(दिव्य राष्ट्र के लिए डॉ. मनोज सारस्वत मोटिवेशनल स्पीकर)
आजकल की दुनिया में डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। स्मार्टफोन, कंप्यूटर, सोशल मीडिया और अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग जीवन को सरल और तेज बनाता है, लेकिन इनका अत्यधिक उपयोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कामकाजी जीवन की तेज़ी और सोशल मीडिया के निरंतर अपडेट्स ने हमें ऐसा “कनेक्टेड” बना दिया है कि कभी-कभी हम अपने आस-पास की दुनिया और अपने ही आपसे दूर हो जाते हैं। इसी कारण, डिजिटल डिटॉक्स का विचार सामने आया है। यह एक ऐसा प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति जानबूझकर डिजिटल उपकरणों का उपयोग कम करता है, ताकि वह अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को पुनः सुदृढ़ कर सके।
डिजिटल डिटॉक्स क्या है?
डिजिटल डिटॉक्स का मतलब है, डिजिटल उपकरणों और इंटरनेट से कुछ समय के लिए दूर रहना। यह एक ब्रेक होता है, जो व्यक्ति को अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को फिर से बैलेंस करने का अवसर प्रदान करता है। इसमें स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टेलीविजन, सोशल मीडिया और अन्य इंटरनेट आधारित उपकरणों का कम से कम उपयोग करना शामिल होता है। यह प्रक्रिया एक निश्चित समय तक चलती है, जैसे कि कुछ घंटों, कुछ दिनों, या कभी-कभी तो पूरी छुट्टियों के दौरान भी।
डिजिटल डिटॉक्स क्यों जरूरी है?*
आजकल लोग दिन-प्रतिदिन डिजिटल उपकरणों का अधिक उपयोग करते हैं। कार्यालय के ईमेल, सोशल मीडिया के अपडेट्स, न्यूज़ पोर्टल्स और अनगिनत ऐप्स हमसे लगातार जुड़ने की कोशिश करते हैं। यह लगातार सूचना का प्रवाह तनाव, मानसिक थकान और अनिद्रा की स्थिति उत्पन्न करता है। इसके अलावा, स्क्रीन पर अत्यधिक समय बिताने से शारीरिक समस्याएं, जैसे कि आंखों में जलन, गर्दन और पीठ में दर्द और मोटापा भी हो सकता है।
मानसिक थकावट और तनाव* – लगातार सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने, ईमेल चेक करने और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर समय बिताने से मानसिक तनाव और थकावट बढ़ सकती है। यह न केवल काम के प्रदर्शन को प्रभावित करता है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर दूसरों के जीवन की तुलना में अपने जीवन को कमतर महसूस करना, “फोमो” की भावना पैदा करता है, जो मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल उपकरणों से दूर रहने से मानसिक शांति और संतुलन स्थापित हो सकता है।
• शारीरिक समस्याएं*: बहुत अधिक स्क्रीन टाइम के कारण शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि आंखों की थकान, कंप्यूटर विजन सिंड्रोम, और शारीरिक असंतुलन साथ ही, लंबे समय तक बैठे रहने से शरीर में दर्द और मोटापे जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। रात को स्मार्टफोन या लैपटॉप का इस्तेमाल करने से नींद में खलल पड़ सकता है। डिजिटल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मस्तिष्क को सक्रिय रखती है, जिससे सही तरीके से नींद नहीं आती और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
* एकाग्रता में कमी*– डिजिटल उपकरणों के बार-बार इस्तेमाल से हमारी एकाग्रता में कमी आ सकती है। निरंतर सूचनाएँ और सूचनाओं का आदान-प्रदान हमें मानसिक रूप से विभाजित कर देता है।
• समय की बर्बादी – डिजिटल* उपकरणों पर लगातार समय बिताना कार्यों में विलंब का कारण बन सकता है। कभी-कभी यह आदत व्यसन का रूप ले सकती है, जिससे वास्तविक जीवन के अनुभव और संबंध कमजोर हो सकते हैं। डिजिटल डिटॉक्स का अभ्यास करने से समय का प्रबंधन बेहतर हो सकता है।
• *सामाजिक संबंधों में कमी – अगर हम डिजिटल उपकरणों पर ज्यादा समय बिताते हैं तो इसका प्रभाव हमारे व्यक्तिगत संबंधों पर भी पड़ सकता है। परिवार और दोस्तों के साथ संवाद और मुलाकातें घट सकती हैं, जिससे सामाजिक संबंध कमजोर हो सकते हैं।
डिजिटल डिटॉक्स के लाभ*
• मानसिक शांति – जब हम डिजिटल उपकरणों से दूर रहते हैं, तो हमें मानसिक शांति का अनुभव होता है। यह हमें तनाव से राहत दिलाता है और मानसिक स्थिति को ताजगी प्रदान करता है। अत्यधिक स्क्रीन समय अवसाद और लत सहित नकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य परिणामों से जुड़ा हुआ है। डिजिटल डिटॉक्स करके, आप इन समस्याओं के विकसित होने के जोखिम को कम कर सकते हैं और समग्र कल्याण को बढ़ावा दे सकते हैं।
