(डॉ. सीमा दाधीच, प्रधान संपादक दिव्यराष्ट्र)
“विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा” – श्यामल लाल गुप्ता के नारे से आज भी समस्त भारतवासियों का सीना गौरवान्वित होता है ,भारत में आजादी की लड़ाई से वर्तमान में कश्मीर घाटी की लड़ाई तक भारतवासियों ने एक जुट होकर दुश्मनों को धूल चटाई है, इसमें महिला शक्ति का योगदान इस बार प्रत्येक भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा कराता है। “ऑपरेशन सिंदूर” ने न केवल देश बल्कि महिला ताकत को विदेश तक चकंभित कर दिया। आजादी के बाद भारत की स्वतंत्र महिला नागरिकता की सोच को बताता है यह सभ्यता, शालीनता के साथ सौम्यता, ममत्व के दर्पण को बताता है । महिला जिसे कमजोर समझना भूल है भारतीय नारी दुर्गा थी, दुर्गा है और समय-समय पर दुर्गा का रूप धारण कर सकती है ,ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देकर बता दिया कि वो नारी साधारण नहीं है , हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री ने भरोसा किया और इस भरोसे को सफलता का चोला पहना दिया। भारत 79 वा स्वतंत्रता दिवस मना रहा है ,यह हमारे स्वाधीनता सेनानियो के बिना असंभव था सरदार वल्लभ भाई पटेल, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, बाबासाहेब अंबेडकर, मंगल पांडे, चंद्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और रानी लक्ष्मीबाई के साहस के बिना अकल्पनीय था।
1757 से 1947 तक
ब्रिटिश शासन, जिसे ब्रिटिश राज के रूप में जाना जाता है ने भारत पर 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद से 1947 में स्वतंत्रता मिलने तक शासन किया यह वह समय था जब ब्रिटिश राज का शासन था, जिसमें भारतीय लोगों को सीधे तौर पर गुलामों की तरह नहीं रखा गया था, लेकिन उन्हें राजनीतिक और आर्थिक रूप से ब्रिटिश सरकार के अधीन रहना पड़ता था यह मानसिक गुलामी थी अब समय बदल गया परिस्थितियों बदल गई अब एकता और आर्थिक स्थिति में अपनी मजबूती बनाई है। हमारे संविधान की झलक में भी आजादी, न्याय, एकता और संप्रभुता की झलक को देखा गया है।
हमारे देश में प्रतिवर्ष प्रधानमंत्री का संबोधन लाल किले की शोभा बढ़ाता है और इस दिन को यादगार बनाता है। इस बार सरकार ने 13 अगस्त 2025 को आधिकारिक घोषणा करते हुए बताया कि इस साल के स्वतंत्रता दिवस समारोह की थीम “नया भारत” होगी। यह थीम भारत के 2047 तक के विकास विज़न का प्रतीक है, जब देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा। “नया भारत” का संदेश हर नागरिक को सशक्त, समृद्ध और विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रेरित करता है। आज भारत 200 से अधिक देशों के साथ व्यापार करता है। यह देश के विकसित भारत की और बढ़ते कदम को बताता है। हमारे देशवासियों ने कोरोनाकाल के समय भी धैर्य से साथ दिया और इस महामारी का हमने डटकर मुकाबला किया और कोरोनावायरस से निजात पाने के लिए वैक्सीन बनाना यह भी हमारे देश की तकनीक और हमारे कुशल वैज्ञानिकों को श्रेय जाता है। ,”आजादी का अमृत महोत्सव” की कल्पना भी एकजुटता के बिना अकल्पनीय थी सांस्कृतिक ,राजनीतिक और आर्थिक पहचान की झलक इसमें देखने को मिली।
आधुनिकता और नवाचार को अपनाने के लिए हमारी सरकार भरसक प्रयत्न कर रही हैं। आज दुनिया 5G से 6G इंटरनेट ऑफ थिंग्स की बात करता हैं ,कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स और हरित प्रौद्योगिकियों जैसी तकनीकों पर अपनी निर्भरता के साथ एक नई औद्योगिक क्रांति की ओर बढ़ रही है, यह रोज़गार और सुदृढ़ अर्थव्यवस्था को बताता है। जमशेदजी टाटा, रतन टाटा, धीरूभाई अंबानी, घनश्याम दास बीड़ला,अजीज प्रेमजी, मुकेश अंबानी ,अडानी ने देशवासियों को रोजगार से जोड़कर देश की विश्व पटल पर औद्योगिक क्षेत्र में भारत का नाम ऊंचा किया है।
यह दिन देशवासियों में गर्व, कृतज्ञता और देशभक्ति की भावना जगाने का प्रतीक है। शुभांशु शुक्ला, सुनीता विलियम्स , डॉ विक्रम साराभाई ,कल्पना चावला, यूरी गागरिन, नील आर्मस्ट्रांग उनके योगदान को देश कभी नहीं भूल सकता।