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अध्ययन से राजस्थान में बिजली की पहुंच और गुणवत्ता में गंभीर ग्रामीण-शहरी असमानताएं उजागर हुईं

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30 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को प्रतिदिन 12 घंटे से भी कम बिजली मिलती है

जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन औसतन 12 घंटे तक बिजली कटौती होती है, जबकि राज्य के शहरी क्षेत्रों में काफी कम कटौती होती है (प्रतिदिन 0 से 6 घंटे तक)। इसके अतिरिक्त, राजस्थान में करीब 60 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को शिकायत के बाद बिजली बहाली के लिए 6 घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ता है, जबकि केवल 13 प्रतिशत शहरी उपभोक्ताओं को ही इतनी लंबी देरी का सामना करना पड़ता है। ये निष्कर्ष, ऑरेंज ट्री फाउंडेशन द्वारा किए गए “अंडरस्टैंडिंग द अवेलेबिलिटी एंड क्वालिटी ऑफ इलेक्ट्रिक सप्लाई” शीर्षक से अध्ययन के हिस्से के रूप में जारी किया गया है।

जयपुर (उत्तर), बांसवाड़ा (दक्षिण) और जोधपुर (पश्चिम) में 12 स्थानों (6 गांवों और 6 वार्डों) को कवर करते हुए, अध्ययन का उद्देश्य बिजली आपूर्ति की उपलब्धता और गुणवत्ता के साथ-साथ जीवन, आजीविका और व्यवसायों पर अनिश्चित और निम्न-गुणवत्ता वाली बिजली के प्रभावों का आकलन करना था। देश भर में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण हासिल करने के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों को अभी भी बिजली की निश्चित और गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है; जिसका नकारात्मक प्रभाव बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, छोटे व्यवसायों के साथ-साथ दैनिक गतिविधियों पर पड़ रहा है।

रिपोर्ट में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच काफी असमानता पाई गई, जहां केवल 3 प्रतिशत ग्रामीण उपभोक्ताओं को शिकायत दर्ज कराने के एक घंटे के भीतर बिजली बहाल हो जाती है, जबकि लगभग 51 प्रतिशत शहरी उपभोक्ताओं को शिकायत दर्ज कराने के एक घंटे के भीतर त्वरित बहाली का अनुभव होता है। इसके अतिरिक्त, राजस्थान में लगभग 25 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने वोल्टेज में उतार-चढ़ाव के कारण व्यवधान और उपकरण खराब होने की बात कही है। बार-बार बिजली कटौती और वोल्टेज में उतार-चढ़ाव ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका को प्रभावित किया है, जहां कृषि गतिविधियों और लघु-स्तरीय व्यवसायों के लिए बिजली की पहुंच महत्वपूर्ण है।

ऑरेंज ट्री फाउंडेशन की अध्ययन प्रमुख एवं सलाहकार, सुश्री शोभना तिवारी ने कहा, “अध्ययन में पिछले दशक में बिजली की उपलब्धता और आपूर्ति की गुणवत्ता में व्यापक सुधार पर प्रकाश डाला गया है। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में 2015 से बिजली की आपूर्ति में वृद्धि देखी गई है। हालांकि, अभी भी कई दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां बिजली की पहुंच अभी भी कम है। यह ग्रामीण बनाम शहरी क्षेत्रों के बीच का अंतर है, वह विकास की राह को भी प्रभावित करता है।”

समता पावर के निदेशक, डी. डी. अग्रवाल ने कहा, ‘‘सरकार राजस्थान में बिजली की आपूर्ति और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। हालांकि, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अंतर अभी मौजूद है, इसलिए गांवों में विद्युतीकरण में पर्याप्त सुधार की आवश्यकता है। इस डिजिटल युग में, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कई अन्य सेवाएं विश्वसनीय इंटरनेट और कंप्यूटर सेवा पर निर्भर करती हैं, वहां निरंतर चौबीस घंटे बिजली की आपूर्ति महत्वपूर्ण है।”

राजस्थान में 60 प्रतिशत से अधिक उपभोक्ताओं, विशेषकर शहरी उपभोक्ताओं, ने वोल्टेज में उतार-चढ़ाव के कारण उपकरण खराब होने की शिकायत की। अध्ययन में यह भी पाया गया कि राजस्थान में लगभग 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं को अपने घरों में स्थिर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लगभग 1000 रुपये का खर्च उठाना पड़ा।

अध्ययन के निष्कर्ष एक राउंडटेबल, “पीपल्स व्यू ऑन क्वालिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई इन राजस्थान” में जारी किए गए, जिसमें विभिन्न उद्योग विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और जन प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह रिपोर्ट पॉलिसी मेकर्स, स्टेकहोल्डर्स और कम्यूनिटी के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करती है, जिसका उद्देश्य अंतर्निहित अंतराल को कम करना और राजस्थान में बिजली आपूर्ति परिदृश्य में सुधार करना है।

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