भारत के दिल यानि राजधानी दिल्ली में 11वें भीलवाड़ा सुर संगम के मंच पर सुर और संगीत की स्वरलहरियों का समारोह संपन्न हुआ। जाने माने एलएनजे भीलवाड़ा ग्रुप द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय संगीत समारोह में परंपरा और नवाचार के भव्य मिलन ने सांस्कृतिक संगीत को अपने भव्य अंदाज में प्रस्तुत किया।
इस मौके पर उपस्थित श्री रवि झुनझुनवाला, चेयरमैन, एलएनजे भीलवाड़ा ग्रुप ने कहा, “भारतीय शास्त्रीय संगीत हमारी संस्कृति का अहम् हिस्सा है और एलएनजे भीलवाड़ा ग्रुप में हम इसके संरक्षण के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। हमारे संगीत में ही हमारे देश की आत्मा बसी है, और भारत के गौरवान्वित समूह होने के नाते, हम इस गौरवशाली परंपरा को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संभालकर रखना चाहते हैं।”
समारोह के उद्घाटन दिवस की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और शास्त्रीय संगीत गायिका, भीमसेन जोशी पुरस्कार विजेता और संगीत की दुनिया की जानी मानी हस्ती रह चुकीं विदुषी मानिक भिड़े को श्रद्धांजलि के साथ हुई। इस संगीत समारोह में श्री मानस कुमार ने वायलन की मधुर धुनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। समारोह में जानी मानी गायिका डॉ अश्विनी भिड़े देशपांडेय की प्रस्तुति ने मंच को न सिर्फ शोभा प्रदान की बल्कि उपस्थित संगीत प्रेमियों को भी संगीत रस से सराबोर कर दिया।
दूसरे दिन, भी दीप प्रज्ज्वलन के साथ समारोह शुरू हुआ और जाने माने शास्त्रीय संगीत गायक तथा पद्म भूषण पुरस्कार विजेता रह चुके स्वर्गीय राशिद खान को श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद उस्ताद वसीम अहमद खान ने मंच पर अपनी भव्य प्रस्तुति से समां बांधा। उनके बाद, कलाकार पंडित बुद्धातित्य मुखर्जी ने मंच की शोभा बढ़ाते हुए अपने मधुर संगीत से श्रोताओं का मनोरंजन किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों से शांति और सौहार्द्र का भाव पैदा करते हुए इस दो दिवसीय संगीत के सफर को दिव्यता प्रदान की।
पद्म भूषण से सम्मानित सितारवादक पंडित बुद्धातित्य मुखर्जी ने कहा, “भीलवाड़ा सुर संगम समय के कुहासे में गुम हो रही हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षण देने तथा इसे बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। यह आने वाली कई पीढ़ियों के लिए स्वरलहरियों को नई जीवंतता प्रदान करेगा।”
जानी मानी शास्त्रीय संगीत गायिका डॉ अश्विनी भिड़े देशपांडेय ने कहा,“भारतीय शास्त्रीय संगीत के समयातीत आकर्षण और इसकी गहराई ने इसे समय और संस्कृति की धार पर खरा बनाए रखा है। इस संगीत परंपरा को संरक्षण देकर हम अपने पुरखों की मधुर धुनों और स्वरों को आने वाले लंबे समय तक के लिए बचाकर रख सकते हैं।”
दो दिनों तक चले इस संगीत समारोह में सभी आयुवर्गों और पृष्ठभूमियों के 700 से ज्यादा श्रोताओं ने हिस्सा लिया और भारतीय संगीत की समृद्ध विरासत का जश्न मनाया। समारोह ने संगीत के माध्यम से पुरानी और नई युवा पीढ़ी को एकजुट किया और साथ ही, भारतीय संगीत संस्कृति के प्रति नए सिरे से गर्वबोध भी पैदा किया।
सुविख्यात उस्ताद वसीम अहमद खान ने कहा, “भारतीय शास्त्रीय संगीत अभूतपूर्व है और हमें इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना चाहिए। एलएनजे ग्रुप का यह प्रयास निश्चित ही सराहनीय है।”
वायलनवादक श्री मानस कुमार ने कहा, “संगीत का हर स्वर दिव्य ऊर्जा पैदा करता है। मैं अपनी संगीत रचना करते हुए और उसकी प्रस्तुति करते समय उसे स्वयं महसूस करता हूं। भीलवाड़ा सुर संगम के मंच पर मैंने पाया जैसे हर स्वर हमारी परंपरा में गुंथा हुआ था, जिसने समयातीत मधुर संगीत की रचना की।”
भीलवाड़ा सुर संगम केवल एक संगीत समारोह नहीं है बल्कि यह सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और कलात्मक उत्कृष्टता का सूचक है। एलएनजे भीलवाड़ा ग्रुप संगीत के प्रति अपने समर्पण के जरिए आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने में जुटा है और समय के गलियारों से होते हुए हमारी सांस्कृतिक धरोहरों की प्रतिध्वनियों को गुंजायमान करता है।