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सीरम इंस्टिट्यूट ने लॉन्च किया कैंसर जन जागरूकता अभियान

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सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के देशव्यापी जन स्वास्थ्य अभियान के तहत आज जयपुर में ‘कॉन्कर एचपीवी एंड कैंसर कॉन्क्लेव 2025’ लॉन्च किया गया। इस अभियान का लक्ष्य ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी)के प्रति और यह वाइरस किस तरह सर्वाइकल और अन्य तरह के कैंसर का कारण बनता है उसे लेकर जागरूकता पैदा करना है। इस अभियान का मकसद लोगों में यह जागरूकता लाना है कि जल्दी इलाज के लिए कदम उठाकर इसे कैसे रोका जा सकता है।

भारत भी एचपीवी से संबंधित बीमारियों का बोझ सह रहा है और खास तौर पर सर्वाइकल कैंसर से प्रभावित आबादी की संख्या खासी है। देश में कैंसर से होने वाली महिलाओं की मौतों का यह दूसरा सबसे कारण है। आईसीओ/आईएआरसी इनफार्मेशन सेंटर ऑन एचपीवी एंड कैंसर के मुताबिक भारत में हर साल 1.23 लाख से ज़्यादा सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं और इनमें 77,000 मौतें होती हैं।इसके अलावा गुदा कैंसर के 90% मामले और लिंग कैंसर के 63% मामले एचपीवीसे जुड़े होते हैं।

कॉन्क्लेव की यह शृंखला सभी चिकित्सकीय विशेषज्ञों, स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों और स्थानीय स्तर पर काम करने वाली सोसाइटी को एक मंच प्रदान करती है कि वे आपस में बातचीत और जानकारी को साझा करके इस खतरनाक चुनौती से निपटने के लिए एकजुट हों।

जयपुर के आयोजन में, एचपीवी के मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर विस्तार से चर्चा हुई। इस पैनल में अपोलो मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल के कंसलटेंट बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अपूर्वा टाक – एमसीएच, डॉ.एनबी (गायनेकोलॉजिकल ऑन्कोलॉजी), एमएनएएमएस, एडिशनल कंसल्टेंट – सर्जिकल (गायनेकोलॉजी) ऑन्कोलॉजी, भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, डॉ. आशीष अग्रवाल –  सीनियर कंसल्टेंट, नियोक्लिनिक चिल्ड्रन सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, डॉ. मोहित वोहरा – डायरेक्टर- सशक्त चाइल्ड केयर, गैस्ट्रो एंड लिवर सेंटर और सचिव – जयपुर आईएपी के साथ डॉ. अंशु पटोदिया – सीनियर कंसल्टेंट, मीरा हॉस्पिटल; जनरल सेक्रेटरी-आईएससीसीपी, राजस्थान स्टेट ब्रांच और डॉ. वीना आचार्य – सीनियर कंसल्टेंट और हेड, ऑब्सट एंड गायनेक प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजिस्ट, राजस्थान हॉस्पिटल, और गवर्निंग काउंसिल आईसीएमसीएच,  नएआरसीएचआई, इंडिया की चेयरपर्सन। सत्र का संचालन इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. जयदीप चौधरी ने किया। सभी ने इस वाइरस को लेकर तुरंत जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता, किशोरों और माता-पिता दोनों तक पहुंचने के महत्व और इससे बचाव में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।

सभी वक्ताओं ने इस बात परभीजोर दिया कि एचपीवी सिर्फ सर्वाइकल कैंसर तक ही सीमित नहीं है। यह वल्वा, वैजाइना, ऐनस (गुदा), लिंग और ओरोफेरिंक्स (मुख-ग्रसनी) के कैंसर से भी जुड़ा है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है। 15 से 25 वर्ष की आयु के बीच एचपीवी संक्रमण की आशंका सबसे ज़्यादा होने के कारण, प्रारंभिक जागरूकता और समय पर इसे रोकने के लिए कदम उठाए जाना जरूरी हैं।

जयपुरकॉन्क्लेव का समापन खुली चर्चा से हुआ जिसमें आमंत्रित लोगों ने भी भाग लिया। उनकी भागीदारी से इस अभियान के लक्ष्य- ‘जागरूकता के साथ निर्णय लेने और सामुदायिक सहभागिता के जरिए रोके जा सकने वाले कैंसर को काबू में करना’ को हासिल करने की दिशा में शानदार समर्थन मिला। आने वाले महीनों में यह पहल देश के अन्य शहरों में भी जारी रहेगी। यह स्वास्थ्य के क्षेत्र की कुछ विश्वसनीय आवाजों को एक मंच उपलब्ध कराएगी कि वे इस मुद्दे पर लोगों को जागरूक और सशक्त बनाएं।

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया का हेडक्वार्टर पुणे में है और वैक्सीन की संख्या के हिसाब से यह दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। इसने भारत और दुनिया के कई देशों में जन स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता और चेतना लाने में अहम भूमिका निभाई है।

ध्यान देने योग्य तथ्य:

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, संख्या के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। पिछले 5 दशकों मेंइस कंपनी ने उच्च-गुणवत्ता वाली और कम खर्चीली वैक्सीन बनाने और उसे लोगों पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। कंपनी ने दुनियाभर में जिंदगियों को बचाने के लक्ष्य के साथ काम करते हुए भारत में विकसित पहली जेंडर न्यूट्रल (स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए) क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन ‘सर्वावैक’ को लॉन्च करके जनस्वास्थ्य की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाया है। यह वैक्सीन महिला और पुरुष दोनों को दी जा सकती है।

  • सर्वाइकल कैंसर, भारत में कैंसर से होने वाली महिलाओं की मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
  • 15 साल या उससे ज़्यादा की 4 करोड़ महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा है।
  • हर साल सर्वाइकल कैंसर के इतने नए केस आ रहे हैं: 1,23,907
  • हर साल सर्वाइकल कैंसर से इतनी मौतें हो रही हैं: 77,348

स्रोत:आईसीओ/आईएआरसी इनफॉर्मेशन सेंटर ऑन एचपीवी एंड कैंसर 2023

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