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वैश्विक पटल पर भारत की संस्‍कृति को नए सिरे से कराया जा रहा परिचित : शेखावत

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विश्व धरोहर समिति की बैठक के समापन के बाद मीडिया से रू-ब-रू हुए केंद्रीय संस्‍कृति एवं पर्यटन मंत्री*

नई दिल्‍ली, दिव्यराष्ट्र/ केंद्रीय संस्‍कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने कहा कि विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक में जिस तरह भारत ने अपनी विविध, अनूठी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को दुनिया के सामने पेश किया, उससे जी-20 के बाद हुए इस ऐतिहासिक आयोजन से भारत के प्रति वैश्विक नजरिए को और ऊंचाई मिलेगी। शेखावत ने कहा, केंद्र में तीसरी बार एनडीए की सरकार बनने के बाद महज 40 दिन में ही इस ऐतिहासिक आयोजन का निर्णय करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ‘विरासत भी, विकास भी’ नारे का परिचायक है। वैश्विक पटल पर भारत की संस्‍कृति को नए सिरे से परिचित कराया जा रहा है।

विश्व धरोहर समिति की दस दिवसीय बैठक के समापन के बाद बुधवार को मीडिया से बातचीत में केंद्रीय मंत्री ने कहा, पिछले दस वर्षों में भारत की संस्‍कृति के संरक्षण और भारत की संस्‍कृति को विश्‍व पटल पर नए सिरे से परिचित कराने को लेकर अभूतपूर्व कार्य हुए हैं, जिसके अंतर्गत भारत के बाहर अवैध तरीके से गई कई पुरातात्विक संपदा को भारत वापस लाने के प्रयास भी तेज किए गए हैं। उन्‍होंने बताया, वर्ष 1972 में इस संबंध में कानून बनने के बाद जहां 2014 तक महज 13 ऐसी प्रॉपर्टी ही भारत वापस लाईं गईं थीं, वहीं 2014 के बाद पिछले 10 वर्षों में यह आंकड़ा 350 के पार पहुंच चुका है।

शेखावत ने कहा, भारत की अधिक से अधिक हेरिटेज संपदाओं को विश्‍व हेरिटेज लिस्‍ट में शामिल कराने में केंद्र सरकार ने सफलता अर्जित की है। जहां एक साल में केवल एक प्रॉपर्टी को ही इस लिस्‍ट में शामिल कराया जा सकता है, वहीं मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में ऐसी 13 प्रॉपर्टी को विश्‍व हेरिटेज लिस्‍ट में शामिल कराने में सफलता हासिल की है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, पहले पूर्वोत्‍तर भारत की प्राकृतिक संपदा के रूप में काजीरंगा और मानस नेशनल पार्क ही विश्‍व हेरिटेज सूची में शामिल थीं, लेकिन इस बार हम असम के मोइदम को पहले कल्‍चर हेरिटेज के रूप में विश्‍व हेरिटेज लिस्‍ट में शामिल कराने में सफल हुए हैं, जो भारत की 43वीं ऐसी संपदा हो गई है।

भारत की पहल पर हुआ ऐतिहासिक निर्णय
केंद्रीय मंत्री ने कहा, जी-20 बैठक में भारत की पहल पर वर्ष 2030 के डेवलमेंटल फ्रेमवर्क में कल्‍चर को विकास के मुख्‍य गोल में शामिल किया गया है। अभी तक कल्‍चर अन्‍य गोल्‍स में सहभागी के रूप में शामिल था। कल्‍चर एक ऐसा क्षेत्र है, जो न केवल रोजगार बढ़ा सकता है, बल्कि सांस्‍कृतिक मूल्‍यों के साथ जुड़ाव भी बढ़ाता है। इसलिए भारत ने वर्ष 2030 के डेवलमेंटल फ्रेमवर्क में कल्‍चर को मुख्‍य गोल के रूप में परिभाषित करने की पहल की थी, जिसे जी-20 में शामिल सभी देशों के प्रतिनिधियों से सहर्ष स्‍वीकार किया था। शेखावत ने कहा, भारत की पहल को स्‍वीकार किया जाना निश्चित ही भारत के वैश्विक प्रभुत्‍व का परिचायक है।

संस्‍कृति के संरक्षण पर जोर
केंद्रीय मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा और व्‍यक्तिगत प्रयासों से जिस तरह पिछले 10 वर्षों से देश की संस्‍कृति के संरक्षण को लेकर काम हो रहा है, वह विकसित भारत की दिशा में महत्‍वपूर्ण कदम है। वैश्विक पटल पर भारत की संस्‍कृति को नए सिरे से परिचित कराया जा रहा है। इस क्रम में जहां एक तरफ नालंदा विश्वविद्यालय, काशी कॉरिडोर का पुर्ननिर्माण हुआ है, वहीं इस श्रृंखला में उज्‍जैन महाकाल के कॉरिडोर का निर्माण भी हुआ है। उन्‍होंने कहा, बजट में जिस तरह गया के महाबोधि और विष्णुपद मंदिर के हॉलिस्टिक डेवलपमेंट की रूपरेखा रखी गई है, वह प्रधानमंत्री के विरासत भी और विकास के मंत्र को प्रदर्शित करने वाला है।

पड़ोसी देशों का सहयोग
शेखावत ने कहा, भारत का फोकस केवल भारत में स्थित ऐतिहासिक संपदाओं का संरक्षण करना ही नहीं है, बल्कि उन पड़ोसी देशों को सहयोग भी करना है, जिनके पास ऐसी संपदाओं के संरक्षण की क्षमता नहीं है। जैसे कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर, जाम टैम्‍प्‍ल ऑफ वियतनाम जैसे बहुत सारे स्‍थल हैं, जिनके संरक्षण को लेकर भारत सरकार प्रतिबद्ध है। उन्‍होंने कहा, प्रधानमंत्री जी ने इसके लिए 10 लाख डॉलर की सहायता राशि देने की घोषणा की है, जिससे ग्‍लोबल साउथ देशों की ऐसी धरोहरों के संरक्षण के लिए क्षमता का विकास किया जा सके।

अमेरिका से पुरातात्विक संपदा लाने में होंगे सफल
केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे पर गए थे तो उस दौरान वहां के राष्‍ट्रपति बाइडन के साथ कल्‍चर प्रॉपर्टी एग्रीमेंट साइन हुआ था, जिसके बाद अमेरिका में अवैध तरीक से गई भारत की पुरातात्विक संपदा को भारत लाना आसान हो गया है। शेखावत ने कहा, इस महत्‍वपूर्ण एग्रीमेंट के बाद हम जल्‍द ही अमेरिका से सैकड़ों पुरातात्विक संपदाओं को भारत लाने में सफल होंगे।

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