक्सीजन की कमी) का खतरा बढ़ा देती है, जिससे अगर समय रहते इलाज न हो तो गंभीर जटिलताएं या मृत्यु भी हो सकती थी। ऐसे में डॉक्टरों ने तुरंत एलएससीएस (लोअर सेगमेंट सी-सेक्शन) तय किया। भ्रूण की स्थिति को देखते हुए वैक्यूम-असिस्टेड तकनीक से डिलीवरी कराई गई ताकि बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।

शिशु को हल्के हाइपोग्लाइसीमिया की निगरानी के लिए 24 घंटे तक एनआईसीयू में रखा गया। यह उन नवजातों में एक सामान्य लेकिन नियंत्रित स्थिति मानी जाती है, जिनकी माताओं को गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज रही हो। वहीं माँ का पोस्टऑपरेटिव समय भी बिना किसी जटिलता के बीता।

हालांकि कॉर्ड प्रेजेंटेशन एक असामान्य स्थिति है, लेकिन यह प्रसव के दौरान एक स्त्री रोग संबंधी आपातकाल बन जाता है। इसमें गर्भनाल के दबने से भ्रूण को ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो सकती है, जो जानलेवा भी हो सकता है। समय पर योजना और त्वरित हस्तक्षेप से ऐसी जटिलता को टालना संभव हो पाया। इसी तरह, ऑब्लिक लाइ की स्थिति—जिसमें भ्रूण गर्भ में तिरछे तरीके से स्थित होता है—के कारण सामान्य प्रसव संभव नहीं हो पाता और अक्सर सिजेरियन डिलीवरी की आवश्यकता पड़ती है।

नारायणा हेल्थ एसआरसीसी में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल, मुंबई डॉ. केकिन गाला ने बताया, “कॉर्ड प्रेजेंटेशन, ऑब्लिक लाइ और प्रेग्नेंसी डायबिटीज के चलते यह एक अत्यंत जोखिम भरी स्थिति बन गई थी। समय रहते सीजेरियन डिलीवरी का निर्णय लेकर हम संभवतः जानलेवा जटिलताओं से बच सके। इस दौरान शुरुआती पहचान और लगातार निगरानी सबसे महत्वपूर्ण साबित हुई।”

नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल, मुंबई अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. ज़ुबिन परेरा ने माँ और शिशु की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई सूझबूझ भरी उपचार योजना और निरंतर देखभाल के लिए प्रसूति एवं नवजात देखभाल टीम की सराहना की। उन्होंने कहा, “इस जटिल डिलीवरी ने एक बार फिर यह साबित किया कि हमारा अस्पताल मातृ एवं नवजात देखभाल के लिए गहन विशेषज्ञता और बहु-विषयक टीम के समर्पण के साथ काम करता है। यह हमारे समग्र, आधुनिक चिकित्सा दृष्टिकोण का भी प्रमाण है।”

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