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पद भी शास्त्री को सादगी से डिगा नहीं पाया

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(डॉ.सीमा दाधीच) भारत जैसे विशाल देश का प्रधान मंत्री पद भी देश के द्वितीय प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनकी सादगी से डिगा नहीं पाया। देश के सर्वोच्च पद पर आसीन ऐसे महान व्यक्ति के जीवन से हमे सादगीभरा जीवन जीने की शिक्षा लेनी चाहिए।
शास्त्री का बचपन चुनौती और कठिनाई से भरा हुआ था। छात्र जीवन में माथे पर बस्ता और कपड़ा रख शास्त्री कई किलोमीटर लंबी गंगा नदी को पार कर स्कूल जाया करते थे। स्कूल में मेधावी छात्र होने की वजह से बचपन में उन्हें तीन रुपए वजीफा भी मिला करता था। देश के करोड़ों लोग आज भी लाल बहादुर शास्त्री को सादगी के लिए याद करते है। वे विनम्र, सहनशील, महान आंतरिक शक्ति और दृढ़ संकल्प वाले , दूरदर्शिता के धनी व्यक्ति थे । प्रथम प्रधान मंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री के कंधों पर भारत देश की बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी, वे देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने उन्होंने इतनी समझदारी से देश के कामकाज को संभाला। शास्त्री ने अपने प्रथम संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उनकी शीर्ष प्राथमिकता खाद्यान्न मूल्यों को बढ़ने से रोकना है और वे ऐसा करने में सफल भी रहे। जैसा कि मैं देखता हूँ, शासन का मूल विचार समाज को एक साथ रखना है ताकि वह विकसित हो सके और कुछ लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ सके। सरकार का काम इस विकास, इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाना है।”
शास्त्री की नीतियां हरित क्रांति,युद्ध और आर्थिक लचीलापन,आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना वाली थी जो आज भी हमारे सामने आत्म निर्भर भारत का मुख्य बिंदु है । यह उनकी दूरदर्शिता को बताता है।
लाल बहादुर शास्त्री भारत की क्रांति के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान प्रसिद्ध नारा “जय जवान जय किसान” गढ़ा, जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों और कृषि समुदाय का मनोबल बढ़ाना था। इन्होंने देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाई थी. काशी विद्यापीठ से लाल बहादुर को शास्त्री की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने जन्म से चला आ रहा जातिसूचक शब्द ‘श्रीवास्तव’ हमेशा हमेशा के लिये हटा दिया और अपने नाम के आगे ‘शास्त्री’ लगा लिया। इसके पश्चात् शास्त्री शब्द लालबहादुर के नाम का पर्याय ही बन गया। और सम्पूर्ण भारत उन्हे शास्त्री के नाम से संबोधित करने लगा।
अपने विवाह में उन्होंने दहेज लेने से इनकार कर दिया था. लेकिन ससुर के बहुत जोर देने पर उन्होंने कुछ मीटर खादी के कपड़े और चरखा दहेज के रूप में स्वीकार कर ससुराल पक्ष का सम्मान किया। । जब उन्हें प्रथम लोकतांत्रिक सरकार मे पुलिस एवं परिवहन मन्त्रालय सौंपा गया तब उन्होंने प्रथम बार महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की थी। पुलिस मंत्री होने के बाद उन्होंने भीड़ को नियन्त्रण में रखने के लिये लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारम्भ कराया।लाल बहादुर शास्त्री पहले व्यक्ति थे जिन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

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