Home हेल्थ भारतियों का ‘हेल्थ ऑफ द नेशन 2025′ रिपोर्ट जारी

भारतियों का ‘हेल्थ ऑफ द नेशन 2025′ रिपोर्ट जारी

22 views
0
Google search engine

देश में फैटी लिवर, मेनोपॉज़ समस्या, पोषण कमी, बच्चों में मोटापा और गैर-संचारी रोगों के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं*

 

मुंबई, दिव्यराष्ट्र/: अपोलो हॉस्पिटल्स ने आज अपनी ‘हेल्थ ऑफ द नेशन 2025 (एचओएन- 2025) रिपोर्ट के पांचवें संस्करण का लॉन्च किया, जो स्पष्ट रूप से संदेश देती है कि ‘लक्षणों का इंतज़ार न करें- निवारक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।’’ देश भर में अपोलो सिस्टम से 2.5 मिलियन लोगों की स्वास्थ्य जांच पर आधारित यह रिपोर्ट एक मूक महामारी का खुलासा करती है, जिसके अनुसार लाखों लोग क्रोनिक बीमारियों से पीड़ित हैं जबकि उनमें इन बीमारियों के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। उल्लेखनीय है कि इनमें से 26 फीसदी लोग हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) का शिकार हैं और 23 फीसदी डायबिटीज़ से पीड़ित हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि लक्षणों पर आधारित हेल्थकेयर मॉडल अब व्यवहारिक नहीं रहा।

 

अपोलो के ‘हेल्थ ऑफ द नेशन 2025’ रिकॉर्ड के मुताबिक निवारक स्वास्थ्य जांच अब कई गुना बढ़ गई है 2019 में एक आंकड़ा 1 मिलियन था जो 5 सालों में 150 फीसदी बढ़कर 2024 में 2.5 मिलियन पर पहुंच गया है। ये आंकड़े आम जनता में बढ़ती जागरुकता और निवारक स्वास्थ्य जांच के बढ़ते महत्व की ओर इशारा करते हैं। एचओएन 2025 के रूझान अपोलो के अस्पतालां, क्लिनिकों, डायग्नॉस्टिक लैब्स एवं वैलनैस सेंटरों में इलेक्ट्रिनिक मेडिकल रिकॉर्ड्स (निवारक स्वास्थ्य जांच के ईएमआर), संरचित क्लिनिकल जांच एवं एआई-उन्मुख जोखम स्तरीकरण से जुटाए गए हैं। यह रिपोर्ट तात्कालिक स्वास्थ्य की तीन चुनौतियों पर ध्यान केन्द्रित करती हैः फैटी लिवर रोग, मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य में गिरावट और बचपन में मोटापा। ये आंकड़े जल्द से जल्द व्यक्तिगत हस्तक्षेप एवं जीवनशैली पर आधारित देखभाल के मॉडल्स की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।

 

डॉ प्रताप रेड्डी, चेयरमैन, अपोलो हॉस्पिटल्स ने कहा,‘‘भारत में हर परिवार को स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर स्वस्थ एवं खुशहाल परिवार बनने का अवसर मिलना चाहिए। निवारक स्वास्थ्य देखभाल अब केवल भावी महत्वाकांक्षा नहीं रही- यह देश के कल्याण का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। यह रिपोर्ट हर नागरिक को जागरुक एवं सशक्त बनाने, जल्द से जल्द हस्तक्षेप करने और स्क्रीनिंग की आवश्यकता पर ज़ोर देती है। समय आ गया है कि निवारक देखभाल को हर शैक्षणिक पाठ्यक्रम, कॉर्पोरेट नियोजन एवं पारिवारिक दिनचर्या में शामिल किया जाए। ऐसा करके ही हम बीमारियों के इलाज के बजाए स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने पर ध्यान दे सकते हैं तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ एवं सशक्त भारत को सुनिश्चित कर सकते हैं।’’

 

 

फैटी लिवर भारत का नया मेटाबोलिक सिगनल* :एक समय था जब माना जाता था कि फैटी लिवर सिर्फ उन्हीं लोगों को होता है जो शराब का सेवन करते हैं, लेकिन आज मोटापे, डायबिटीज़ एवं उच्च रक्तचाप के चलते भी फैटी लिवर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। 257,199 लोगां की जांच में 65 फीसदी में फैटी लिवर पाया गया, खास बात यह है कि इनमें से 85 फीसदी लोग शराब का सेवन नहीं करते हैं। इनमें से आधे से अधिक लोगों में रक्त जांच के परिणाम ठीक है- इन आंकड़ों से साफ है कि निदान के पारम्परिक तरीके अब जांच के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

 

महिलाओं का स्वास्थ्य : एचओएन 2025 रिपोर्ट से साफ है कि मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य में अचानक गिरावट आती है। मेनोपॉज़ से पहले डायबिटीज़ के 14 फीसदी मामले पाए गए वहीं मेनोपॉज़ के बाद यह आंकड़ा 40 फीसदी दर्ज किया गया। इसी तरह ओबेसिटी की संभावना भी 76 फीसदी से बढ़कर 86 फीसदी हो गई और फैटी लिवर के मामले 54 फीसदी से बढ़कर 70 फीसदी पर पहुंच गए। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि हॉर्मोनल बदलाव का महिलाओं के स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है। ऐसे में महिलाओं के लिए ज़रूरी है कि मेनोपॉज़ की अवस्था में पहुंचने पर वे अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए सक्रिय एवं व्यक्तिगत दृष्टिकोण अपनाएं।

 

बच्चों में ओबेसिटी यानि मोटापे के बढ़ते मामले : छात्रों में ओबेसिटी के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं जो सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गहरा खतरा है। रिपोर्ट के अनुसार प्राइमरी स्कूल के 8 फीसदी छात्रों का वज़न सामान्य से अधिक पाया गया। किशोरावस्था तक ये आंकड़े और अधिक बढ़ जाते हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here