जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ जिस नाम में दिव्य और विस्मृत करने वाला आकर्षण है और जो अनंत काल से जन के मानस पर छाया है, उस मोहक, चंचल ‘कृष्ण’ का आगमन हो चुका है और पूरी प्रकृति नंदलाल का स्वागत करने के लिए आतुर हो गई है|
‘वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥*
जगद्गुरु कृष्ण का अवतरण हो चुका है और पूरा गुप्त वृन्दावन जयपुर उन्ही की लीलाओं का गुणगान कर रहा है और उन्ही के प्रेम वात्सल्य में भाव विभोर हो रहा है| श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर में भी जन्माष्टमी पर यशोदानंदन का भव्य अभिनन्दन किया गया, सुबह की मंगला आरती के साथ ही मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव की शुरुआत हो गई जो मध्यरात्री को नंदलाला के महाभिषेक और महाआरती के साथ संपन्न हुआ|
मंदिर के अध्यक्ष अमितासना दास ने जन्माष्टमी महोत्सव के आयोजन के बारे में विशेष जानकारी देते हुए बताया की श्री कृष्ण बलराम मंदिर में भगवान् कृष्ण का स्वागत बहुत ही धूम धाम से किया गया, भगवान् ने सुनहरी रेशम की पौशाक धारण की, उन्हें 108 प्रकार के राज भोग अर्पित किये गए इसके साथ ही हर अभिषेक के बाद मिष्ठान और माखन मिसरी का भोग लगाया गया| उन्हें चन्दन के तेल से पंचामृत स्नान करवाया गया, इसके साथ ही फलों, फूलों और औषधियों से उनका अभिषेक किया गया| उनके श्रृंगार के लिए दक्षिण भारत और बंगलुरु से विशेष प्रकार के चमेली, जूही, कमल, मोगरा और गेंदा के फूल मंगवाए गए|
जन्माष्टमी पर श्री श्री कृष्ण बलराम ने विशेष आभूषण धारण किये जो की महाराष्ट्र के कारीगरों ने तैयार किये थे| मध्यरात्री 12 बजे यशोदानंदन का अभिषेक हुआ जिसमे पूरे जयपुर से लाखों श्रद्धालु उपस्थित हुए और भगवान का आशीर्वाद लिया| उन्होंने कहा की यह पर्व श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर में मनाया जाने वाला साल का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक उत्सव है जिसे इस वर्ष भी बड़ी ही भव्यता के साथ मनाया गया |