*मुख्य बिंदु:*
– 2500 भूमिधारी परिवारों को प्रति एकड़ ₹35 लाख का मुआवज़ा
– ₹500 करोड़ का पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन (R&R) पैकेज
– महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) का ₹7500 करोड़ का निवेश
– 2000 सीधी और हजारों परोक्ष नौकरियाँ
– सरकार को ₹40,000 करोड़ का राजस्व योगदान
– 2256.60 हेक्टेयर भूमि पर 56 लाख पौधारोपण
– प्रतिवर्ष 2.36 करोड़ टन कोयले का उत्पादन, 3200 मेगावाट बिजली के लिए
मुंबई, दिव्यराष्ट्र*
तमनार तहसील में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिल रहा है, जहाँ 14 गाँवों के 2500 भूमिधारी परिवार करोड़पति बनने की कगार पर हैं। महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) अपने ₹7500 करोड़ के *गारे पामा सेक्टर-II कोयला खदान परियोजना* की शुरुआत कर रही है। यह परियोजना सिर्फ़ ऊर्जा सुरक्षा ही नहीं बल्कि स्थानीय समुदायों को अभूतपूर्व समृद्धि देने का वादा करती है।
थिली रामपुर, कुंजेमुरा, गारे, सरईटोला, मुरोगांव, रादोपाली, पाटा, चितवाह, धोलनारा, झिंकाबहाल, डोलसरा, भालूमुड़ा, सरस्माल और लिब्रा जैसे गाँवों की ज़मीन औसतन *₹35 लाख प्रति एकड़* मुआवज़े पर अधिग्रहण की जाएगी। यह भुगतान सर्कल रेट्स के अनुरूप है और इसके साथ *₹500 करोड़ के पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन पैकेज* में आवास, आधारभूत ढाँचा और दीर्घकालिक सहयोग शामिल होंगे।
सरईटोला के एक किसान ने कहा — “यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है। मैं नया घर बना रहा हूँ और व्यवसाय शुरू कर रहा हूँ। अब मेरे बच्चे बेहतरीन स्कूलों में पढ़ सकेंगे।”
परियोजना से *2000 प्रत्यक्ष नौकरियाँ* और हजारों अप्रत्यक्ष रोज़गार अवसर उत्पन्न होंगे। स्थानीय लोग पहले ही आवास, भोजन और सेवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए नए कारोबार में निवेश शुरू कर रहे हैं। धोलनारा के एक निवासी ने कहा — “हमने बहुत लंबा इंतज़ार किया। यह परियोजना हमें सम्मान, रोज़गार और भविष्य देती है। हमने कलेक्टर से अधिग्रहण तुरंत शुरू करने का आग्रह किया है।”
महाजेनको का यह निवेश समय के साथ सरकार को *₹40,000 करोड़* की रॉयल्टी, जीएसटी और अन्य करों के रूप में राजस्व दिलाएगा। परियोजना से हर साल *2.36 करोड़ टन कोयला* निकलेगा, जो *चंद्रपुर, कोराडी और परली थर्मल यूनिट्स* को चलाकर राष्ट्रीय ग्रिड में *3200 मेगावाट बिजली* जोड़ेगा।
पर्यावरणीय संतुलन के लिए महाजेनको *32 वर्षों में 2256.60 हेक्टेयर पर 56 लाख देशज पौधे लगाएगा।* कंपनी अब तक ₹100 करोड़ का भुगतान वनीकरण के लिए कर चुकी है और प्रति हेक्टेयर 2500 पौधे लगाएगी।
ज़िला प्रशासन ने संपत्ति सर्वेक्षण शुरू कर दिए हैं, जिन्हें ग्रामीणों का पूरा सहयोग मिल रहा है ताकि प्रक्रिया शीघ्र पूरी हो सके। कोयले की ढुलाई विशुद्ध रूप से रेलवे से की जाएगी जिससे स्थानीय जीवन और ढाँचे पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े।
यह पहल केवल एक खनन परियोजना नहीं है, बल्कि *समावेशी विकास का खाका* है—जो किसानों को उद्यमी बना रही है और गाँवों को अवसरों के केंद्र में बदल रही है।