एडवांस्ड न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और क्लीन एनर्जी सॉल्यूशंस में भारत के भविष्य की कमान संभाली*
मुंबई, दिव्यराष्ट्र/ : माननीय वित्त मंत्री ने अपने हालिया बजट में वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित किया है, साथ ही अनुसंधान एवं विकास के लिए तत्काल 20,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीटी), मुंबई ने राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा मिशन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए ‘सेंटर फॉर एनर्जी साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ के शुभारंभ की घोषणा की है। यह भारत को वैश्विक परमाणु ऊर्जा क्रांति में सबसे आगे रखने वाली एक साहसिक और दूरदर्शी पहल है। लंबे समय से रिसर्च, इनोवेशन और उद्योग जगत के साथ साझेदारी में आईसीटी की क्षमताओं का लाभ उठाते हुए, यह नया केंद्र एडवांस्ड न्यूक्लियर एनर्जी सिस्टम्स के साथ-साथ कार्यबल को निखारने में उत्कृष्टता का राष्ट्रीय केंद्र बनने के लिए तैयार है।
6 मई, 2025 को मुंबई के इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी में के.वी.ऑडिटोरियम में ‘परमाणु विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के विकास के लिए उद्योग-शिक्षा जगत की साझेदारी’ के विषय पर आयोजित एक भव्य सम्मेलन में यह घोषणा की गई। होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान के कुलाधिपति तथा एईसी के पूर्व-अध्यक्ष एवं डीएई के सचिव, भारत सरकार, डॉ.अनिल काकोडकर ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित किया।
डॉ.अनिल काकोडकर, कुलाधिपति – होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान, एईसी पूर्व-अध्यक्ष, डीएई सचिव, ने कहा,”शैक्षणिक समुदाय को हमेशा स्वतंत्र एवं मौलिक विचारों की तलाश रहती है, जो हमारे देश और दुनिया के भविष्य को संवारने में बेहद अहम भूमिका निभाता है। जब सरकारें लंबे समय के लिए नीतियों और लक्ष्यों को निर्धारित करती हैं, तब यह समुदाय उन्हें सही राह दिखाने वाली रोशनी की तरह काम करता है। अनुसंधान एवं विकास के लिए किसी देश का संकल्प ही उसकी प्रगति का मुख्य आधार है, और परमाणु ऊर्जा में अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए मैं रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीटी) का अभिनंदन करता हूँ, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा और विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है।”
आईसीटी ने वैज्ञानिक उपलब्धियों और सामाजिक प्रभाव की अपनी विरासत को संजोकर रखा है, और अब यह संस्थान भारत में ऊर्जा के क्षेत्र को नया स्वरूप देने पर विशेष ध्यान दे रहा है। यह केंद्र मुख्य रूप से नेक्स्ट जेनरेशन न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी पर ध्यान देगा, जिनमें स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर), माइक्रो मॉड्यूलर रिएक्टर (एमएमआर), हाइड्रोजन जेनरेशन, तथा एक्सीलरेटर टेक्नोलॉजीज शामिल हैं जो स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने की दिशा में भारत के बढ़ते कदम के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
प्रो.जे.बी.जोशी, कुलपति, आईसीटी ने कहा,”भारत की ऊर्जा सुरक्षा, निडर होकर इनोवेशन करने और निर्णायक कार्रवाई करने की हमारी क्षमता पर निर्भर है। आईसीटी का सेंटर फॉर एनर्जी साइंस एंड टेक्नोलॉजी आत्मनिर्भरता और सस्टेनेबिलिटी के लिए हमारे देश के विज़न के अनुरूप होगा, जो अनुसंधान, प्रतिभा और टेक्नोलॉजी को राह दिखाने वाला प्रेरणास्रोत बनेगा।”
आईसीटी केंद्र अनेक कार्य करेगा इनमें अत्याधुनिक एवं स्वाभाविक रूप से सुरक्षित रिएक्टरों के विकास की अगुवाई करेगा, जिसमें 100एम डब्ल्यूई के पीडब्ल्यूआर आधारित छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर तथा 5 से। एमडब्ल्यूई के मोल्टन सॉल्ट आधारित माइक्रो मॉड्यूलर रिएक्टर शामिल हैं। साथ ही
अगली पीढ़ी के परमाणु इंजीनियरों एवं वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण देगा, जिसमें बेहद सम्मानजनक काकोदकर एवं शर्मा फेलोशिप सहित एमटेक, पीएचडी तथा पोस्ट-डॉक्टोरल शोधकर्ताओं के लिए कार्यक्रम भी शामिल होंगे।
स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन, नीतियों के संबंध में सलाह और एडवांस्ड एनर्जी सिस्टम्स में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र की भूमिका निभाएगा।
यह केंद्र सिमुलेटर और एक्सेलरेटर फैसिलिटी सहित अत्याधुनिक सुविधाओं वाली लैबोरेट्री का निर्माण करेगा ताकि काम करने का प्रत्यक्ष अनुभव और उपयोग पर आधारित शिक्षण सुनिश्चित हो सके।
· न्यूक्लियर प्रोफेशनल के प्रशिक्षण हेतु विशेष कार्यक्रम विकसित करेगा, जिससे हर साल 100 से अधिक प्रमाणित विशेषज्ञ तैयार होंगे, जो भारत के भावी रिएक्टरों के निर्माण और संचालन की कमान संभालेंगे।
आईसीटी ने इस पहल के ज़रिये राष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्टता संस्थान और भारत के विकास के लक्ष्य को आगे बढ़ाने वाली एक बड़ी ताकत के रूप में अपनी साख को और मजबूत किया है। यह केंद्र न केवल देश की परमाणु ऊर्जा क्षमताओं को बदल देगा, बल्कि सभी के लिए स्वच्छ, भरोसेमंद एवं सुरक्षित ऊर्जा का संकल्प लेने वाले टेक्नोलॉजी के जानकार लोगों, शोधकर्ताओं और नीति निर्धारकों की एक नई पीढ़ी को भी तैयार करेगा।