अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस
(दिव्यराष्ट्र के लिए शीला रजक, फाउंडर, रेप्युटेशन क्राफ्टर्स एवं पीआर प्रोफेशनल)
हमें महिला सशक्तिकरण जैसे भारी-भरकम शब्दों की नहीं, बल्कि असली मौके और बराबरी की जरूरत है। जब हमें हमारे टैलेंट के हिसाब से पहचान मिलेगी, जब फैसले लेने की आज़ादी होगी, तब जाकर सशक्तिकरण सच में होगा। मुझे अपने दम पर कुछ करने का जुनून है, और मैं चाहती हूँ कि हर लड़की, हर महिला बिना किसी डर या रोक-टोक के अपने सपनों को पूरा कर सके। महिला दिवस सिर्फ एक दिन का जश्न नहीं, बल्कि एक याद दिलाने वाला दिन है कि हम हर दिन और हर फिल्ड में आगे बढ़ सकते हैं और सबसे आगे रह सकते हैं। महिला सशक्तिकरण का असली मतलब तब होगा जब महिलाएं अपने फैसलों में स्वतंत्र हों, जब उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा मिले और जब वे अपने सपनों की दिशा में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन सकें। महिला दिवस हमें यह प्रेरणा देता है कि हम खुद को न सिर्फ आज़ादी से जीने का हकदार समझें, बल्कि हर मौके पर अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ें और अपने सपनों को सच करें। हम सभी महिलाओं को गर्व है कि हम आज़ाद हैं और हम किसी भी चुनौती से उबरने की ताकत रखती हैं।”