गुल्लक से लेकर निजी बैंक अकाउंट तक: हर परिवार में वित्तीय साक्षरता की अहमियत

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(दिव्यराष्ट्र के लिए गिरिराजन मुरुगन फंड्सइंडिया के सीईओ )

मुंबई,, दिव्यराष्ट्र*/हममें से कुछ लोगों ने शायद अपने बच्चों को गुल्लक दी होगी, ताकि उनमें पैसे बचाने की आदत विकसित हो सके। लेकिन धीरे-धीरे बच्चों के बड़े होने पर, रोज़ाना पॉकेट मनी, हर महीने पॉकेट मनी वगैरह देने के तरीके उनके गुल्लक की जगह ले सकते हैं। गुल्लक से लेकर निजी बैंक अकाउंट और उससे आगे भी, वित्तीय साक्षरता के बारे में सीखने के लिए बहुत कुछ है।

अपने परिवार को वित्तीय साक्षरता प्रदान करने में बहुत सी बातें शामिल हैं, जिनके लिए इसे सबसे ज़्यादा अहमियत देना, फाइनेंस से जुड़े कॉन्सेप्ट्स को समय-समय पर सिखाते रहना और आर्थिक फैसलों में बच्चों को शामिल करना बेहद जरूरी है। इस तरह परिवार में अच्छी वित्तीय आदतें विकसित हो सकती हैं, जो ज़िंदगी भर साथ निभाती हैं।

ज़िम्मेदारी निभाने की ज़रूरत
प्राथमिक स्कूल और कॉलेज अपने-अपने पाठ्यक्रमों में वित्तीय शिक्षा को शामिल करके भारत में वित्तीय साक्षरता में बेहद अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह वित्तीय साक्षरता पाठ्यक्रम, बच्चों के समूह में चर्चा और वर्कशॉप के रूप में हो सकता है, साथ ही ऑनलाइन कोर्स, टूल्स जैसे वित्तीय संसाधनों को सहज उपलब्ध कराके भी ऐसा किया जा सकता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि माता-पिता की इसमें कोई भूमिका नहीं है। माता-पिता के रूप में, हम अपने बच्चों की वित्तीय साक्षरता में सबसे बड़ा योगदान देते हैं। मैं तो यही मानता हूँ कि घर से ही वित्तीय साक्षरता की शुरुआत होती है और परिवार में हर किसी को वित्तीय रूप से साक्षर होना चाहिए, साथ ही उन्हें पैसों को संभालने से जुड़ी बातों को अच्छी तरह समझने पर भी ध्यान देना चाहिए। परिवार में वित्तीय साक्षरता कई तरीकों से दी जा सकती है:

• रोल-मॉडल बनें: माता-पिता ज़िम्मेदारी से खर्च करने और बचत करने की आदतों को अपनाकर अपने बच्चों के लिए एक अच्छी मिसाल पेश कर सकते हैं। इससे बच्चों को कम उम्र में ही सही वित्तीय व्यवहार विकसित करने में मदद मिल सकती है।
• वित्तीय निर्णय लेने में बच्चों को शामिल करें: घर की आर्थिक स्थिति, बिल और होने वाले खर्चों पर बच्चों के साथ चर्चा करने से माता-पिता को वित्तीय निर्णय लेने में उन्हें शामिल करने में मदद मिल सकती है। इससे बच्चों को काफी फायदा मिल सकता है, जिससे वे पैसे के मोल के साथ-साथ पैसों को कारगर तरीके से संभालने के बारे में अच्छी तरह समझ सकते हैं।
• उन्हें फाइनेंस से जुड़े कॉन्सेप्ट्स समझाना: माता-पिता अपने बच्चों को फाइनेंस से जुड़े कॉन्सेप्ट्स समझा सकते हैं, जिनमें बजट बनाना, बचत करना, निवेश करना और डेब्ट मैनेजमेंट जैसी बातें शामिल हैं। इसके लिए किताबों, फ़िल्मों और ऑनलाइन टूल्स के साथ-साथ वित्तीय कौशल सिखाने वाले वीडियो गेम्स का भी सहारा लिया जा सकता है।
• बचत एवं निवेश को बढ़ावा दें: माता-पिता इन्सेंटिव देकर अपने बच्चों में बचत एवं निवेश करने की आदत को बढ़ावा दे सकते हैं, जिनमें एक-समान रकम जमा करना या निवेश पर मिलने वाले रिटर्न में एक हिस्सा देना जैसी बातें शामिल हैं।
• आर्थिक लक्ष्यों पर चर्चा: माता-पिता अपने बच्चों के साथ घर के लिए डाउन-पेमेंट या कॉलेज की शिक्षा के लिए बचत जैसे वित्तीय उद्देश्यों पर चर्चा कर सकते हैं। इससे बच्चों में अपने पैसों के बारे में दूर की सोच विकसित करने और भविष्य की तैयारी की जरूरत को समझने में मदद मिल सकती है।
• बाहरी संसाधन: अपने परिवार को पैसे से जुड़े मामलों के बारे में शिक्षित करने के लिए, माता-पिता फाइनेंशियल एडवाइजर्स, किताबों या वर्कशॉप जैसे दूसरे संसाधनों की मदद ले सकते हैं।

चिंता का विषय
भारत में वित्तीय साक्षरता वास्तव में लगातार बढ़ रही चिंता का विषय है, क्योंकि देश में बहुत से लोगों के पास सोच-समझकर वित्तीय निर्णय लेने के लिए जरूरी जानकारी और कौशल का अभाव है। क्या आपने कभी सोचा है; हर दिन हमारे पास भी दूसरों की तरह 24 घंटे होते हैं। इसके बावजूद, क्यों कुछ लोगों के पास ढेर सारा पैसा होता है, जबकि दूसरे लोग बड़ी मुश्किल से गुज़ारा कर पाते हैं? कई विद्वानों की लिखी किताबों में इस महत्वपूर्ण सवाल का जवाब दिया गया है।

मैं ऐसी ही कुछ उपयोगी पुस्तकों में दी गई कुछ महत्वपूर्ण अवधारणाओं को आपके सामने पेश करने की कोशिश करूँगा, जिन्हें मैंने पढ़ा है, जिससे आपको यह लेख पढ़ते समय सारी बातों को अच्छी तरह समझने और उससे नाता जोड़ने में मदद मिलेगी।

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