– “प्रतिभा और मेहनत का कोई जेंडर नहीं” – वाइस चेयरपर्सन अर्पित अग्रवाल
जयपुर: दिव्यराष्ट्र/ जेईसीआरसी फाउंडेशन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को भव्य और उत्साहपूर्ण तरीके से मनाया गया, जो न केवल महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित करने का अवसर बना बल्कि उनकी असाधारण कहानियों को भी उजागर किया, जिन्होंने समाज में बदलाव की अलख जगाई। इस खास मौके पर डीसीपी तेजस्विनी गौतम और सॉन्डरकनेक्ट की फाउंडर एवं माइक्रोसॉफ्ट फॉर स्टार्टअप्स रीजन की पूर्व एमडी, लाथिका पाई ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
जेईसीआरसी कॉलेज के प्रो. वी. के. चंडना (प्रिंसिपल) ने स्वागत संबोधन में महिला सशक्तिकरण, नेतृत्व और उनके समाज में योगदान पर जोर दिया। उन्होंने स्वतंत्रता से पहले और बाद में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।
डीसीपी तेजस्विनी गौतम ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में महिला सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और समानता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पितृसत्ता का विपरीत मातृसत्ता नहीं, बल्कि समानता है, और प्रोफेशनल फील्ड में भेदभाव को बदला जा सकता है। उन्होंने महिलाओं से एक-दूसरे की सहयोगी बनने का आह्वान किया और रूढ़िवादी धारणाओं को तोड़ते हुए अपनी पहचान खुद बनाने के लिए प्रेरित किया।
लाथिका पाई ने महिलाओं के करियर और स्टार्टअप्स में नई संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि व्यवसायिक कौशल, संकट प्रबंधन, स्पष्ट उद्देश्य और असफलताओं से सीखने की क्षमता किसी उद्यमी को अलग बनाती है। सॉन्डरकनेक्ट के माध्यम से उन्होंने 165 महिला उद्यमियों का मार्गदर्शन किया। उनका कहना था कि एक सफल स्टार्टअप सिर्फ एक आइडिया पर नहीं, बल्कि सही कौशल, मेहनत और सकारात्मक सोच पर आधारित होता है।
इस भव्य समारोह की सबसे बड़ी खासियत “जेईसीआरसी ट्रेलब्लेज़र अवॉर्ड” रहा, जिसमें 60 महिलाओं को उनके अद्वितीय योगदान और उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान बीते वर्षों के महिला दिवस समारोहों की झलकियां साझा की गईं, जो हर किसी के लिए भावुक और प्रेरणादायक रहीं।
इस आयोजन में न केवल सम्मान और प्रेरणा थी, बल्कि मस्ती और जश्न का तड़का भी लगा। फैकल्टी मेंबर्स का रैंप वॉक, एनर्जी से भरपूर डांस परफॉर्मेंस और फन सेशंस ने पूरे माहौल को जीवंत बना दिया।
कार्यक्रम के समापन के समय, जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के वाइस चेयरपर्सन अर्पित अग्रवाल ने कहा कि महिलाओं को सशक्तिकरण की नहीं, बल्कि अपने हक और पहचान की पूरी तरह जाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जेईसीआरसी के दोनों संस्थानों में 42% कर्मचारी और 52% शिक्षक महिलाएँ हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि प्रतिभा और मेहनत का कोई जेंडर नहीं होता, बल्कि सफलता अवसर और समर्पण से मिलती है। उन्होंने संस्थान के सहयोगी और सकारात्मक वातावरण पर चर्चा करते हुए कहा कि जेईसीआरसी केवल शिक्षा प्रदान करने का मंच नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ हर व्यक्ति इसकी प्रगति और विकास के लिए समान रूप से जिम्मेदार है।
जेईसीआरसी फाउंडेशन का यह प्रयास महिलाओं के योगदान को न सिर्फ सराहने का मंच बना, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने और अपनी ताकत को पहचानने की प्रेरणा भी दी।