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राष्ट्रीय संगोष्ठी में संरक्षित खेती में नए आयामों की ओर कदम

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जयपुर, दिव्यराष्ट्र/– श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर और इंडियन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में रारी, दुर्गापुरा में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को भव्य उद्घाटन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने किया। इस संगोष्ठी का विषय “उद्यानिकी फसलों में संरक्षित खेती – चुनौतियां एवं सशक्त उपाय” है।
राज्यपाल ने सबसे पहले रारी परिसर में अनुसंधान गतिविधियों का अवलोकन किया और ऊतक संवर्धन उत्कृष्टता केंद्र की आधारशिला रखी।कुलपति डॉ बलराज सिंह, कुलसचिव सोहन लाल एवं निदेशक रारी डॉ हरफूल सिंह ने राज्यपाल को गेहूं और जौ पर चल रहे अनुसंधान ट्रायल्स का अवलोकन करवाया। कुलपति सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल ने अपने प्रेरक संबोधन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ के कार्यों की सराहना करते हुए इसे “कर्तव्यों के प्रति समर्पित संगठन” कहा।
उन्होंने स्वतंत्रता के समय को याद करते हुए भारत की अन्न आत्मनिर्भरता की ओर हुई प्रगति पर प्रकाश डाला।
मातृ पौधों की महत्ता: राज्यपाल ने फलदार पौधों के अच्छे उत्पादन में मातृ पौधों की भूमिका पर बल दिया।
*संरक्षित खेती के लाभ:*राज्यपाल ने संरक्षित खेती के जरिए कीट, रोग और शीत से बचाव के साथ बेहतर विपणन व्यवस्था की आवश्यकता बताई। उन्होंने एक सफल अनार उत्पादक किसान की कहानी साझा की और बाजरे की रोटी के पोषण संबंधी लाभों पर चर्चा की।
प्राकृतिक खेती का आह्वान: हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने मानव जीवन में अनाज की महत्ता को कहानी के माध्यम से समझाते हुए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का आह्वान किया।उन्होंने कम पानी, कम अवधि की फसलों और सौर ऊर्जा के उपयोग को कृषि क्षेत्र के लिए आवश्यक बताया।
श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने महामहिम राज्यपाल और मंचासीन अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया।
डॉ. बलराज सिंह ने संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि
“संरक्षित खेती के माध्यम से राजस्थान की जलवायु और परिस्थितियों को देखते हुए बागवानी फसलों के उत्पादन में 25-30% तक वृद्धि संभव है।”
उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए इसके अनुसंधान, शिक्षा और प्रसार में किए गए कार्यों का विवरण दिया।
मॉडल गांव: डॉ. बलराज सिंह ने बसेड़ी और बस्सी झाझड़ा गांव को संरक्षित खेती के सफलतम मॉडल गांव बताते हुए राज्यपाल से इनका दौरा करने का अनुरोध किया।
डॉ. बलराज सिंह ने संगोष्ठी में आयोजित दो दिवसीय तकनीकी सत्रों की जानकारी साझा की।
अन्य प्रमुख वक्ता और उनके विचार
डॉ. पी. कौशल, अध्यक्ष, भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ एवं डॉ. दिनेश कुमार, सचिव, भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
पद्मश्री डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों, पूर्व कुलपति, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना ने अपने संबोधन में संरक्षित खेती के क्षेत्र में डॉ. बलराज सिंह के 25 वर्षों के अनुभव और योगदान की सराहना की।
कृषि साहित्यों का विमोचन
राजपाल व विशिष्ट अतिथियों द्वारा विभिन्न कृषि वैज्ञानिकों द्वारा रचित कृषि साहित्यों का विमोचन किया गया
कार्यक्रम के अंत में आयोजन सचिव और निदेशक अनुसंधान डॉ. एन.के. गुप्ता ने सभी अतिथियों, वैज्ञानिकों और सहभागियों को इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया।
डॉ बलराज सिंह ने बताया कि यह संगोष्ठी संरक्षित खेती में नवीन संभावनाओं की ओर देश का मार्गदर्शन करेगी। राज्यपाल और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को विशेष बनाया। संरक्षित खेती के नवाचार और इसके लाभ न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।
इस कार्यक्रम में देश के सभी कृषि विश्विद्यालयों के कुलपति, नामित अधिकारी, संरक्षित खेती के एक्सपर्ट व
कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के स्नातक विद्यार्थी,एमएससी और पीएचडी के विद्यार्थियों ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा भाग लिया।

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