दूध की दिव्यता का स्रोत है डेयरी

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दूध की दिव्यता का स्रोत है दुग्धशाल

(दिव्यराष्ट्र के लिए डॉ. शंकर सुवन सिंह)

दूध सेहत का सार है। दूध वो दरिया है जिसमे सभी को डूब के जाना है। कहने का तातपर्य यह है कि दूध एक विशाल नदी की तरह है जिसमे प्रत्येक स्तनधारियों को पैदा होने के बाद एक बार डुबकी लगानी ही पड़ती है। अर्थात पैदा होते ही बच्चे सर्वप्रथम अपनी माँ का दूध अवश्य पीते है। दूध को क्षीर, दुग्ध, पय, गोरस,और दोहज आदि नामों से भी जाना जाता है। दूध स्तनधारियों की स्तन ग्रंथियों द्वारा उत्पादित होता है। दूध पोषकता से भरपूर होता है। स्तनधारी प्राणियों का पृथ्वी पर अवतरण होते ही उनके बच्चों के जीवन की शुरुआत दूध से होती है। दूध जीवन को जीवंत करने का विशिष्ट गुण रखता है। अतएव दूध स्तनधारियों के बच्चों के जीवन के विकास के लिए एक मुख्य पोषण स्रोत है। दूध के पोषक तत्व बच्चों के निरोगी भविष्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। आउटलाइन्स ऑफ़ डेयरी टेक्नोलॉजी पुस्तक के लेखक सुकुमार डे. के अनुसार दूध की संरचना में पानी, वसा, प्रोटीन, लैक्टोज (दूध की चीनी) और खनिज (लवण) शामिल हैं।इनके अलावा, दूध में अन्य पदार्थ जैसे वर्णक (पिगमेंट), एंजाइम, विटामिन, फॉस्फोलिपिड और गैसें भी मौजूद होती हैं। सामान्यतः पानी की मात्रा लगभग 87.34% होती है। वसा लगभग 3.75% और प्रोटीन लगभग 3.45%, लैक्टोज लगभग 4.6% और खनिज लगभग 1% से कम होता है। सामान्यतः दूध में व्याप्त पूर्ण ठोस (टोटल सॉलिड) जो लगभग 12.66 प्रतिशत है उसी की वजह से दूध अपारदर्शी है और दूध में व्याप्त पानी जो लगभग 87.34 प्रतिशत है उसकी वजह से दूध तरल है। अगर हम दूध में मौजूद पानी की बात करें तो सबसे ज्यादा पानी गधी के दूध में 91.5% होता है। पानी की मात्रा घोड़ी में 90.1%, मनुष्य में 87.4%, गाय में 87.2%, ऊंटनी में 86.5% और बकरी में 86.9% होता है। दूध में कैल्शियम, मैग्नीशियम, ज़िंक, फास्फोरस, आयोडीन, आयरन, पोटैशियम, फोलेट्स, विटामिन ए, विटामिन डी, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी-12, प्रोटीन आदि मौजूद होते हैं। गाय के वसा रहित दूध (स्किम्ड मिल्क) में कोलेस्ट्रॉल 2-5 मिलीग्राम प्रति 100 मिलीलीटर होता है। पूर्ण वसा (फुल क्रीम) वाले दूध में कोलेस्ट्रॉल 10-15 मिलीग्राम प्रति 100 मिलीलीटर होता है। आंकड़ों के अनुसार एक स्वस्थ्य व्यक्ति 300 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल प्रतिदिन ले सकता है। अतएव दूध पीने से हृदयघात होने की संभावना नगण्य होती है। दूध में मुख्यतः केसिन और व्हेय नामक दो प्रोटीन पाए जाते हैं। दूध में प्रोटीन का 80 प्रतिशत हिस्सा केसिन के रूप में होता है और बाकी 20 प्रतिशत हिस्सा व्हे का होता है। दूध में व्याप्त केसिन प्रोटीन, कैल्शियम और फॉस्फेट के साथ मिलकर छोटे छोटे कण बनाते हैं जिन्हें मिसेल्स कहा जाता है। जब प्रकाश इन मिसेल्स से टकराता है तो यह प्रकाश अपरिवर्तित होकर फ़ैल जाता है। दूध में पाए जाने वाला वसा के कण (फैट ग्लोबुल्स) भी प्रकाश के प्रकीर्णन का कारण बनते हैं। अतएव दूध का रंग सफ़ेद दिखाई देता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जिस दूध में जितना ज्यादा वसा (फैट) होगा उसका रंग उतना ही सफ़ेद दिखाई देगा। गाय के दूध में भैंस के दूध की अपेक्षा वसा (फैट) कम होता है और केसिन नामक प्रोटीन भी कम होता है। इसलिए गाय का दूध हल्का पीला दिखाई देता है। दूध में कैरोटीन और कैसिन नामक दो वर्णक (पिगमेंट) होते हैं जो उसके रंग को प्रभावित करते हैं। अतएव कैरोटीन की वजह से गाय के दूध में हल्का पीला रंग होता है, जबकि कैसिन की वजह से दूध का रंग सफेद होता है। भैंस के दूध में केरोटीन कम होता है और फैट ज्यादा। जबकि गाय के दूध में केरोटीन ज्यादा और फैट अपेक्षाकृत कम होता है। अतएव हम कह सकते हैं कि दूध एक अपारदर्शी, सफेद तरल उत्पाद है।
दूध दिव्य है। यह एक संपूर्ण आहार है। डेयरी (दुग्धशाला), दूध का स्रोत हैं। दूध पोषक तत्वों का स्रोत है। डेयरी (दुग्धशाला) वो शब्द है जिसमे दूध और दूध से बने सभी उत्पाद के रखरखाव, संरक्षण और पैकेजिंग आदि की व्यवस्था होती है। डेयरी शब्द को दुग्ध उद्योग से जोड़ कर देख सकते हैं। दूध को विभिन्न डेरी उत्पादों में परिवर्तन के लिए प्रसंस्करण किया जाता है। दूध के विभिन्न उप उत्पाद भी होते हैं जिन्हे तकनीकी भाषा में मिल्क बाई प्रोडक्ट (दूध के उप उत्पाद) भी कहा जाता है। डेयरी उत्पाद में दूध प्राथमिक घटक के रूप में प्रयोग होता है। जैसे की दूध, दही, पनीर, आइसक्रीम।

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