
दिव्यराष्ट्र, मुंबई: कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (केएमएएमसी) ने कोटक गोल्ड सिल्वर पैसिव एफओएफ (एफओएफ या फंड ऑफ फंड) लॉन्च करने की घोषणा की है। यह एक ओपन-एंडेड फंड ऑफ फंड स्कीम है जो कोटक गोल्ड ईटीएफ और कोटक सिल्वर ईटीएफ में निवेश करेगी। इस इनोवेटिव फंड का उद्देश्य निवेशकों को सोना और चांदी—दोनों में एक्सपोज़र प्रदान कर लंबी अवधि में पूंजी में वृद्धि का अवसर देता है। यह स्कीम आम लोगों के निवेश के लिए 6 अक्टूबर 2025 से खुल गई है और 20 अक्टूबर 2025 को बंद होगी।
कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक निलेश शाह ने कहा, “एसेट अलोकेशन वैसा ही है जैसे हर पिच के लिए सही खिलाड़ियों का चुनाव करना। सोना और चांदी हमेशा से पोर्टफोलियो के ऑलराउंडर रहे हैं, खासकर जब बाज़ार अस्थिर हो। जब केंद्रीय बैंक सोना जमा कर रहे हैं, चांदी की औद्योगिक अहमियत बढ़ रही है और इक्विटी मार्केट्स में उतार-चढ़ाव है, तो निवेशकों को इन धातुओं का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। कीमती धातु जोड़ना त्वरित लाभ पाने के लिए नहीं, बल्कि हर मौसम के लिए मज़बूत टीम बनाने जैसा है। कोटक गोल्ड सिल्वर पैसिव एफओएफ निवेशकों को अनुशासित तरीके से डाइवर्सिफाई करने का मौका देता है, बिना किसी एक परिणाम पर दांव लगाए। क्योंकि निवेश में जीत आत्मविश्वास से नहीं, बल्कि उचित संतुलन और निरंतरता से मिलती है।”
यह फंड उन निवेशकों के लिए बनाया गया है जो सोना और चांदी में निवेश कर लंबी अवधि की पूंजी वृद्धि चाहते हैं। यह खासकर उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो पारंपरिक इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट्स से आगे अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करना चाहते हैं, खासकर आर्थिक अनिश्चितता के समय। अलग-अलग ईटीएफ में निवेश करने पर री-बैलेंसिंग करने से पूंजीगत लाभ कर (कैपिटल गेन टैक्स) लगता है, लेकिन यह फंड आवंटन को आंतरिक रूप से ही संभालता है, जिससे निवेशकों को टैक्स-एफिशिएंट लाभ मिलता है।
कोटक गोल्ड सिल्वर पैसिव एफओएफ के फंड मैनेजर रोहित टंडन ने कहा, “कोटक गोल्ड सिल्वर पैसिव एफओएफ निवेशकों को कीमती धातुओं में निवेश का एक आसान समाधान देता है। सोना और चांदी दोनों को एक ही फंड में जोड़कर यह निवेशकों को इन दोनों एसेट्स की विशेषताओं का लाभ उठाने में सक्षम बनाता है। फंड एक नियम-आधारित क्वांटिटेटिव मॉडल अपनाता है, जो कोटक गोल्ड ईटीएफ और कोटक सिल्वर ईटीएफ के बीच डायनामिक री-बैलेंसिंग करता है। यह तरीका बाज़ार की चाल को पकड़ता है और निवेशकों को समय के साथ दोनों धातुओं का रिस्पॉन्सिव एक्सपोज़र देता है।”