स्मार्ट मैट्रियल्स, ऑटोमेशन और सस्टेनेबिलिटी पर देश-विदेश के जाने माने वैज्ञानिकों शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने किया गहन चिंतन
स्वचालित उपकरणों में स्मार्ट मैट्रियल्स पर्यावरण फेडली व गुणवता अनुकूल हो
जयपुर, दिव्यराष्ट्र*/। ‘स्मार्ट मैट्रियल्स, ऑटोमेशन और सस्टेनेबिलिटी’ विषय पर तृतीय अंतरराष्टीय सम्मेलन शुक्रवार को विवेकानंद ग्लोबल युनिवर्सिटी, जगतपुरा में शुरू हुआ। इस अवसर पर यांत्रिक और स्मार्ट मैट्रियल्स स्वचालन के क्षेत्र मे नवीनतम तकनीकी और अनुसंधान, स्वचालन वस्तुओं के बढते उपयोग, उपभोक्तावाद व प्रतिस्पर्धा और स्वचालित मशीनरी के मानव जीवन पर प्रभाव और इसके अनुप्रयोगों के प्रति जागरूकता आदि पर देश-विदेश के जाने माने मैकनिकल इंजीनियर्स, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने गहन चिंतन किया और अपने अनुभवों और और तकनीकी प्रगति को साझा किया।
सम्मेलन में मुख्य वक्ता एमएनआईटी, जयपुर के प्रो उपेद्र पंडेल ने कहा वर्तमान में स्वचालित वस्तुओं के बढते उपयोग से हर कोई उपभोक्तवाद की ओर बढता जा रहा है। जिससे आरामदायक जीवन शैली जीने की लालस में हम खंुद को अस्वस्थ कर रहे हैं और होड समाज के हित में नहीं है। इसका पर्यावरण संतुलन पर भी प्रतिकूल असर पढ रहा है। उन्होने कहा कि हम समाज में रोजमर्रा की मूल भूत जरूरततों के बजाय लग्जरियस वस्तुओं पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। मानव शरीर एक खुद स्मार्ट मैटरियल है। उन्होने कहा कि स्मार्ट मैटरियल पर्यावरण फे्रडली हो और विभिन्न परिस्थियों के अनुसार बदलाव किया जा सके। उन्होने विद्यार्थियों का आहवान किया कि डिग्री के बाद तुरंत पैकेज के पीछे नहीं भागें और शुरू के चार पांच साल खुद को इतना प्रशिक्षित करें कि ताकि उनके भावी कैरियर को एक नया मुकाम मिले। वे खुद पर विश्वास रखें, दृढ संकल्प और ईमानदारी के साथ आगे बढें गे तो उनकेसपने जरूर सच होंगे।
इस अवसर पर वीजीयू के वाइस चेयरमैन डाॅ के आर बगरिया ने कहा इस आयोजन का उदेश्य शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और औद्योगिक कर्मियों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति को साझा करने, नवीनतम नवाचारों, रुझानों और व्यावहारिक चुनौतियों, भविष्य की प्रगति पर चर्चा करने का एक शानदार अवसर प्रदान करना है।
इथोपिया के प्रो डेनियल ए. एफ. ने अपने देश में सोलर जनरेशन में आ रही चुनौतीयों को साझा किया है। उन्होंने कहा उनका देश सोलर एनर्जी के उत्पादन के लिए अनुकूल है। इसके बढते उपयोग और तकनीकी विकास पर पेपर प्रजेंटेशन दिया।
सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला,नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक, प्रो मुकेश जवरिया ने कहा कि आज पीवीसी सेल यानि वाहनों के बैटरी निर्माण में वेस्टेज को रोकने को कम की जरूरत है क्योंकि यह उद्योग तेजी से बढ रहा है जिसमें प्लास्टिक के अलावा कैमिकल और कार्बन का उपयोग होता है जिससे हम रिसाइकल के द्वारा कम कर सकते हैं। मुकेश जवरिया ने कहा कि डब्लूएचओ ने स्टेनेबिलिटी लक्ष्य के अनुसार कि दुनिया में कोई भूखा नहीं रहे और सबको स्वच्छ जल मिले जो स्मार्ट मैट्रियल बेहतर उपयोग से यह लक्ष्य अजिर्त किया जा सकता है।
बॉश इंडिया लिमिटेड के हैड इजीनिरिंग, विपिन मिश्रा ने स्मार्ट मेटरियल की हमारे दैनिक जीवन में उपयोगिता पर प्रकाश डाला, वर्तमान पीढी उन्हें इस क्षेत्र में आगे रिसर्च और सुधार कर सकते है। हमें स्मार्ट मैटरियल से ना केवल पानी का बचाना है बल्कि उसे स्वच्छ रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। जल सरक्षण और सोलर इनर्जी के रखरखाव में ऐसी स्वचालित तकनीकी विकसित हो जिससे पानी का उपयोग कम से कम हो।
मणिपाल युनिवर्सिटी के डीन आॅफ इंजीनियरिंग प्रो.कुलदीप सिंह सांगवान ने कहा कि कोई भी उपकरण हो वह हमारे लिए तभी उपयोगी है जब उसमें मैटरियल सस्टेनेबल हो, पर्यावरण फेडली व गुणवतापूर्ण हो। उदाहरण देते हुए कहा कि चाइनीज बेटरी जो बिना गारंटी के सस्ते में सेल होता है उसमें हम मैटरियल सस्टेनेबिलिटी की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
वीजीयू के सीईओ इंजीं ओंकार बगरिया ने कहा कि सस्टेनेबल मैट्रियल्स विज्ञान और इंजीनियरिंग मौजूदा उच्च तकनीक क्रांति की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। मेटरियल विज्ञान की प्रगति दुनिया भर में सामग्री विज्ञान और औद्योगिक प्रौद्योगिकियों में तकनीकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है। सभी उभरते उद्योगों में सामग्रियों को महत्वपूर्ण घटक माना जाता है।