Home न्यूज़ जकौ चार वरणां सूं न्यारौ वौ चारण : प्रोफेसर अर्जुनदेव

जकौ चार वरणां सूं न्यारौ वौ चारण : प्रोफेसर अर्जुनदेव

60 views
0
Google search engine

जोधपुर,, दिव्यराष्ट्र/भारतीय ज्ञान परम्परा में वेदों को आदि ग्रंथ माना जाता है,वेदों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि इस सृष्टि के सारे जीव कश्यप ऋषि की संतान है मगर चारण परम्परा का संबंध कश्यप ऋषि से नहीं है क्योंकि चारण चार वर्णों से अलग है जिसका सीधा संबंध स्वयंभू शिव से है। यह विचार ख्यातनाम कवि-आलोचक प्रोफेसर डाॅ. अर्जुनदेव चारण ने करणी मण्डल जोधपुर द्वारा आयोजित ‘करणी व्याख्यान माला” के प्रथम पुष्प के अंतर्गत आयोजित ‘ चारण परम्परा ‘ विषयक विशेष व्याख्यान में व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि चारण भगवान स्वयंभू शिव की सृजना है जो आदिशक्ति जगदम्बा के चरणों का उपासक होने के नाते इस सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर आज संसार में घटित प्रत्येक घटना साक्षी रहा है ।

चारण परम्परा की प्रामाणिक विवेचना करते हुए प्रोफेसर अर्जुनदेव चारण ने सतयुग त्रेतायुग द्वापरयुग के इतिहास संदर्भ के आधार पर कहा यजुर्वेद, श्रीमदभागवत, वायु पुराण का 55 वांअध्याय, लिंग पुराण का 103 वां अध्याय, कूर्व पुराण एवं ललितोपाख्यान सहित ऐसे अनेक ग्रंथ मौजूद है जो इस बात के प्रमाण है कि चारण की उत्पति ऋषि कश्यप से नहीं बल्कि उससे पहले स्वयंभू शिव से हुई है जो सृष्टि के प्रारम्भ से आज तक धर्म का पोषण करता रहा है। चारण किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि लोक में मानवीय कार्य करने वाले व्यक्तित्व के गुणों का बखान कर मानवता के पक्ष में खड़ा रहा है । भारतीय ज्ञान परम्परा के आधार पर प्रोफेसर डाॅ. अर्जुनदेव चारण ने कहा कि चारण परम्परा श्रमण परम्परा को जोड़ती है जो सनातन, बौध,जैन या अन्य परम्पराओं से बहुत प्राचीन और सम्यक दृष्टि वाली है।उन्होनें कहा कि जैन धर्म में चारण परम्परा को ‘ अगमभाखी ‘ कहा गया है । मगर सामंती युग में चारणों की देवत्व शक्ति क्षीण हुई परिणामस्वरूप वर्तमान में चारण कई संकटो से जूझ रहा है ।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। तत्पश्चात मुख्यवक्ता प्रोफेसर डाॅ. अर्जुनदेव चारण का आयोजन समिति द्वारा साफा,शाॅल,पुष्पगुच्छ एवं माल्यार्पण कर भव्य अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम संयोजक डाॅ.सोहनदान चारण ने व्याख्यानमाला का उदेश्य एवं मुख्यवक्ता का जीवन परिचय प्रस्तुत किया।

डाॅ.अर्जुनदेव एक शब्द ऋषि : प्रतिष्ठित विद्वान अर्जुनसिंह उज्ज्वल जालौर ने चारण परम्परा पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वेद ,पुराण,उपनिषद,रामायण, महाभारत सहित अनेकानेक पवित्र ग्रंथों का मंथन करके प्रोफेसर अर्जुनदेव चारण ने हम सबको अमृत पान करवाया है।

समारोह में प्रोफेसर सोहनदान चारण, गजेसिंह राजपुरोहित,महिपालसिंह उज्ज्वल,अजीतसिंह भरत, सरदारसिंह सांदू,माधव सिंह बेह, महावीर सिंह मथाणिया,श्याम सिंह देथा,नरपतसिंह सांदू,अर्जुनदान उज्ज्वल,मोहनसिंह रतनू,मुकुंददान भीयाड़,जीवराजसिंह जुड़िया, इन्द्रदान चारण,सवाईसिंह महिया, आशीष चारण,राणीदान आएएस, विजयदान मथाणिया,हरिसिंह सांदू, राजेन्द्र सिंह बारहठ,मनोज खिड़िया, इला चारण,नरेंद्रसिंह सहित अनेक प्रतिष्ठित विद्वान लेखक एवं साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here