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अंतर्धर्म एकता एवं शान्ति के लिए हार्टफुलनेस ने महाबोधि पौधे का प्रतिष्ठापन किया

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चौदहवें दलाई लामा के प्रतिनिधि और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संगठन के वरिष्ठ प्रमुखों मौजूद रहे

हैदराबाद, दिव्यराष्ट्र/ को हार्टफुलनेस संस्था द्वारा सोमवार से प्रारम्भ होने वाले विशेष भंडारे का शुभारम्भ किया गया इस अवसर पर कान्हा शान्तिवनम के परिसर में जो हैदराबाद की बाहरी सीमा पर स्थित संसार का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र है, महाबोधि के पौधे का प्रतिष्ठापन किया गया। यह अवसर हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक अध्यक्ष दाजी के जन्मदिवस समारोह का भी है। निम्नलिखित प्रमुख हस्तियों ने विशेष अतिथियों के रूप में समारोह में सहभागिता कर उसकी शोभा बढाई- अभिजित हलदर- अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संगठन के डायरेक्टर जनरल; गेशे तेनजिन पेलचोक- परम श्रद्धेय चौदहवें दलाई लामा के प्रतिनिधि वेन खेमचन्द्र भिक्खु- डिप्टी सेक्रेटरी जनरल अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संगठन (श्रीलंका)। भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्दजी भी समारोह में उपस्थित थे। विश्व भर से लगभग अस्सी हजार सहभागी ध्यान के कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए पधारे। महाबोधि के पौधे का प्रतिष्ठापन इस भंडारा आयोजन का प्रमुख आकर्षण था।
अभिजित हलदर – अन्तराष्ट्रीय बौद्ध संगठन के डायरेक्टर जनरल ने इस अवसर पर कहा, “बोध गया में स्थित पवित्र बोधि वृक्ष के वंशज का आगमन हार्टफुलनेस के आपके इस स्थान पर हो रहा है। बोधि वृक्ष को जागरण का वृक्ष कहा जाता है और इसके नीचे बैठ कर ईसा से 500 वर्ष पूर्व बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। श्रीलंका में हमारे लिए यह बहुत पवित्र है क्योंकि हमें पवित्र बोधि वृक्ष के वंश का पौधा ईसा से 239 वर्ष पूर्व सम्राट अशोक की पुत्री संघमित्रा के हाथों प्राप्त हुआ था। पूज्य दाजी पवित्र वृक्ष को इस भूमि पर ले आये हैं। यह हम सबके लिए जो यहाँ एकत्रित हुए हैं एक महान आशीर्वाद की तरह है। यह पवित्र वृक्ष कल्पवृक्ष माना जाता है और लाखों लोग इसके लिए गया और श्रीलंका जाते हैं। और यह हमारे लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण पल है।”
गेशे तेनजिन पेलचोक- चौदहवें दलाई लामा के प्रतिनिधि ने कहा, “श्रद्धेय दलाई लामा ने मानव प्रवृत्ति की पुरातन धारणा में क्रांतिकारी प्रतिवर्तन लाया। उन्होंने मानवता के लिए सार्वभौमिक करुणा को अपना साधन बनाया। तिब्बत में चीनी लोगों के लिए कोई आक्रोश नही है। हम चीन से स्वतंत्रता की मांग नही करते। हम उनके साथ वास्तविक समरसता चाहते हैं ताकि हम तिब्बत में साथ साथ रह सके। हार्टफुलनेस में भी मैं सभी लोगों में एकता को अनुभव कर सकता हूँ। यह अद्भुत है। इसके पहले जब मैं ग्लोबल स्पिरिचुएलिटी महोत्सव के लिए यहाँ आया था तब मुझे लगता था कि काश दाजी की दलाई लामा से भेंट हो सके। इन दोनों के पास दूरदृष्टि है और करुणापूर्ण व्यावहारिक दृष्टिकोण है और ऐसे लोगों को साथ आना चाहिए। हार्टफुलनेस शब्द मेरे मन में गूँजित होता है, श्रद्धेय दलाई लामा की भी इसी तरह के सार्वभौमिक मूल्यों का समर्थन करते हैं। विभिन्न विशेषज्ञों से यह प्रश्न बार बार पूछा जाता है कि हमारी आधुनिक शिक्षा पद्धति में विश्व शान्ति के मामले क्या कमी है? यह वास्तव में शिक्षा में एक खालीपन की तरह है- करुणा और सार्वभौमिक मूल्यों का अभाव। हार्टफुलनेस सुंदर है। हमारी मान्यता जो भी हों, हम श्रद्धेय दलाई लामा और दाजी से सन्देश ग्रहण कर के दुखों को छोड़ दें और प्रसन्नता को अपनाएँ।”

महाबोधि वृक्ष को सारे संसार में पूजा जाता है क्योंकि इस वृक्ष के नीचे बैठ कर गौतम बुद्ध को ज्ञान पाप्त हुआ था। महाबोधि वृक्ष से प्राप्त होने वाले कुछ पौधों ने काफी यात्रा की है और उनमें से एक चेन्नई की थियोसोफिकल सोसाइटी में भी लगाया गया है। हार्टफुलनेस के परिसर में इसका पौधा लगाना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका उद्देश्य सकारात्मकता फैलाना और सामूहिक चेतना का विकास है।

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