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दीपोत्सव अनेक संदेश और प्रेरणा से भरा पर्व

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(डॉ.सीमा दाधीच)

दीपावली पर्व सनातनियो का महान् पर्व होने के साथ ही संपूर्ण भारत की आत्मीयता का उत्सव है इस पर्व को मनाने के लिए भारतीय समाज कई माह पूर्व उत्साह के साथ धन, वैभव की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न कर वर्ष भर के लिए खुशियां मांगता है साथ ही दूज पूजन कर मां सरस्वती से भी आशिर्वाद लिया जाता है यानी ऋद्धि, सिद्धि के दाता सहित इस पर्व पर गौमाता, भगवान कृष्ण की भी अराधना अलग अलग दिवस पर की जाती हैं। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन श्री राम लंकापति रावण जो ज्ञानी विद्वान और महान् शिव भक्त था उसे हरा कर मारने के बाद अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे। भगवान राम की अयोध्या वापसी और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है दीपोत्सव।दीपावली हमें सिखाती है कि अहंकार, अधर्म और बुराई का अंत सुनिश्चित है और सत्य, धर्म और अच्छाई की जीत होती है।
यह त्योहार हमें अपने जीवन में सत्य और ज्ञान के प्रकाश को जगाए रख कर अज्ञानता और अधर्म का अंधकार दूर करने का संदेश भी देती है।दिपावली पर्व को लेकर कुछ अलग मान्यताएं भी हैं। इस पर्व को राम के वनवास से घर लौटने के साथ ही कई और मान्यताएं भी रखते हैं
जैन धर्म के लोग दीपावली के त्योहार को इसलिए मना रहे हैं क्योंकि चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और संयोगवश इसी दिन उनके शिष्य गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
इसी प्रकार सिख धर्म के लोग भी इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं,वे लोग इस पर्व को इसलिए मनाते हैं क्योंकि इसी दिन 1577 में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का अनावरण हुआ था। साथ ही सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह जी को भी इसी दिन की कहानी जाँहगीर से रिहा कर दी गई थी।
वैसे ही आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती और प्रसिद्ध वेदांती स्वामी रामतीर्थ ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था।
दिपावली उत्सव देवी लक्ष्मी की मुक्ति का भी प्रतीक है, जिन्हें राजा बलि ने कैद कर लिया था। भगवान विष्णु ने भेष बदलकर उन्हें राजा से मुक्त कराया जिससे कई क्षेत्रों में दिवाली का हर्षोल्लास मनाया जाने लगा,आम तौर पर यह पर्व पूजनीय देवी लक्ष्मी के आगमन का प्रतीक है। दीपावली का हिंदू धर्म में विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि श्रीराम जी ने अपने अवतार में भगवान जैसा रूप नहीं दर्शाया है बल्कि उन्होंने मानव के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है इसीलिए उन्हें “मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम चंद्र जी ” कहते हैं ।भगवान राम जी को जगत के पालनहार भगवान विष्णु के 10 अवतारों में 7वां अवतार माना जाता है। श्री राम ने पिता की आज्ञा को सर्वोपरि मानकर 14 वर्ष वनवास भोग कर अपने पिता दशरथ की आज्ञा का पालन किया और ये संदेश दिया कि गुरु, माता पिता की आज्ञा ही सर्वोपरि है उन्होंने सत्ता का लोभ नहीं किया और राम के साथ उनके 3 भाई जिन्होने राज्य या राजतिलक को स्वीकार नहीं किया और राम के लौटने का इंतजार किया ये त्याग समर्पण भाई ,भाई के प्रति प्रेम सिखाता है कि जीवन में परिवार की एकता से ही आगे बढ़ सकते हैं इधर रावण का परिवार ही रावण के विनाश और संपूर्ण राक्षस कुल के विनाश का कारण बना क्योंकि वो पर स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध अपने यहां बंदी बनाए रखा।माता सीता कोई साधारण महिला नहीं थी वो माता शक्ति का रूप थी लेकिन उन्होंने रावण का वध नहीं किया, रावण का वध हनुमान भी कर सकते थे आखिर राम के हाथों ही रावण का वध क्यों हुआ यह भी एक विचारणीय विषय है। हनुमान जो कोसों मिल सागर को पार कर माता सीता का पता लगाया, लेकिन राम जो मर्यादा पुरुषोत्तम, सरल स्वभाव, जनता के प्रिय मधुर वाणी व्यक्तिव के धनी थे और संसार में मानव रूप में जन्म लेकर उन्होंने बताया की नेतृत्व क्षमता क्या हैं भगवान राम एक कुशल प्रबंधक होते हुए भी सभी को साथ लेकर चले, इसी नेतृत्व क्षमता के कारण समुद्र में पत्थरों से सेतु का निर्माण हो सका और लंका पर चढ़ाई कर सके राम ने राजा के रूप में भी अपने नेतृत्व में राम राज्य की स्थापना की जिसे आज भी घर घर पूजा जाता है ये केवल उत्म चरित्र से ही संभव हुआ। लक्ष्मी गणेश की पूजा के पहले धनवंतरी देवता की पूजा दिवाली के पहले होती है क्योंकि उत्तम स्वास्थ्य से ही धन अर्जित किया जा सकता है इसीलिए ये कहावत है धन नष्ट हो जाए तो कुछ भी हानि नहीं होती, स्वास्थ्य नष्ट हो जाए तो कुछ हानि होती है, चरित्र नष्ट हो जाए तो सब कुछ हानि होती है। इसलिए जब हम दीवाली के पहले माता शक्ति की आराधना करते है तो सबको नारी शक्ति का सम्मान केवल नवरात्रि तक ही नहीं जीवन में इसे चरितार्थ करना आवश्यक है। आज के युग में भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, मानसिक प्रताड़ना जैसी बुराई का नाश कर हम घर पर रोशनी कर सकते है जब बेटे बेटी में भेदभाव नहीं कर उन्हें जीवन में आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर ही जीवन में ज्ञान रूपी दीपक जला सकते वो ही सच्ची दीपावाली है।

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