• बेहतर नींद* – इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों द्वारा उत्सर्जित नीली रोशनी हमारी नींद की गुणवत्ता को खराब कर सकती है। सोने से पहले डिजिटल डिटॉक्स करने से आपकी नींद की आदतों में सुधार हो सकता है। जब हम रात को स्क्रीन से दूर रहते हैं, तो नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।
• सामाजिक रिश्तों में सुधार* – डिजिटल डिटॉक्स के दौरान व्यक्ति अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकता है, जिससे रिश्तों में प्रगाढ़ता आती है। लगातार ऑनलाइन रहने से आमने-सामने संचार में कमी आ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप कमजोर संबंध बन सकते हैं। एक डिजिटल डिटॉक्स आपको अपने प्रियजनों के साथ अधिक गहरे स्तर पर जुड़ने की अनुमति दे सकता है।
• केंद्रित मन और बेहतर कार्य क्षमता* – जब हम डिजिटल उपकरणों से दूर रहते हैं, तो हम अपने कार्यों में अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इससे कार्यों की गुणवत्ता और उत्पादकता दोनों में वृद्धि होती है। अपने फ़ोन या कंप्यूटर पर बहुत समय बिताने से अक्सर हमारा ध्यान भटकता है, जिससे हमारी उत्पादकता में गिरावट आती है। एक डिजिटल डिटॉक्स आपको उपस्थित रहने, ध्यान केंद्रित करने और उन कार्यों को पूरा करने में मदद कर सकता है जिन्हें आपने टाल दिया हो।
डिजिटल डिटॉक्स करने के तरीके:
समय सीमा निर्धारित करें* – सबसे पहले, यह तय करें कि आप कितने समय के लिए डिजिटल डिटॉक्स करना चाहते हैं। यह एक दिन, सप्ताहांत, या छुट्टियों के दौरान हो सकता है। एक छोटे से ब्रेक से शुरुआत करें और फिर इसे बढ़ाएं।
• सोशल मीडिया से दूरी बनाएं – सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर बिताए जाने वाले समय को कम करने के लिए एक निर्धारित समय में ही इन प्लेटफ़ॉर्म्स का उपयोग करें। आप सोशल मीडिया अकाउंट्स को एक निश्चित समय के लिए डिएक्टिवेट भी कर सकते हैं।
• समय का प्रबंधन करें – अपने दिन की योजना बनाते समय यह सुनिश्चित करें कि आपके पास डिजिटल उपकरणों से दूर रहने के लिए भी समय हो। यह समय पढ़ाई, आउटडोर एक्टिविटीज़ या परिवार के साथ बिताने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
• प्राकृतिक वातावरण में समय बिताएं – अपने आप को डिजिटल उपकरणों से दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है प्रकृति में समय बिताना। यह मानसिक शांति को बढ़ावा देता है और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
• स्क्रीन-फ्री टाइम – अपने दिन में कुछ घंटे पूरी तरह से स्क्रीन से दूर रहने का समय निर्धारित करें। इसे “स्क्रीन-फ्री टाइम” कहा जाता है, जिसमें आप केवल अपने परिवार, दोस्तों, या खुद के साथ समय बिता सकते हैं।
• फिजिकल एक्टिविटी में भाग लें – डिजिटल उपकरणों से ब्रेक लेने के दौरान किसी शारीरिक गतिविधि को करने से मानसिक और शारीरिक लाभ होता है। योग, ध्यान, वॉक, दौड़ या किसी अन्य प्रकार की एक्सरसाइज का अभ्यास करें।
डिजिटल डिटॉक्स के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:
• स्वीकार करें कि डिजिटल उपकरण जीवन का हिस्सा हैं – डिजिटल डिटॉक्स का मतलब यह नहीं है कि आप पूरी तरह से डिजिटल दुनिया से बाहर हो जाएं, बल्कि इसका उद्देश्य है कि आप इसका स्वस्थ और संतुलित उपयोग करें।
• धैर्य रखें – जब आप पहले बार डिजिटल डिटॉक्स करने का प्रयास करते हैं, तो आपको यह थोड़ा मुश्किल लग सकता है। लेकिन धीरे-धीरे यह एक आदत बन जाएगी और आपको इसका सकारात्मक प्रभाव महसूस होने लगेगा।
• संवेदनशीलता का पालन करें – कभी-कभी कुछ कार्य, जैसे कि ऑफिस मेल्स या जरूरी कॉल्स, डिजिटल डिटॉक्स में बाधा डाल सकते हैं। ऐसे में आप इन कार्यों के लिए एक विशेष समय तय कर सकते हैं, ताकि आप बाकी समय बिना किसी तनाव के डिजिटल उपकरणों से दूर रह सकें।
डिजिटल डिटॉक्स का विचार एक स्वस्थ जीवनशैली की ओर कदम बढ़ाने का एक बेहतरीन तरीका हो सकता है। डिजिटल डिटॉक्स एक महत्वपूर्ण कदम है जो हमें हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को पुनः सुदृढ़ करने का अवसर प्रदान करता है। यह हमें डिजिटल दुनिया के अत्यधिक प्रभाव से बाहर निकालकर वास्तविक जीवन में पुनः सक्रिय रूप से जीने का मौका देता है। हालांकि, यह पूरी तरह से डिजिटल उपकरणों से बचने के बारे में नहीं है, बल्कि इनका संतुलित और सीमित उपयोग करने के बारे में है। इसलिए, यदि आप महसूस करते हैं कि आपके डिजिटल उपकरणों का उपयोग आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, तो डिजिटल डिटॉक्स को अपनी दिनचर्या में शामिल करना फायदेमंद हो सकता है। इसलिए, खुद के लिए समय निकालें, डिजिटल उपकरणों से एक कदम पीछे हटें और अपने जीवन को संतुलित और स्वस्थ बनाने की दिशा में पहला कदम बनेगा।