डॉक्टर्स डे स्पेशल – सफेद कोट के पीछे: अस्पताल के बाहर एक डॉक्टर की ज़िंदगी

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(जयपुर,दिव्यराष्ट्र) डॉक्टरों को अक्सर लोग ऐसा मानते हैं कि वे थकते ही नहीं, क्योंकि वे लंबे समय तक काम करते हैं, इमरजेंसी संभालते हैं और मरीजों की भावनाओं का भी ख्याल रखते हैं। लेकिन हर सफेद कोट और स्टेथोस्कोप के पीछे एक इंसान होता है, जो हमेशा अपने पेशेवर और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता है। डॉ. हिमानी शर्मा, सीनियर कंसलटेंट एंड क्लीनिकल हेड- ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी और डॉ. प्रिया गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, कोकून हॉस्पिटल, जयपुर ने बताया कि

डॉक्टर की तंदुरुस्ती*
दुनियाभर में कई डॉक्टरों के लिए उनके पसंदीदा शौक एक ज़रूरी राहत का जरिया होते हैं और ये उन्हें उनके पेशे से परे उनकी अपनी पहचान का एहसास भी कराते हैं। शौक डॉक्टरों को ज़मीन से जुड़े रहने में मदद करते हैं और अस्पताल में व्यस्त दिन बिताने के बाद उन्हें सुकून भी देते हैं। ये शौक चाहे कला हो, संगीत, पढ़ाई या खेल – ये सभी छोटी-छोटी खुशियाँ डॉक्टरों को मानसिक तनाव से उबरने में मदद करती हैं और उन्हें हर दिन पूरी ऊर्जा के साथ अपना काम करने की ताकत देती हैं, तभी उनमें तंदुरुस्ती भी बनी रहती है।

परिवार: ताकत का स्रोत*
आजकल डॉक्टरी पेशा बहुत डिमांडिंग है और रातों व वीकेंड तक चलता है। इसके बावजूद परिवार ही डॉक्टरों की सबसे बड़ी ताकत है। चाहे काम कितना भी भारी हो, दिन के आखिर में अपनों के साथ समय बिताने या बच्चों के साथ खाना खाने से उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। यही छोटे-छोटे पल डॉक्टरों को भावनात्मक ऊर्जा देते हैं और याद दिलाते हैं कि मरीज़ों की सेवा के साथ जीवन में और भी मकसद हैं।

जो सलाह देते हैं, वही अपनाते हैं
डॉक्टर अक्सर मरीज़ों को स्वस्थ खानपान, सक्रिय जीवनशैली और पर्याप्त आराम की सलाह देते हैं – और ज्यादातर डॉक्टर खुद भी यही अपनाते हैं। नियमित योग व व्यायाम से वे खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखते हैं, ताकि उनकी प्रोफेशनल चुनौतियों का सामना कर सकें।

वीकेंड से जरूरी काम को प्राथमिकता
कई बार कॉल ड्यूटी या इमरजेंसी डॉक्टरों के वीकेंड के प्लान को बिगाड़ देती है, लेकिन वे अपने शौक, खेल, नए एक्टिविटीज़ व परिवार के साथ वक्त बिताने की कोशिश करते हैं। परिवार के साथ समय बिताना मानसिक मजबूती के लिए भी जरूरी है।

संतुलन बनाना*
एक बेहतरीन डॉक्टर बनने के लिए जरूरी है कि वे मरीज़ों की एमरजेंसी, ओपीडी, सर्जरी के साथ परिवार की जिम्मेदारियां भी अच्छे से निभाएं। यह काम आसान नहीं लेकिन पेशेवर सफलता और निजी सुख-शांति के लिए जरूरी है।

इस डॉक्टर डे पर हमें डॉक्टरों की मेडिकल योग्यता, समर्पण और हुनर की तारीफ के साथ उनकी इंसानियत और संघर्ष को भी पहचानना चाहिए। क्योंकि हर सफेद कोट के पीछे एक इंसान होता है, जो अस्पताल की दीवारों से बाहर भी अपने जीवन से जुड़े रहना चाहता है, क्योंकि दूसरों का इलाज करने से पहले उसे अपने मन, मस्तिष्क और शरीर की देखभाल करनी चाहिए।

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