
मुंबई, दिव्यराष्ट्र/ हर साल 11 नवंबर को, दक्षिण कोरिया में – और अब धीरे-धीरे पूरी दुनिया में – मिठास और स्नेह की एक लहर फैल जाती है। यह कोई पारंपरिक त्यौहार नहीं है, न ही कोई भव्य अवकाश, लेकिन यह प्रेम, मित्रता और कृतज्ञता का सबसे प्यारा उत्सव बन गया है। यह है पेपेरो डे – जो चॉकलेट से ढकी एक साधारण बिस्किट स्टिक से शुरू हुआ, लेकिन इसमें छिपा संदेश प्रेम जितना गहरा है।
पेपेरो डे की शुरुआत 1980 के दशक की शुरुआत में दक्षिण कोरिया से हुई। कहा जाता है कि कुछ स्कूली लड़कियों ने आपस में पेपेरो स्टिक्स को शुभकामना और मित्रता के प्रतीक के रूप में बांटना शुरू किया। 11 नवंबर (11/11) की तारीख यूँ ही नहीं चुनी गई — चार ‘1’ अंक बिल्कुल चार पेपेरो स्टिक्स जैसे दिखते हैं, जो इस दिन के प्रतीक को मज़ेदार और खास बना देते हैं।
जो शुरुआत में एक हल्की-फुल्की परंपरा थी, वह जल्द ही पूरे देश में लोकप्रिय हो गई। आज इस दिन लोग अपने साथियों के साथ-साथ दोस्तों, परिवार, सहकर्मियों और सहपाठियों को भी पेपेरो उपहार में देते हैं। यह दिन संबंधों और साझा खुशी का उत्सव बन गया है — बिल्कुल वैलेंटाइन डे की तरह, लेकिन और भी अधिक सहज और सर्वजनप्रिय भाव से।
दिलों से जुड़ी परंपराएँ सीमाओं को पार कर लेती हैं — और पेपेरो डे भी ऐसा ही है। इसका प्रेम और आभार का संदेश दुनिया भर में गूंजा और इसे एशिया समेत कई देशों ने अपनाया। भारत में, जहाँ रिश्ते हमारी संस्कृति की आत्मा हैं, पेपेरो डे स्वाभाविक रूप से अपनी जगह बना रहा है। ठीक वैसे ही जैसे रक्षाबंधन या फ्रेंडशिप डे, यह दिन उन बंधनों का जश्न मनाता है जो जीवन को खास बनाते हैं।
जब लोटे इंडिया ने भारतीय उपभोक्ताओं के लिए पेपेरो पेश किया, तो यह केवल एक स्वादिष्ट कोरियाई स्नैक लाने की बात नहीं थी — बल्कि यह एक ऐसी संस्कृति का हिस्सा साझा करने का अवसर था जो संबंधों और स्नेह पर आधारित है। आज पेपेरो, भारतीयों के दिलों (और स्नैक शेल्फ़ों) में एक सरल, मीठे स्नेह के प्रतीक के रूप में जगह बना चुका है।
पेपेरो डे की खासियत उसकी सादगी में है। यह याद दिलाता है कि खुशियाँ हमेशा बड़े उपहारों में नहीं होतीं — कभी-कभी वे किसी छोटे, प्यारे इशारे में छिपी होती हैं। पेपेरो डे का सार इसी भाव में है — ‘मैं तुम्हारे बारे में सोच रहा/रही हूँ’ या ‘धन्यवाद, तुम मेरे जीवन में हो’ जैसे भावों को एक मीठे उपहार के ज़रिए व्यक्त करना।
आज की तेज़ रफ्तार, डिजिटल दुनिया में, पेपेरो डे लोगों को एक बार फिर दिल से जुड़ने का मौका देता है। किसी को पेपेरो का बॉक्स देना — यह छोटा-सा पल बहुत कुछ कह जाता है, बिना ज़्यादा शब्दों के।
पेपेरो डे मनाने के लिए आपको किसी विशेष योजना की ज़रूरत नहीं — बस एक बॉक्स पेपेरो का और किसी को मुस्कुराने की इच्छा। इसे अपने दोस्त, भाई-बहन, माता-पिता, या साथी को दें — किसी को भी जो आपके जीवन में मिठास भरता है।
सोचिए, अगर ऑफिस में सहकर्मी पेपेरो स्टिक के साथ ‘थैंक यू’ नोट्स बांटें, या कॉलेज में दोस्त हँसी-खुशी बॉक्स बदलें — यही है पेपेरो डे की खूबसूरती। यह सहज है, सरल है, और सबके लिए है।
पेपेरो डे हमें यह याद दिलाता है कि छोटे-छोटे इशारे भी बड़ी खुशियाँ दे सकते हैं। यह दिन हमें ठहरकर यह कहने का मौका देता है — ‘तुम मेरे लिए मायने रखते हो।’ व्यस्त जीवन के बीच, ऐसी छोटी-छोटी खुशियाँ और भी कीमती हो जाती हैं।
तो इस 11 नवंबर, दक्षिण कोरिया से प्रेरणा लें और मनाएँ पेपेरो डे — न केवल चॉकलेट स्टिक्स के साथ, बल्कि स्नेह और जुड़ाव की भावना के साथ। क्योंकि कभी-कभी, किसी को थोड़ा सा ‘मीठा बाँटना’ ही प्रेम जताने का सबसे सुंदर तरीका होता है।





