कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (कोटक म्यूचुअल फंड) ने साल 2025 के लिए अपनी मार्केट आउटलुक रिपोर्ट जारी की है। कोटक म्यूचुअल फंड ने अपनी इस रिपोर्ट में अगले साल के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था और कैपिटल मार्केट की दिशा पर मैक्रोइकोनॉमिक (व्यापक-आर्थिक) अनुमान साझा करते हुए निवेश की अलग अलग थीम के बारे में बताया है, जिन पर निवेशक नजर रख सकते हैं।
कोटक महिंद्रा एएमसी के मैनेजिंग डायरेक्टर, नीलेश शाह का कहना है कि बाजार में गिरावट उचित वैल्यूएशन पर मौजूद फंडामेंटली मजबूत कंपनियों में निवेश करने का अवसर है। बाजार को आगे बढ़ाने के लिए अर्निंग ग्रोथ और पी/ई एक्सपेंशन के लिए सीमित अवसर के साथ, बहुत ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, साथ ही टिकने वाले व लॉन्ग टर्म ग्रोथ पर फोकस करना जरूरी है। फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट खासकर लंबी अवधि में कम जोखिम के साथ बेहतर रिटर्न प्रदान करते हैं।
सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और कंजम्पशन के मजबूत ट्रेंड से उम्मीदें बढ़ी हैं, और इसके चलते निजी बैंकिंग, ऑटो, टेलीकॉम, फार्मा और आईटी जैसे सेक्टर में वैल्यू के अवसर मौजूद हैं। आगामी वेडिंग सीजन कंजम्पशन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है, जिससे यह सेलेक्टिव और अनुशासित निवेश के लिए उपयुक्त समय है।
रिपोर्ट में 5 प्रमुख थीम पर प्रकाश डाला गया है जो 2025 में बाजारों की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
- कैपेक्स साइकिल रिवाइवल
भारत पहले से ही एक महत्वपूर्ण मल्टी-ईयर कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स) साइकिल में है, जिससे आर्थिक विकास (इकोनॉमिक ग्रोथ) को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। अगले साल केंद्र सरकार और लिस्टेड कॉर्पोरेट खर्च बढ़ने का अनुमान है, जबकि राज्य का खर्च पिछड़ सकता है। कई सेक्टर में कॉर्पोरेट ऑर्डर बुक में विस्तार इस साइकिल की व्यापक प्रकृति को उजागर करता है। परियोजनाओं की संख्या पिछली बार 2017 में देखे गए स्तर पर पहुंच गई है। प्राइवेट सेक्टर की अनुमानित लागत दशक के हाई लेवल 55,122 अरब रुपये पर है।
- फाइनेंशियल सर्विसेज की बढ़ती पहुंच
फाइनेंशियल सर्विसेज (वित्तीय सेवाएं) एक डाइवर्स सेक्टर है, जिसमें सब-कैटेगरीज में अलग-अलग प्रदर्शन देखने को मिलते हैं। बैंक क्रेडिट ग्रोथ और डिपॉजिट ग्रोथ के बीच अंतर कम हो रहा है, जिससे मार्जिन पर दबाव कम होने की उम्मीद है। बैंकिंग सेक्टर में हेल्दी रिटर्न रेश्यो देखने को मिल रहा है और बैंकों के पास पूंजी की उपलब्धता के स्तर में सुधार हुआ है, जिससे नई पूंजी की आवश्यकता कम हो गई है। बैंकिंग सेक्टर का वैल्यूएशन व्यापक बाजार की तुलना में उचित है और सार्वजनिक व निजी दोनों सेक्टर के बैंकों के लिए लॉन्ग टर्म एवरेज के करीब है।
- टेक्नोलॉजी – नए जमाने की सर्विसेज
क्लाउड सर्विसेज में खर्च बढ़ने से आईटी सर्विसेज पर खर्च में सुधार की उम्मीद है। भारत एआई, ब्लॉकचेन और साइबर सिक्योरिटीज जैसी नए जमाने की सर्विसेज में अपनी पेशकश का विस्तार कर रहा है, और खुद को वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रहा है। इस सेक्टर के लिए प्रमुख चालकों में से एक जेनरेटिव एआई है। 2022 से 2027ई तक एआई की मांग 15 गुना बढ़ने की उम्मीद है।
