दिव्यराष्ट्र, मुंबई: रिलायंस रिटेल ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारतीय कारीगरों के साथ कंपनी के रिश्तों को अहम स्थान दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी भारत में ‘कारीगर सोर्सिंग नेटवर्क’ को और मजबूत कर रही है। “क्राफ्ट्स ऑफ इंडिया” अभियान के तहत कंपनी 2,500 से अधिक विक्रेताओं के साथ काम कर रही है और 24 राज्यों में 50,000 से अधिक कारीगरों की काम-काज से सीधे जुड़ी है।
रिलायंस रिटेल के बढ़ते नेटवर्क में आदिवासी समुदायों, स्थानीय कारीगरों और महिलाओं के नेतृत्व चलने वाले उद्यम व संस्थान जुड़े है। कंपनी बड़े स्तर पर इन संस्थानों से सोर्सिंग को बढ़ावा दे रही है। इसका उद्देश्य आधुनिक खुदरा प्लेटफार्मों के माध्यम से भारत की विविध शिल्प परंपराओं को बढ़ावा देते हुए स्थायी आजीविका के साधनों का निर्माण करना है। अपने विभिन्न प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से कंपनी कारीगरों को बाजार तक पहुंच तो दे ही रही है, इसके अलावा उत्पाद विकास में सहायता और पर्यावरण अनुकुल पैकेजिंग आदि में भी कारीगरों की सहायता कर रही है। इस तरह के प्रयास न केवल पारंपरिक कौशल को संभालने में मदद करते हैं, बल्कि क्षेत्रीय शिल्प को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में भी मददगार साबित होते हैं।
रिलायंस फ़ाउंडेशन का “स्वदेश” मंच भी कला और कारीगरों को दुनिया के सामने लाने के प्रयास कर रहा है। एक ऐसा ही प्रयास पैठणी साड़ियों के प्रचार प्रसार का है। पैठणी दरअसल सदियों पुरानी महाराष्ट्रीयन बुनाई है जो अपने महीन रेशम और जटिल रूपांकनों के लिए जानी जाती है। रिलायंस रिटेल ने “क्राफ्ट मेला” जैसी पहलों और राज्य एम्पोरियम के साथ साझेदारी के माध्यम से सीधे उपभोक्ता तक पहुँच देने के लिए अपने डिजिटल कॉमर्स प्लेटफॉर्म, जियोमार्ट का भी इस्तेमाल कर रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से, जियोमार्ट ने कारीगरों के स्वयं सहायता समूहों को इसमें शामिल किया है, उन्हें मार्केटिंग में सहायता दी है और प्लेटफॉर्म तक पहुँच प्रदान की है।