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मेरे नाना का घर की यादे – डॉ. सीमा दाधीचलालसागर के द्वारा

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मेरे नाना का घर
  • नाना का घर बच्चों की छुट्टियों को मस्त बनाता है,
  • नाना का प्यार दुलार जीवन में सबको छुट्टियो की याद दिलाता है।
  • नाना ही है जो बच्चों को पापा/ दादा के बाद बादशाह होने का अहसास कराते हैं ,
  • नाना के पहाड़े पूछने पर बच्चों का मन उखड़ सा जाता है,
  • रात को छत पर सब का सोते-सोते तारे गिनना बच्चों के मन को हर्षाता है।
  • नाना की बातें बेटी के मुंह से रोज एक बार निकल ही जाती हैं,
  • वह और कोई नहीं उनके ग़म-गुसार को समझे वह पति से पहले उनके मन की जाने वह पापा है।
  • बर्फ के गोले, अमिया और हलवा पुरी नानी मस्त बनाती थी ,
  • तभी नाना के रोब के बाद खीर मालपुआ भी खिलाती थी।
  • टीवी, कार्टून ,सीरियल सब एक ही छत के पात्र थे ,मोबाइल डिजिटल युग सब वो टूटे तारों में ही दिखते थे ।
  • नाजो पली नाना के घर उनकी लाडो आज भी, आंखें नम कर जाती हैं जब बार-बार उनको नाना की याद आ जाती है।
डॉ. सीमा दाधीचलालसागर, जोधपुर
डॉ. सीमा दाधीचलालसागर, जोधपुर

मेरे नाना का घर डॉ. सीमा दाधीचलालसागर, जोधपुर

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