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कोरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री की आगामी चुनौतियों से अवगत कराया

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कोरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री की आगामी चुनौतियों से अवगत कराया

जयपुर, दिव्या राष्ट्र। कागज की किल्लत झेल रहे पैकेजिंग व एसेसरीज उद्योग संकट में है। पेपर मिलों द्वारा कागज की कीमतों की वृद्धि से गत्ता व्यवसाय से जुड़े उद्यमियों की जान पर बन आई है। प्रतिस्पर्धा के दौर में कागज की कीमतों में वृद्धि से कोरोगेटेड बॉक्स निर्माता पेपर मिल व ग्राहकों के बीच सैण्डविच बन गए हैं। पेपर मिलों की ओर से पिछले दिनों करीब 20 से 25 प्रतिशत की दर से क्राफ्ट पेपर की दरों में वृद्धि की गई है। और आने वाले समय में यह बढ़ोतरी जारी रह सकती हैं। ऑल राजस्थान कोरोगेटेड बोर्ड एण्ड बॉक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, हेमेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कई राज्य स्तरीय एसोसिएशनों ने इस स्थिति पर चर्चा करने के लिए आपातकालीन बैठकें बुलाई हैं और देशभर में क्राफ्ट पेपर की वैकल्पिक उपलब्धता की योजनाएं बनाई जा रही हैं। राज्य में कोरोगेटेड बाक्स इंडस्ट्री में कच्चे माल क्राफ्ट पेपर की कीमतों में पिछले 3 माह से हो रही लगातार वृद्धि पर गहरी चिंता जताई हैं। उन्होंने कहा कि यह वृद्धि न केवल इंडस्ट्री के अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर रही है, बल्कि इसके दूरगामी प्रभाव पूरे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और रोज़गार पर भी पड़ सकते हैं। इससे हजारों कार्टून फैक्ट्रियां गंभीर आर्थिक संकट में फंसती जा रही हैं।

अग्रवाल ने बताया कि यह बढ़ोतरी आयातित रद्दी ओसीसी वेस्टेज की आपूर्ति में कमी की वजह से हो रही है। इसका प्रमुख कारण है कि रद्दी निर्यातक यूरोपीय एवं अमेरिकी देशों में भी अब ओसीसी वेस्टेज से पेपर बनने लगा है, इससे पहले वहां सिर्फ एग्रो बेस पल्प मेटेरियल से ही पेपर बनाया जाता था। शिपिंग कंपनियों की मनमानी की वजह से कंटेनर्स की कमी हो रखी है और आयात का भाड़ा भी बढ़ चुका है। इसलिए पेपर मिल मालिकों भी आज के परिदृश्य में कोरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री को किसी प्रकार की सहायता करने में लाचार है। पेपर मिल मालिकों द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के की जा रही कीमतों में वृद्धि अग्रिम पेमेंट की मांग और 15-20 दिनों में पेपर की आपूर्ति ने ओसीसी वेस्ट निर्माताओं की छवि और उनके ग्राहकों के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा, “यह वृद्धि न केवल एक केवल एक आर्थिक संकट है, बल्कि यह इंडस्ट्री की स्थिरता और इसके लाखों कर्मचारियों की आजीविका पर सीधा हमला है। इस उद्योग के संकट में आने से ’मेक इन इण्डिया’ और ’आत्मनिर्भर भारत’ जैसी प्रमुख योजनाओं पर भी प्रभाव पड़ेगा। यदि यह स्थिति जल्दी नहीं सुधरी तो इंडस्ट्री के सामने गंभीर संकट आ सकता है और राजस्थान की लगभग 1200 बाक्स इन्डस्ट्री गंभीर आर्थिक संकट में फस जाएगीं। कई कोरोगेटेड बाक्स निर्माताओं की फैक्ट्रियां बंद होने के कगार पर हैं।

उन्होंने सरकार और उद्योग जगत के सभी प्रमुख उद्योगपतियों से इस मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया और समाधान खोजने की अपील की।

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