इंदौर, दिव्यराष्ट्र/ : जब देश की बात होती है, तो कई निजी कंपनियाँ केवल लाभ के लिए काम करती हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी होती हैं जो अपने फायदे से आगे सोचते हुए समाज की भलाई को भी अपना लक्ष्य बना लेती हैं। ऐसा ही एक सराहनीय प्रयास है ‘2030 का भारत’, जो न सिर्फ एक मिशन है, बल्कि भारत को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाने का संकल्प भी है। ग्लोबल ट्रायंफ फाउंडेशन द्वारा आयोजित वर्ल्ड बिजनेस कॉन्क्लेव 2025 में ‘2030 का भारत’ को सोशल चेंज अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जो इस प्रयास की पारदर्शिता, उद्देश्य और प्रभावशीलता को दर्शाता है।
यह पहल संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के तीन अहम मुद्दों, गरीबी मुक्त भारत, भूख मुक्त भारत और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ रही है। यह मिशन उन पहलुओं पर केंद्रित है, जो आने वाले सालों में देश की दिशा और दशा तय करेंगे। ‘2030 का भारत’ ने अब कई कॉर्पोरेट कंपनियों, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों को साथ जोड़कर एक मजबूत नेटवर्क बना लिया है, ताकि यह मुहिम देश के कोने-कोने तक पहुँच सके।
इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए, इस पहल की निदेशक स्नेहा तिवारी ने कहा, “यह अवॉर्ड हमारे प्रयासों की पहचान है, लेकिन असली जीत तब होगी जब हम उन परिवारों की ज़िंदगी में बदलाव ला पाएंगे जिनकी ज़रूरतें अब भी अनदेखी हैं। हमारा लक्ष्य सिर्फ लक्ष्य पूरे करना नहीं है, बल्कि समाज में असल फर्क लाना है। हम चाहते हैं कि 2030 तक हर बच्चा पढ़े, कोई भूखा न सोए और गरीबी सिर्फ एक शब्द रह जाए।”
इस पहल ने यह दिखा दिया है कि जब इरादे नेक हों और उद्देश्य समाज को बेहतर बनाना हो, तो निजी संस्थाएँ भी सामाजिक बदलाव की सशक्त वाहक बन सकती हैं। ‘2030 का भारत’ आज एक विज़न है, कल एक बदलाव होगा और यह बदलाव अब शुरू हो चुका है।