-सस्टेनेबिलिटी के लिए आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय संतुलन आवश्यक
जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ पीएचईडी एवं भूजल विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने कहा कि सभी उद्योगों को वॉटर न्यूट्रल और आत्मनिर्भर बनाया जाना चाहिए। वहां वर्षा जल संचयन और वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स की व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसी प्रौद्योगिकी विकसित करने और अपनाने की आवश्यकता है, जो पानी के उपयोग को कम से कम करें। इन कदमों से यह सुनिश्चित होगा कि हमारे देश में हो रहा विकास सस्टेनेबल हो और पर्यावरण के लिए हानिकारक न हो। यह बात राजस्थान सरकार के पीएचईडी एवं भूजल, सेक्रेटरी, डॉ. समित शर्मा ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) द्वारा एनवायरनमेंट समिट के 7वें संस्करण में कही।
पीएचईडी एवं भूजल विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा शुक्रवार को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल एवं कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित एनवायरनमेंट समिट का 7वें संस्करण को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने जापान और इजराइल जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि जल प्रबंधन की व्यवस्था में सकारात्मक योगदान देने की जरूरत है। उन्होंने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे राज्य में भूजल की भारी कमी को देखते हुए अपने घरों में भी जल आपूर्ति के दुरुपयोग और बर्बादी को रोकने का प्रयास करें।
इस अवसर पर मौजूद राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण के सदस्य सचिव , एन विजय ने कहा कि सस्टेनेबिलिटी एक आदर्श स्थिति है, जिसके लिए समाज को प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने एक व्यापक और समग्र एप्रोच के माध्यम से सस्टेनेबिलिटी के तीन स्तंभों – आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय – के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। इस संतुलन को बनाए रखने के लिए उन्होंने कई आवश्यक कदम उठाने पर प्रकाश डाला, जिनमें समावेशी विकास को बढ़ावा देना, बुनियादी सेवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना शामिल है।
इस अवसर पर 14 ग्रीन रेटिंग कंपनियों को पुरस्कार वितरित किए गए। इनमें हीरो मोटो कॉर्प, डाइकिन, एचपीसीएल आदि अन्य कंपनियां शामिल थीं।उल्लेखनीय है कि मंडल द्वारा पर्यावरण संरक्षण को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न मानकों के अनुरूप उद्योगों का संचालन किये जाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु विशेष पहल के तहत ग्रीन रेटिंग अवार्ड के तहत चयनित उद्योगों को सम्मति शुल्क में राहत एवं निर्धारित से अधिक वैधता समय दिया जा रहा है।
इस अवसर पर कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के वरिष्ठ निदेशक एवं प्रमुख, नितिन गुप्ता ने कार्यक्रम की थीम ‘रोडमैप फॉर सस्टेनेबिलिटी: थिंक ग्रीन, एम्ब्रेस ग्रीन एंड सेव वॉटर’ पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई, जिसमें ‘द रोल ऑफ पॉलिसी एंड रेगुलेशन इन ग्रीन रिवॉल्यूशन’, ‘हरित उद्योग बनाने में आरएसपीसीबी की भूमिका’, ‘कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम)’, ‘कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम’, ‘ग्रीन क्रेडिट मैकेनिज्म’, ‘वेस्ट टू हेल्थ’, ग्रीनको रेटिंग्स आदि सहित कई अन्य महत्वपूर्ण विषय शामिल थे।
कार्यक्रम में ‘द रोल ऑफ पॉलिसी एंड रेगुलेशन इन ग्रीन रिवॉल्यूशन’ और ‘द पाथ फॉरवर्ड: कार्बन रिडक्शन, एम्ब्रेसिंग द सर्कुलर इकोनॉमी’ विषयों पर सत्र आयोजित किए गए.।