
पीआईबी की अतिरिक्त महानिदेशक समेत एक्सपर्ट्स ने मेंटल हेल्थ की चुनौतियों पर समाधान पर किया मंथन
जयपुर, दिव्यराष्ट्र*। वर्तमान समय में सोशल मीडिया और पारंपरिक मीडिया दोनों मिलकर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मिथकों को तोड़ सकते हैं। केंद्र सरकार की टेली मानस पहल के माध्यम से स्कूल के बच्चों और कामकाजी वर्ग के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह बात प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की अतिरिक्त महानिदेशक ऋतु शुक्ला ने राजस्थान विधानसभा के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब आॅफ राजस्थान में कही। उन्होंने मीडिया वर्कशॉप को संबोधित करते हुए बताया कि केंद्र सरकार आमजन के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
यूनिसेफ राजस्थान और फ्यूचर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई इस कार्यशाला में ‘वॉइसेज ऑफ रेजिलिएंस:द रोल ऑफ मीडिया इन प्रमोटिंग मेंटल हेल्थ’ विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर यूनिसेफ राजस्थान के चीफ इंचार्ज रूषभ हेमानी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य वेलनेस वीक के अवसर पर हम केवल पेशेवरों के रूप में नहीं, बल्कि एक साझा मिशन के साझेदारों के रूप में काम करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम आत्महत्या की रोकथाम चाहते हैं, तो हमें एक साथ काम करना होगा। वहीं, पत्रकार मुकेश माथुर ने पाठकों के दृष्टिकोण से सकारात्मक और नकारात्मक समाचारों के बीच संतुलन बनाए रखने में मीडिया की जिम्मेदारी पर जोर दिया। इस दौरान आईआरएस हरिनारायण मीणा, एम्स जोधपुर की डॉ.नीति रुस्तगी, यूनिसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट संजय निराला, मनोरोग विशेषज्ञ डॉ.सुनील शर्मा, कवि व स्तंभकार राजेश कुमार व्यास, वरिष्ठ पत्रकार योगेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. मीना शर्मा, श्याम सुंदर शर्मा और यूनिसेफ के हेल्थ ऑफिसर डॉ. अनुराग ने भी अपने विचार रखे।
समापन सत्र में यूनिसेफ के कम्यूनिकेशन स्पेशलिस्ट अंकुश सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।फ़्यूचर सोसाइटी की उपाध्यक्ष रविता शर्मा ने बताया कि इस विषय की गंभीरता देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ दिवस पर यह आयोजन किया गया ।