
टूर डी फ्रांस से प्रेरित, पुणे ग्रैंड टूर 2026 भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय साइक्लिंग रोड रेस की ऐतिहासिक शुरुआत ~
जयपुर, दिव्यराष्ट्र:/ भारत में पेशेवर साइक्लिंग के नए युग का प्रतीक, बजाज पुणे ग्रैंड टूर 2026 की प्रतिष्ठित और विरासत-प्रेरित ट्रॉफी का शनिवार को जयपुर में भव्य अनावरण किया गया। यह गरिमामयी समारोह राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी तथा जितेंद्र डूडी (आईएएस), कलेक्टर, पुणे जिला (रोड रेस का मेज़बान शहर) की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर मदन राठौड़, सांसद, राजस्थान; डॉ. नीरज के. पवन (आईएएस), खेल सचिव, राजस्थान; ओंकार सिंह, चेयरमैन, साइक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया; तथा सरिका चौधरी, चेयरपर्सन, सेलेक्शन कमेटी, राजस्थान साइक्लिंग एसोसिएशन भी उपस्थित रहे।
पुणे जिला प्रशासन द्वारा जितेंद्र डूडी (आईएएस) के नेतृत्व में तथा महाराष्ट्र सरकार के मजबूत सहयोग से आयोजित बजाज पुणे ग्रैंड टूर 2026, भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय स्तर का साइक्लिंग रोड रेस आयोजन है। यह देश की पहली यूसीआई 2.2 श्रेणी की रोड रेस होगी, जिसमें विश्वभर से शीर्ष साइक्लिस्ट भारत की धरती पर प्रतिस्पर्धा करेंगे। चुनौतीपूर्ण मार्गों और समृद्ध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लिए पहचाना जाने वाला यह आयोजन पुणे और भारत को वैश्विक साइक्लिंग मानचित्र पर एक प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित करेगा।
राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ट्रॉफी टूर के तहत जयपुर में ट्रॉफी का आगमन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो देश की सांस्कृतिक विरासत और विश्वस्तरीय खेल आयोजन क्षमता का सुंदर संगम प्रस्तुत करता है।
पुणे की प्रसिद्ध ‘तांबट आळी’ कारीगर समुदाय द्वारा निर्मित यह ट्रॉफी, पुणे क्षेत्र के आठ ऐतिहासिक किलों और छत्रपति शिवाजी महाराज की गौरवशाली विरासत का प्रतीक है। इस ट्रॉफी ने साइक्लिंग प्रेमियों, खेल जगत और स्थानीय समुदाय के बीच खासा उत्साह पैदा किया है, साथ ही राष्ट्रीय खेल परिदृश्य में जयपुर की भूमिका को भी रेखांकित किया है।
इस अवसर पर राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा,
“यह देखकर प्रसन्नता होती है कि भारत नए खेलों को अपनाते हुए बड़े अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों की मेज़बानी की दिशा में आगे बढ़ रहा है। पुणे ग्रैंड टूर 2026 भारत की पहली यूसीआई वर्गीकृत साइक्लिंग रेस है, जो देश में पेशेवर साइक्लिंग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।”
जितेंद्र डूडी (आईएएस), कलेक्टर, पुणे जिला एवं रेस इंचार्ज, पुणे ग्रैंड टूर ने कहा,
“पुणे ग्रैंड टूर 2026 पिछले छह महीनों की सतत और लक्ष्य-आधारित मेहनत का परिणाम है। यूसीआई 2.2 श्रेणी अंतरराष्ट्रीय रोड साइक्लिंग की शुरुआती श्रेणी है, लेकिन हमारा लक्ष्य भारत को भविष्य में टूर डी फ्रांस की तर्ज पर यूसीआई प्रो रेस की मेज़बानी करने वाला देश बनाना है।”
बजाज पुणे ग्रैंड टूर क्या है?*
भारत की पहली यूसीआई 2.2 रेस: पुणे ग्रैंड टूर, यूनियन साइक्लिस्ट इंटरनेशनल (यूसीआई) द्वारा मान्यता प्राप्त भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय रोड साइक्लिंग रेस है।
संस्कृति और खेल का संगम: 4 चरणों में आयोजित 437 किलोमीटर लंबी यह रेस किलों, पहाड़ियों और ग्रामीण सौंदर्य के माध्यम से पुणे जिले की समृद्ध विरासत को दर्शाती है।
परंपरा से प्रेरित ट्रॉफी: तांबट आळी के कारीगरों द्वारा निर्मित ट्रॉफी, क्षेत्र के आठ किलों और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत का प्रतीक है।
वैश्विक साइक्लिंग का द्वार: यह आयोजन भारतीय युवाओं को प्रेरित करेगा और भारत को भविष्य की वैश्विक खेल शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
जयपुर और भारत के लिए महत्व:
राष्ट्रीय गौरव: ट्रॉफी का जयपुर आगमन देश में मजबूत खेल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के सामूहिक प्रयासों का प्रतीक है।
खेल पर्यटन को बढ़ावा: यह आयोजन साहसिक पर्यटन को प्रोत्साहित करेगा और मेज़बान क्षेत्रों की ऐतिहासिक व प्राकृतिक सुंदरता को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करेगा।
भविष्य के ओलंपियन: पुणे ग्रैंड टूर को भविष्य में ओलंपिक क्वालीफाइंग इवेंट के रूप में विकसित किए जाने की संभावना है, जिससे भारतीय साइक्लिस्टों को वैश्विक मंच तक पहुंच मिलेगी।
विशेष ट्रॉफी डिज़ाइन – विरासत और प्रेरणा का प्रतीक*
कुछ रचनाएं केवल आकार नहीं, बल्कि भावना और इतिहास भी संजोती हैं—पुणे ग्रैंड टूर ट्रॉफी ऐसी ही एक कृति है। यह मात्र तांबे से बनी वस्तु नहीं, बल्कि खेल की धड़कन, एथलीटों का संघर्ष और उस भूमि की स्मृति है, जहां से यह जन्म लेती है।
ट्रॉफी की आकृति रेस मार्ग पर स्थित आठ किलों से प्रेरित है, जो रणनीति, साहस और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत का प्रतीक हैं। इसका आठ-खंडीय स्वरूप और आठ-मुखी मुद्रा पुणे की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती है।
ट्रॉफी के केंद्र में बना घूमता हुआ खोखला आकार एक वेलोड्रोम की अनुभूति कराता है—वह स्थान जहां साइक्लिस्ट अनुशासन, गति और निरंतर अभ्यास के माध्यम से खुद को गढ़ते हैं।
पूरी तरह तांबे से निर्मित यह ट्रॉफी तांबट आळी के कारीगरों की पीढ़ियों पुरानी परंपरा को सम्मान देती है। 480 मिमी ऊंची यह ट्रॉफी अनगिनत हथौड़े की चोटों से आकार लेती है, जिनकी हर छाप उस साइक्लिस्ट की लय और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, जो थकान के बावजूद आगे बढ़ता रहता है। यह ट्रॉफी वास्तव में दृढ़ता और निरंतरता की मूर्ति है।



