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नारायणा हॉस्पिटल जयपुर में 75 वर्षीय व्यक्ति ने जीती पैरोटिड ट्यूमर (कैंसर)की जंग

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-डॉ. तेज प्रताप सिंह और उनकी ओटी व एनेस्थीसिया टीम ने चुनौतीपूर्ण स्थिति में किया सफल इलाज

-शुरुआती समय में पता लगाना और विशेषज्ञों द्वारा इलाज के कारण मिली सफलता

जयपुर: दिव्यराष्ट्र/जयपुर के एक 75 वर्षीय बुजुर्ग को पैरोटिड ट्यूमर का सामना करना पड़ा, जो एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है। यह ट्यूमर पैरोटिड ग्रंथि (कान के पास स्थित) में था और उसकी स्थिति बेहद असामान्य थी। यह गहरे भाग में था और पैराफैरिंजियल स्पेस तक फैल गया था। इस चुनौतीपूर्ण केस को डॉ. तेज प्रताप सिंह और उनकी ओटी व एनेस्थीसिया टीम ने सफलतापूर्वक संभाला और मरीज को नया जीवन दिया ।
मरीज के गले के पिछले हिस्से (ओरोफैरिंक्स और नैसोफैरिंक्स) में गांठ थी, जिससे उनकी आवाज में बदलाव आ गया था और उन्हें निगलने में दिक्कत हो रही थी। जांच के बाद पता चला कि यह पैरोटिड ट्यूमर था, जो गले के गहरे भाग में पैराफैरिंजियल स्पेस तक फैला हुआ था, जहां कैंसर होना बहुत ही दुर्लभ होता है। ट्यूमर के चेहरे की नस (फेशियल नर्व) के पास होने से चेहरा लकवाग्रस्त होने का खतरा था। यहां तक कि क्रैनियल नर्व्स को चोट लगने से बोलने और निगलने में परेशानी या जीवन घातक स्थितियां हो सकती थीं। यह गांठ दिमाग को रक्त देने वाली नली से चिपकी हुई थी जिसके कारण उसके आधे शरीर में लकवा हो सकता था | ट्यूमर की जटिलता को देखते हुए हमने सर्जरी के लिए गर्दन के रास्ते का विकल्प चुना।

नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. तेज प्रताप सिंह ने बताया कि अधिक उम्र और डायबिटीज जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद, मरीज की सर्जरी सफल रही। यह सर्जरी बेहद नाजुक थी क्योंकि चेहरे की नस को नुकसान पहुंचने का खतरा था। चार घंटे चली इस सर्जरी में हमने पूरे मामले में अत्यंत सावधानी बरती। ऑपरेशन के बाद मरीज ने तेजी से रिकवरी की और तीन दिनों के भीतर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. प्रदीप कुमार गोयल ने कहा कि हर मरीज का इलाज अलग होता है और हम सभी पहलुओं पर ध्यान देकर सबसे बेहतर उपचार योजना तैयार करते हैं। हमारा उद्देश्य केवल बीमारी का इलाज करना नहीं है, बल्कि मरीज का संपूर्ण ख्याल रखना है। नियमित फॉलो-अप, पोस्ट-प्रोसीजर देखभाल और निरंतर समर्थन हमारे उपचार का हिस्सा हैं।

इस केस की सफलता ने दिखाया कि पैरोटिड कैंसर का शुरुआती पता और समय पर इलाज कितना महत्वपूर्ण है। यह मामला उन्नत सर्जिकल तकनीकों और ऑपरेशन के बाद बेहतर देखभाल का उदाहरण है, जिससे मरीजों का जीवन बेहतर हो सकता है।

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