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प्रकृति के नौ रंगों से मां दुर्गा का पूजन

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लेखक (दिव्य राष्ट्र के लिए मंगल व्यास भारती)

चैत्र मास शुभ मुहूर्त में नव संवत्सर संवत् प्रारंभ हो जाता हैं। जिस तरह प्रकृति में मनोहारी दृश्य विधमान हो अलग अलग गुणों एवं दुर्गुणों का विधमान होना संभव होता हैं।उसी प्रकार अलग अलग ऋतु में आती हैं, और उनका विनाश हो जाता हैं। संस्कृति शिक्षा सभ्यता बसी हुई है,जो कि हम हर साल की तरह अब कि बार प्रतिपदा चैत्र शुक्ल पक्ष एकम से पावन नवरात्र पर्व मनाने जा रहे हैं।
देश भर में नवरात्रि को लेकर धूम मची रहती हैं, लोगों में खास उत्साह देखने को मिलता रहता हैं। नौ दिनों के उत्सव को श्रद्धा, समर्पण और उत्साह के साथ मनाया जाता हैं।
इस वर्ष नवरात्रि त्योहार भी मनाया जाएगा, नवरात्रि के रूप में पूजा अर्चना जप तप दान पुण्य आदि का विशेष महत्व होता हैं।
एक अनमोल उत्सव के रूप में बताया गया है, नवरात्रि नौ दिनों तक निरंतर चलता है। जिसमें देवी मां के अलग-अलग स्वरूपोंकी की लोग भक्ति और निष्ठा से पूजा अर्चना करते हैं। भारत नवरात्रें में अलग-अलग राज्यों में विभिन्न तरीकों से और विधियों संग मनाई जाती हैं। देवी मां ने महिषासुर राक्षस का वध किया था। इस राक्षस को ब्रह्मा जी को वरदान प्राप्त था। इसने बहुत उत्पात मचाया और अत्याचारों से लोग परेशान हुए।तब ब्रह्मा विष्णु और महेश जी ने अपनी शक्ति को मिलाया और देवी दुर्गा की रचना की थी। देवी दुर्गा की इस शक्ति को नवरात्रि के इस त्योहर रुप में मान्यता मिली और इससे जुड़ी हुई नवरात्रि त्योहार का आरंभ हुआ। पहले दिन शैलपुत्री मां की पूजा अर्चना करते हैं।इसकी उपासना से मन की अशांति को दूर किया जाता हैं। ब्रह्मचारिणी स्वरूप में अराधना की जाती हैं। इनकी पूजा और व्रत करने से हम सब दुनिया में पहचान बना अलग मुकाम हासिल कर सकते हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन भक्त देवी दुर्गा का चंद्र घंटा स्वरूप मान पूजा अर्चना करते हैं। चंद्र घंटा इसलिए नाम पड़ा कि मां का स्वरूप चांद की तरह चमकता है मन के नकारात्मक प्रभाव दूर करता हैं। नवरात्रि के चौथे दिन लोग दुर्गा मां कूष्मांडा स्वरूप में स्थित देवी की अराधना करते हैं। इनकी पूजा और व्रत कथा से उन्नति की राह पर चलता हैं, नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा अर्चना कर इनके कार्तिकेय माता के स्वरूप में जानते हैं। भक्तों के न्यहारिक ज्ञान को प्राप्त कर विकसित करने के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, नवरात्रि के छटे दिन देवी दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप में स्थित देवी मां की पूजा अर्चना करते हैं। मां कात्यायनी स्वरूप की पूजा अर्चना कर मनुष्य अपनी नकारात्मक ऊर्जा खत्म करता हैं। सातवें दिन देवी दुर्गा के रूप में कालरात्रि के स्वरूप में स्थित देवी मां की पूजा अर्चना करते हैं। और अपने जीवन में यश सम्मान और कीर्ति की प्राप्ति करते हैं। नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गा मां के महागौरी के स्वरूप में जानते हुए अराधना करते हैं। मनुष्य के मन की इच्छा पूरी हो जाती हैं। नवरात्रि के नौ वे दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप में स्थित मान कर पूजा अर्चना करते हैं। इस पूजा अर्चना से हमें ताकत मिलती है अधूरे कार्यों में सफलता पूर्वक कार्य करते हैं। नवरात्रि के इस उत्सव पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, पौराणिक कहानियां प्रचलित है एक कहानी यह भी है किअप दुखों से मुक्ति पाने के लिए छुटकारा के लिए देवी दुर्गा की अराधना की थी,इन नौ दिनों की पूजा अर्चना के बाद दसवें दिन रावण के वध बाद इस उत्सव को दशहरा के रूप में मनाया जाता हैं।
स्वरचित,, मंगल व्यास भारती चूरू राज

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