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इनबोर्न एरर्स ऑफ मेटाबॉलिज्म पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ‘आईएसआईईएम 2024‘ जयपुर में शुक्रवार से

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– देश भर से 500 प्रतिनिधि और 6 इंटरनेशल स्पीकर्स भाग लेंगे

जयपुर, दिव्यराष्ट्र/। इनबोर्न एरर्स ऑफ मेटाबॉलिज्म पर 3 दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस आईएसआईईएम 2024 का आयोजन शुक्रवार से झालाना संस्थानिक क्षेत्र स्थित राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, (आरआईसी) में किया जाएगा और इसका समापन 22 सितम्बर को होगा। यह आयोजन विशेषज्ञों, चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और इनबोर्न मेटाबॉलिक विकारों से प्रभावित परिवारों के लिए ज्ञान, इनोवेटिव और नए इलाजों का आदान प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करेगा।

यह जानकारी देते हुए आईएसआईईएम 2024 के सचिव डॉ प्रियांशु माथुर ने बताया कि सम्मेलन का केन्द्र बिन्दु आनुवांशिक मेटाबॉलिक विकारों (आईएमडी) के डायग्नोस, मैनेजमेंट और चिक्तिसा क्षेत्र में हालिया प्रगति और अपडेट पर आधारित होगा। उन्होंने बताया कि आईएमडी, एक समूह है जिनमें दुर्लभ लेकिन महत्वपूर्ण आनुवंशिक विकार होते हैं, जो शरीर की पोषक तत्वों को ऊर्जा में परिवर्तित करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। यदि इन विकारों का समय पर निदान या उपचार नहीं किया जाता है, तो यह विकासात्मक, मानसिक और शारीरिक अक्षमताओं के साथ-साथ गंभीर मामलों में दौरे और शीघ्र मृत्यु का कारण बन सकते हैं। एंजाइमों, हार्माेन या अन्य आवश्यक अणुओं में दोष आईएमडी के मूल कारण होते हैं।

इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में होने वाली चर्चाओं की जानकारी देते हुए डॉ. लोकेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष, आईएसआईईएम 2024 ने बिन्दूवार जानकारी देते हुए बताया कि इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में नवजात स्क्रीनिंग और प्रारंभिक निदान के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर स्क्रीनिंग कार्यक्रमों के माध्यम से प्रारंभिक पहचान के महत्व को समझना, ताकि परिणामों में सुधार किया जा सके और अपरिवर्तनीय क्षति को रोका जा सके। आनुवांशिक परीक्षण और परामर्श में प्रगति के बारे में आनुवांशिक निदान में नवीनतम खोजों का विश्लेषण करना, जिससे आईएमडी की सटीक पहचान हो सके और परिवारों को व्यक्तिगत परामर्श प्रदान किया जा सके। नई चिकित्सा और उपचार जैसे एंजाइम प्रतिस्थापन चिकित्सा, जीन चिकित्सा और अन्य उभरते उपचार विकल्पों पर चर्चा होगी जो आईएमडी मैनेजमेंट में क्रांति ला रहे हैं। जटिलताओं और सह-रुग्णताओं का किस प्रकार मैनेजमेंट किया जाए यथा रोगियों की समग्र देखभाल पर ध्यान देना, जिसमें अंगों की खराबी, तंत्रिका संबंधी मुद्दों और दीर्घकालिक मेटाबॉलिक प्रबंधन के लिए रणनीतियां शामिल हैं।

डॉ. जयकिशन मित्तल, चेयरमैन आईएसआईईएम ने बताया कि लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डरस, माइटोकांड्रियल डिसऑर्डर्स, ग्लाइकोजन स्टोरेज डिसऑर्डर्स, पोरफाईरियास, ल्यूकोडिस्ट्रोफी आईएमडी के बारे में चर्चा की जाएगी। इस तीन दिवसीय आयोजन में वैज्ञानिक सत्र में अग्रणी विशेषज्ञों द्वारा नवीनतम शोध और नैदानिक केस स्टडीज की प्रस्तुतियां दी जाएंगी। पैनल डिस्कशन में आईएमडी उपचार और नीतियों में वर्तमान चुनौतियों, विवादों और भविष्य की दिशाओं पर केंद्रित इंटरैक्टिव चर्चाएं होगीं।

इसी प्रकार कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत हेल्थकेयर प्रॉफेशनल्स के लिए सत्र होंगे, जिसमें आनुवंशिक परामर्श, निदान तकनीक और नवीनतम उपचार हस्तक्षेपों का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

आईएसआईईएम 2024 के उद्देश्य*

हैल्थकेयर प्रॉफेशनल्स को शिक्षित करना, चिकित्सकों, आनुवंशिकीविदों और सहयोगी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को आईएमडी के निदान और उपचार में नवीनतम ज्ञान और कौशल प्रदान करना।

अनुसंधान और सहयोग को बढ़ावा देने के साथ ही शोधकर्ताओं को अपने निष्कर्ष साझा करने, सहयोगात्मक चर्चाओं में भाग लेने और अनुसंधान के नए मार्गों की खोज के लिए एक मंच प्रदान करना, जो क्रांतिकारी खोजों की ओर ले जा सकता है।

परिवारों और रोगियों का समर्थन करना, प्रारंभिक निदान, बेहतर उपचार पहुँच और आईएमडी से प्रभावित परिवारों के लिए व्यापक समर्थन नेटवर्क की वकालत करना, ताकि वे इन जटिल विकारों को समझ सकें और उनका सामना कर सकें।

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