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एक स्वस्थ उपभोक्ता वित्त बाज़ार को बढ़ावा देना: एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण

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(दिव्यराष्ट्र के लिए आशीष तिवारी, चीफ़ मार्केटिंग ऑफ़िसर, होम क्रेडिट इंडिया)

मुंबई, दिव्यराष्ट्र/कंज़्यूमर से जुड़ा फ़ाइनैंस परिदृश्य तेज़ी-से विकसित हो रहा है, जो एक युवा और गतिशील आबादी की बढ़ती आकांक्षाओं के आकार के अनुसार ढल रहा है। भारत के युवा जनसंख्या वर्ग (25 वर्ष से कम उम्र के) की आबादी लगभग 50% है और बाज़ार में उनकी बढ़ती भागीदारी वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में भी बदलाव ला रही है। जैसे-जैसे डिजिटल की दुनिया को अपनाने का चलन बढ़ रहा है, ज़िम्मेदारी से युक्त उधार देने और उधार लेने के तौर-तरीक़ों की ज़रूरत और भी अहम हो जाती है। ऋणदाता, नियामक और उधारकर्ता हर कोई स्थायी और स्वस्थ उपभोक्ता वित्त बाज़ार को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं।

ज़िम्मेदारी से भरपूर विकास: ऋणदाताओं की भूमिका*

बैंकों, नॉन-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ( एनबीएफसी) और फ़िनटेक संस्थाओं सहित ऋणदाता, फ़ाइनैंशियल प्रोडक्ट्स मुहैया करवाने में सबसे आगे हैं जो कंज़्यूमर्स की अलग-अलग ज़रूरतें पूरी करते हैं। यहाँ इन संस्थानों की भूमिका सिर्फ़ क्रेडिट डिस्बर्समेंट से आगे है; इसमें ज़िम्मेदारी से युक्त उधार से जुड़े तौर-तरीक़े शामिल हैं जो उधारकर्ताओं की वित्तीय भलाई को प्राथमिकता देते हैं।

इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, ऋणदाताओं को सख्त क्रेडिट ऐसेसमेंट प्रोसेस को अपनाना चाहिए, ताकि यह पक्का किया जा सके कि उधारकर्ताओं को ज़्यादा लाभ न हो। इसमें किसी व्यक्ति की रीपेमेंट की क्षमता का व्यापक मूल्यांकन शामिल है, उनकी आय और मौजूदा वित्तीय ज़िम्मेदारियों दोनों को ही ध्यान में रखते हुए। इसके अलावा, अलग-अलग कंज़्यूमर सेगमेंट की विशेष ज़रूरतों के हिसाब से फ़ाइनैंशियल प्रोडक्ट्स की पेशकश जोखिमों को कम करते हुए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।

ऋणदाताओं को वित्तीय साक्षरता पहलों में भी निवेश करना चाहिए, कंज़्यूमर्स को जानकारीयुक्त फ़ैसले करने के लिए सशक्त बनाया जाना चाहिए। समय पर रीपेमेंट के महत्व और क्रेडिट स्कोर के लंबे समय तक चलने वाले असर पर उधारकर्ताओं को शिक्षित करके, ऋणदाता ज़िम्मेदारी से युक्त उधार लेने की संस्कृति को बढ़ावा दे सकते हैं यानी इस तरह वे डिफ़ॉल्ट होने के जोखिम को कम कर सकते हैं।

वित्तीय अनुशासन: नियामकों और उधारकर्ताओं का सहयोग*

नियामक कंज़्यूमर वित्त बाज़ार की स्थिरता और अखंडता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उनकी निगरानी यह पक्का करती है कि ऋणदाता नैतिक तौर-तरीक़ों का पालन करें, कंज़्यूमर्स को अनुचित उधार और वित्तीय शोषण से बचाएँ। नियामकों को कंज़्यूमर हितों की रक्षा करते हुए नवाचार के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए। इसमें नई फ़ाइनैंशियल टेक्नॉलॉजी और बिज़नेस मॉडल्स को समायोजित करने के लिए लचीलेपन के साथ नियामक निरीक्षण की ज़रूरत को संतुलित करना शामिल है जो वित्तीय समावेशन को बढ़ा सकते हैं।

एक स्वस्थ कंज़्यूमर वित्त बाज़ार को बढ़ावा देने में उधारकर्ताओं की भी अहम भूमिका होती है। समझदारी से लिया गया उधार और समय पर रीपेमेंट सहित वित्तीय अनुशासन, एक सकारात्मक क्रेडिट हिस्ट्री बनाए रखने और वित्तीय संकट से बचने के लिए बेहद ज़रूरी है। कोई भी वित्तीय ज़िम्मेदारी लेने से पहले, उधारकर्ताओं को अपनी रीपेमेंट क्षमता का सावधानी से आकलन करना चाहिए और यह पक्का करना चाहिए कि लोन की शर्तें उनकी आवश्यकता/रीपेमेंट क्षमताओं के अनुरूप हों।

सहयोग: आगे का रास्ता*

एक स्वस्थ कंज़्यूमर वित्त बाज़ार उधारदाताओं, नियामकों और उधारकर्ताओं के बीच सहयोग से विकसित होता है। बाज़ार की स्थिरता और लंबे समय तक चलते रहने की शक्ति सुनिश्चित करने में प्रत्येक स्टेकहोल्डर की एक विशिष्ट लेकिन पूरक भूमिका होती है। ऋणदाताओं के लिए, बेहतर क्रेडिट ऐसेसमेंट और ग्राहक जुड़ाव के लिए टेक्नॉलॉजी का लाभ उठाने के लिए यह सहयोग फ़िनटेक कंपनियों के साथ भागीदारी का रूप ले सकता है। इस तरह के सहयोग फ़ाइनैंशियल प्रोडक्ट्स की पहुँच को बढ़ा सकते हैं और उन्हें आबादी के कम सेवा वाले वर्गों के लिए अधिक सुलभ बना सकते हैं।

दूसरी ओर, नियामक मौजूदा नियमों में सुधार करने और कंज़्यूमर के वित्त परिदृश्य में उभरती चुनौतियों का समाधान करने वाले नए ढाँचे को विकसित करने के लिए उद्योग के स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। सार्वजनिक परामर्श और प्रतिक्रिया तंत्र उन नीतियों को तैयार करने में मदद कर सकते हैं जो प्रभावी और संतुलित दोनों हैं। उधारकर्ताओं के लिए, सहयोग का अर्थ न केवल कंज़्यूमर्स के रूप में बल्कि जानकारी रखने वाले प्रतिभागियों के रूप में वित्तीय संस्थानों से जुड़ना है। उधारकर्ता प्रतिक्रिया देकर, भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करके और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों में भाग लेकर एक स्वस्थ वित्त बाज़ार के विकास में योगदान कर सकते हैं।

भारत के उपभोक्ता वित्त बाज़ार का भविष्य उधारदाताओं, नियामकों और उधारकर्ताओं के सामूहिक प्रयासों पर निर्भर करता है। ज़िम्मेदारी से लिया गया उधार, निष्पक्ष नियामक तौर-तरीक़े और जानकारीयुक्त उधार की संस्कृति को बढ़ावा देकर, हम एक ऐसा बाज़ार तैयार कर सकते हैं जो न सिर्फ़ कंज़्यूमर्स की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करता है, बल्कि देश के समग्र आर्थिक विकास और स्थिरता में भी योगदान करता है।

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