
मंडी के 5000+ विद्यार्थियों ने ‘गीतानुशीलनम् 2025’ में भाग लिया
11 दिसंबर 2025; मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी ने अत्यंत उत्साह के साथ ‘गीतानुशीलनम् 2025’ का आयोजन कर गीता जयंती मनाई। इस कार्यक्रम का आयोजन ईक्श्माह सेंटर (इंडियन नॉलेज सिस्टम एंड मेंटल हेल्थ एप्लीकेशंस) द्वारा लर्न गीता लिव गीता, जो भगवद् गीता के वैज्ञानिक अध्ययन हेतु समर्पित एक ऑनलाइन मंच है, के सहयोग से किया गया। आईआईटी मंडी में ईक्श्माह सेंटर का उद्देश्य भगवद् गीता की प्राचीन ज्ञान परंपरा का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य, चेतना विज्ञान और सतत विकास जैसे विषयों के समाधान में करना है।
इस वर्ष, मंडी और आसपास के क्षेत्रों के 25 से अधिक स्कूलों एवं कॉलेजों के 5,000 से अधिक विद्यार्थियों ने एक माह तक चलने वाली भगवद् गीता -आधारित प्रतियोगिताओं में भाग लिया। आईआईटी मंडी के शिक्षकों और छात्रों के मार्गदर्शन में प्रतिभागियों को गीता के विज्ञान और दर्शन से परिचित कराया गया। विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक श्लोक वाचन, निबंध लेखन, कला निर्माण और क्विज़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया, जिनका समापन ‘गीतानुशीलनम्’ समारोह के दौरान आयोजित भव्य पुरस्कार वितरण के साथ हुआ।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण भगवद् गीता का सामूहिक कोरस पाठ था, जो कुरुक्षेत्र के पावन युद्धभूमि पर भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के मध्य हुए दिव्य संवाद को समर्पित था। सामूहिक मंत्रोच्चारण ने गहन श्रद्धा और आत्मचिंतन का वातावरण निर्मित किया, जिसने उपस्थित दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी।
आईआईटी मंडी के डायरेक्टर प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने सभी हिस्सा लेने वाले स्कूलों के टीचर्स, स्टूडेंट्स, परफॉर्मर्स और समर्पित वॉलंटियर्स का दिल से आभार व्यक्त किया, जिनके सामूहिक प्रयासों से यह कार्यक्रम सफल हुआ। उन्होंने भगवद गीता को “भारत की आत्मा – वह सार जो भारत को भारत बनाता है” बताया। इसकी बदलाव लाने वाली शक्ति पर ज़ोर देते हुए, उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में समाज की गंभीर चुनौतियाँ – जैसे ड्रग्स का दुरुपयोग, बढ़ते आत्महत्या के मामले और मानसिक स्वास्थ्य की परेशानियाँ – तब प्रभावी ढंग से हल की जा सकती हैं जब गीता का ज्ञान हर व्यक्ति और हर घर तक पहुँचे। उन्होंने छोटे बच्चों को इस मार्गदर्शक रोशनी को इतनी ईमानदारी से अपनाने के लिए धन्यवाद दिया और बताया कि आईआईटी मंडी में लगातार तीसरी बार गीतानुशीलनम का आयोजन एक बड़ी सफलता रही है, जो एकेडमिक उत्कृष्टता के साथ-साथ मूल्यों पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सुश्री सौम्या संबशिवन, डीआईजी (धर्मशाला रेंज), ने युवाओं में भावनात्मक विकास और नैतिक नेतृत्व निर्माण में गीता की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा,
“स्वामी विवेकानंद द्वारा अनुभव की गई उसी ध्यानात्मक भावना का अनुभव करना एक सम्मान की बात है। आईआईटी मंडी परिसर में लौटना हमेशा विशेष लगता है। मैं विद्यार्थियों को भक्ति और गुरु-आदर के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हूँ, क्योंकि यही मूल्य चरित्र को सशक्त बनाते हैं और जीवन की चुनौतियों को पार करने में सहायता करते हैं।”
श्री ललित कुमार अवस्थी, कुलपति, सरदार पटेल विश्वविद्यालय, मंडी, ने युवा विद्यार्थियों में आध्यात्मिक शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी मंडी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा,
“यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता होती है कि आईआईटी मंडी बच्चों को कम उम्र से ही भगवद् गीता सीखने का अवसर प्रदान कर रहा है। मैंने स्वयं दो बार गीता का पाठ किया है, और मेरा दृढ़ विश्वास है कि इसके उपदेशों का पालन जीवन में सार्थक परिवर्तन लाता है।”
कार्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी शामिल थीं, जिनमें नाटी लोक नृत्य, मंडव नगरी नृत्य, योग नृत्य और गीता-आधारित आकर्षक शैडो ड्रामा प्रमुख रहे। समारोह का समापन माननीय निदेशक द्वारा संचालित मेगा क्विज के साथ हुआ, जिसमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। विजेताओं को भगवद् गीता की प्रतियाँ और पुरस्कार प्रदान किए गए, जिससे उन्हें इसकी शिक्षाओं को अपने दैनिक जीवन में अपनाने की प्रेरणा मिली।
कार्यक्रम आयोजकों ने बताया कि ‘गीतानुशीलनम्’ का उद्देश्य युवा मनों को गीता का अनुभव केवल एक शास्त्र के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवन विज्ञान (वे ऑफ लाइफ) के रूप में कराना है — ऐसा विज्ञान जो विचारों में स्पष्टता, भावनात्मक दृढ़ता, धर्मसम्मत कर्म और नैतिक नेतृत्व को विकसित करता है।