- कंजम्पशन और रूरल रिवाइवल
भारत के कंजम्पशन सेक्टर ने कोविड 19 के बाद मिला जुला सुधार दिखाया है, जिसमें प्रीमियम प्रोडक्ट अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि बड़े पैमाने पर कंजम्पशन पिछड़ गया है। शहरी क्षेत्रों ने अब तक रूरल कंजम्पशन से बेहतर प्रदर्शन किया है, हालांकि ग्रामीण इलाकों के खर्च में अब सुधार के संकेत दिख रहे हैं। भारत में संयुक्त परिवार की जगह एकल परिवार की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसमें माता पिता और बच्चे साथ रहते हैं। ऐसे परिवारों की संख्या 2008 में 34 फीसदी से बढ़कर साल 2022 में 50 फीसदी के करीब हो गई, जिससे देश में कंजम्पशन डिमांड बढ़ेगी। असंगठित रिटेल से संगठित रिटेल की ओर बदलाव इस क्षेत्र के लिए एक अन्य प्रमुख फैक्टर है।
- हेल्थकेयर
प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी के साथ हेल्थकेयर के खर्च में बढ़ोतरी होना तय है। जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, मेडिकल के खर्च में बढ़ोतरी का ट्रेंड देखने को मिलता है। फार्मास्यूटिकल्स और वैक्सीन का एक प्रमुख उत्पादक होने के नाते, भारत इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है। भारत सबसे अच्छे वैकल्पिक आउटसोर्सिंग वाले देश के रूप में उभर रहा है, क्योंकि कंपनियां चीन से दूर और कांट्रैक्ट डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑर्गेनाइजेशन के क्षेत्र में सप्लाई चेन को जोखिम से मुक्त करना चाहती हैं। रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) पर खर्च में बढ़ोतरी के साथ, छोटे मॉलेक्यूल की खोज का बाजार भी बड़ा है और तेजी से बढ़ रहा है।
मौजूदा बाजार स्थितियों को देखते हुए फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट का आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है। पोर्टफोलियो के एक हिस्से को फिक्स्ड इनकम विकल्पों में निवेश करने से जोखिम को कम करने के साथ ही पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान करने में मदद मिल सकती है। ब्याज दरों में संरचनात्मक गिरावट लेकिन अपेक्षित उतार-चढ़ाव के साथ, निवेशकों को निवेश के लिए लंबी अवधि के विकल्पों (आदर्श रूप से 12 से 18 महीने के निवेश के लक्ष्य के साथ) पर फोकस करना चाहिए। इससे निवेशकों को भविष्य में ब्याज दरों में होने वाली संभावित कटौती का लाभ मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई अब से दिसंबर 2025 के बीच दरों में 50-75 बीपीएस की कटौती कर सकता है।
वित्त वर्ष 2026 के लिए केंद्र और राज्य का संयुक्त घाटा 7 फीसदी के करीब रहने की उम्मीद है, जिससे वित्त वर्ष 2026 में भारत की रेटिंग में सुधार हो सकता है। अनुकूल मैक्रोइकोनॉमिक स्थितियां, रेटिंग में संभावित सुधार, संतुलित डिमांड-सप्लाई और ब्याज दरों में कटौती से 10-साल की गवर्नमेंट सिक्योरिटीज का यील्ड घट सकता है, जो अभी 6.25% से 6.50% के बैंड में ट्रेड कर रहा है। यह बाजार के मौजूदा माहौल में स्थायी रिटर्न चाहने वालों के लिए फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट को एक आकर्षक विकल्प बनाता है।