दिव्यराष्ट्र, जयपुर: पित्त की नली यानी बायल डक्ट में स्टोन फंसने, ट्यूमर, पैंक्रियाज, लिवर या गॉल ब्लैडर में ट्यूमर और अन्य बीमारियों की पहचान और इलाज अब एंडोस्कोपी से ही संभव है। इसके लिए अत्याधुनिक एंडोस्कोपिक तकनीकें आ गई हैं जिसकी मदद से नॉन सर्जिकल प्रोसीजर के जरिए पेट की कई गंभीर बीमारियों का इलाज हो सकेगा। शनिवार को सीके बिरला हॉस्पिटल में आयोजित हुई स्पाई ग्लास कोलिंजियोस्कोपी एंड एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड लाइव वर्कशॉप में एक्सपर्ट्स ने नवीनतम तकनीकों के बारे में जानकारी साझा की।
वर्कशॉप के कोर्स डायरेक्टर और हॉस्पिटल के डायरेक्टर गैस्ट्रोएंटोंलॉजी डॉ. अभिनव शर्मा ने बताया कि इस वर्कशॉप में प्रदेश के करीब 30 गैस्ट्रोएंटोंलॉजिस्ट और स्टूडेंट्स ने भाग लिया। वर्कशॉप में दिल्ली से आए सीनियर गैस्ट्रोएंटोंलॉजिस्ट डॉ. सावन बोपन्ना ने लाइव केस कर स्पाई ग्लास कोलिंजियोस्कोपी की जानकारी दी।
बायल डक्ट में कैंसर से लेकर स्टोन तक में कारगर स्पाई ग्लास कोलिंजियोस्कोपी – डॉ. सावन बोपन्ना ने बताया कि पित्त की थैली जिसे बायल डक्ट भी कहा जाता है, उसमें अंदर तक देख पाना संभव नहीं था। अब इसे कोलिंजियोस्कोपी से देखा जा सकता है। अगर इसमें ट्यूमर होता है या पथरी है तो उसका इलाज किया जा सकता है। पित्त की नली में स्टोन फंसे होने, ट्यूमर, या संकुचन का पता लगाने के लिए यह तकनीक काफी कारगर है।
एंडोस्कोपी से ही ली जा सकेगी बायोप्सी – वर्कशॉप के कोर्स कॉर्डिनेटर डॉ. अनिल कुमार जांगिड़ ने बताया कि पैंक्रियाज, लिवर, गॉल ब्लैडर के ट्यूमर, लिम्फ नोड्स, ट्यूबरक्लोसिस, बायोप्सी लेने के लिए अब एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड बेहद मददगर तकनीक बन गई है।