Home हेल्थ अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस विशेष -15 फरवरी 2025

अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस विशेष -15 फरवरी 2025

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बच्चों में कैंसर के लक्षणों की समय पर पहचान जरूरी

समय पर उपचार की शुरुआत बच्चों को कैंसर मुक्त करना है आसान
80 फीसदी से अधिक बाल कैंसर रोगी कैंसर को हराकर जी रहे हैं सामान्य जीवन

जयपुर। दिव्यराष्ट्र/ भूख ना लगना, बार-बार इन्फेक्शन होना, वजन कम होना जैसे लक्षण बच्चों में कई बार देखे जाते हैं। यह लक्षण बच्चों में होने वाले कैंसर को बताते हैं। समय पर जांच और उपचार की शुरुआत से बच्चों को कैंसर मुक्त किया जा सकता है। भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में होने वाले कैंसर कई तरह की चुनौतियों के साथ आता है, जैसे देर से पहचान, महंगा इलाज और जागरूकता की कमी। वहीं समय पर उपचार की शुरुआत से 80 फीसदी से अधिक बाल कैंसर रोगी कैंसर को हराकर सामान्य जीवन यापन करते है।

हेमेटो ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ उपेंद्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में होने वाले कैंसर वयस्कों के कैंसर से अलग होते हैं। ये आमतौर पर तेजी से विकसित होते हैं और इनके इलाज के लिए विशेष प्रकार की चिकित्सा की जरूरत होती है। सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि बच्चों में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर में ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर), ब्रेन ट्यूमर, लिंफोमा, न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर (किडनी कैंसर), रेटिनोब्लास्टोमा, ऑस्टियो सारकोमा और इविंग सारकोमा (हड्डियों का कैंसर) है। इन बच्चों में होनी सर्जरी भी बहुत चुनौतीपूर्ण होती है।

आनुवंशिक कारक है प्रमुख
बच्चों में होने वाले कैंसर को कोई एक स्पष्ट कारक नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारणों पर शोध किया गया है। इनमें आनुवंशिक कारक, पर्यावरणीय कारणों से रेडिएशन, प्रदूषण और जहरीले रसायनों के संपर्क में आने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी शामिल हैं।
बच्चों में कैंसर की स्थिति
ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 के अनुसार, भारत में 26,016 कैंसर रोगी
की पहचान प्रतिवर्ष हो रही है। राजस्थान में भी हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में नए कैंसर रोगियों की पहचान हो रही है।
लक्षणों की पहचान जरूरी
डॉ प्रषांत शर्मा ने बताया कि बच्चों में कैंसर के कई लक्षण है जिनमें अत्यधिक थकान और कमजोरी, लगातार बुखार रहना, असामान्य वजन घटना, हड्डियों या जोड़ों में दर्द, बार-बार संक्रमण होना, शरीर पर असामान्य सूजन या गांठ, आंखों की रोशनी में गिरावट या सफेद चमक दिखना। अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
चयनित ब्लड एवं किडनी कैंसर को निःषुल्क उपचार संभव
भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय के हेमेटो ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बीएमसीएच में बच्चों के कैंसर से जुड़ी दो परीयोजनाएं चलाई जा रही है, जिसके तहत बच्चों का निःषुल्क उपचार किया जाता है। जिसमें जीवनदान परियोजना की शुरुआत के तहत लो रिस्क वाले तीन तरह के ब्लड कैंसर एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल), एक्यूट प्रोमाईलोसाईटिक ल्यूकेमिया (एएमपीएल), होजकिन्स लिम्फोमा (एचएल) शामिल है। अगस्त 2014 से दिसंबर 2024 तक इस योजना में 9.71 करोड़ रुपए की लागत से 261 बच्चों को उपचार दिया जा रहा है। जिनमें से 161 बच्चे कैंसर मुक्त होकर सामान्य जीवन जी रहे है। इसी के साथ किडनी कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए विल्मस टयूम नाम से परियोजना चल रही है। मई 2016 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत अब तक 18 बच्चें रजिस्टर्ड हुए जिन्हें 27.22 लाख रूपए की लागात का उपचार देकर सभी बच्चों को कैंसर मुक्त किया जा चुका है।

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