पहली बार मनाया गया विश्व ध्यान दिवस

100 views
0
Google search engine

वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए ध्यान

(दिव्यराष्ट्र के लिए डॉ गोविन्द पारीक अतिरिक्त निदेशक जनसंपर्क सेनि)

भारत की पहल पर प्रारंभ हुए विश्व योग दिवस का आयोजन प्रारंभ करने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाए जाना प्रारंभ किया गया है। पहले विश्व ध्यान दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में किया गया।

आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक श्री श्रीरविशंकर ने इस अवसर पर प्रतिनिधियों को ध्यान का अभ्यास कराया और ध्यान से होने वाले लाभों और आयामों पर डाला। ‘वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए ध्यान’ के आयोजन के अवसर पर महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग भी मौजूद रहे।

ध्यान को मिली वैश्विक मान्यता

उल्लेखनीय है कि 6 दिसंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित करते हुए प्रस्ताव पारित किया था। उक्त प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका थी। प्रस्ताव को अपनाकर ध्यान की परिवर्तनकारी क्षमता को एक प्रकार से वैश्विक मान्यता प्रदान की गई है।

शीतकालीन संक्रांति 21 दिसंबर से शुरुआत

विश्व ध्यान दिवस का आयोजन 21 दिसंबर को करने के पीछे भी एक महत्वपूर्ण अवधारणा है।भारतीय परंपरा में उत्तरायण की शुरुआत शीतकालीन संक्रांति 21 दिसंबर से होती है। इसे साल का सबसे शुभ समय माना जाता है। खास तौर पर ध्यान और आंतरिक चिंतन के लिए यह काफी शुभ होता है। यह 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के ठीक छह महीने बाद पड़ता है, जो कि ग्रीष्मकालीन संक्रांति होती है।संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में योग और ध्यान के बीच संबंध को स्वास्थ्य और कल्याण के पूरक दृष्टिकोण के रूप में स्वीकार किया गया है। ध्यान लोगों के प्रति करुणा और सम्मान पैदा करता है। मानसिक स्वास्थ्य और ध्यान के बीच गहरे अंतर्निहित संबंध है।

ध्यान की परंपरा 5,000 ईसा पूर्व से

विभिन्न संस्कृतियों में धार्मिक, योगिक और धर्मनिरपेक्ष परंपराओं में निहित ध्यान का अभ्यास हज़ारों वर्षों से किया जाता रहा है। पुरातत्वविदों के अनुसार ध्यान की परंपरा 5,000 ईसा पूर्व से चली आ रही है। इस प्रथा का संबंध प्राचीन भारत, मिस्र और चीन, हिंदू धर्म, यहूदी धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और बौद्ध धर्म से भी है।
ध्यान तनाव, रक्तचाप और चिंता को कम करने, भावनात्मक स्वास्थ्य को बढ़ाने, आत्म-जागरूकता बढ़ाने और नींद में सुधार करने में मदद करता है। ध्यान स्वास्थ्य और खुशहाली में योगदान दे सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य में उपयोगी

ध्यान एक अभ्यास है, जिसमें वर्तमान क्षण पर अपना ध्यान केंद्रित करना शामिल है। ध्यान में एक व्यक्ति मन को प्रशिक्षित करने और मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक शांति और शारीरिक विश्राम की स्थिति प्राप्त करने के लिए एकाग्र विचार तकनीक का उपयोग करता है। वर्तमान परिवेश में ध्यान व्यक्तिगत कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक सार्वभौमिक उपकरण बन गया है।

ध्यान शांति, स्पष्टता और संतुलन प्राप्त करने के लिए अद्वितीय दृष्टिकोण प्रदान करता है। तनाव को कम करने, भावनात्मक संतुलन में सुधार करने, चिंता और अवसाद को कम करने और नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने की इसकी क्षमता सर्वमान्य है। यह उच्च रक्तचाप को कम करने और दर्द को प्रबंधित करने सहित बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य में भी योगदान देता है।

मोबाइल ऐप्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोगों को कहीं भी और कभी भी ध्यान का अभ्यास करने में सहयोगी सिद्ध हो रहे हैं। व्यक्तिगत लाभों से परे, ध्यान सहानुभूति, सहयोग और साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देकर सामूहिक कल्याण में योगदान देता है। अपनी सार्वभौमिकता के दृष्टिकोण से ध्यान का अभ्यास दुनिया के सभी क्षेत्रों में सभी उम्र, पृष्ठभूमि और जीवन शैली के लोगों द्वारा किया जा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार योग मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और योग में ध्यान संबंधी तत्व शामिल होते हैं।

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शांति का कमरा

संयुक्त राष्ट्र में ध्यान के माध्यम से शांति और एकता के विकास पर बल देते हुए तत्कालीन महासचिव डैग हैमरशॉल्ड के मार्गदर्शन में 1952 में ध्यान कक्ष खोला गया था। यह “शांति का कमरा” वैश्विक सद्भाव प्राप्त करने में मौन और आत्मनिरीक्षण की आवश्यक भूमिका का प्रतीक है। सशस्त्र संघर्ष, जलवायु संकट और तेजी से हो रही तकनीकी प्रगति जैसी वैश्विक चुनौतियों के समय में ध्यान शांति, एकता और करुणा को विकसित करने का एक शक्तिशाली साधन प्रदान करता है।

विश्व ध्यान दिवस हमें अपने और अपने समुदायों के भीतर सद्भाव बनाने के साथ ही मानव चेतना को पोषित करने के महत्व की याद दिलाता है। ध्यान के माध्यम से आंतरिक शांति को बढ़ावा देकर व्यक्ति वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक अधिक लचीली और टिकाऊ दुनिया के निर्माण में योगदान कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्यों में शामिल मानसिक स्वास्थ्य में योगदान के लिए ध्यान को मान्यता मिल रही है।

महर्षि पतंजलि के योगसूत्र में अष्टांग योग में ध्यान भी एक सोपान है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि भगवान का ध्यान करते थे। चित्त को एकाग्र करके केन्द्रित कर देना ध्यान है। ध्यान की अवस्था में व्यक्ति स्वयं के साथ ही अपने आसपास के वातावरण को भी भूल जाता है। ध्यान करने से आत्मिक तथा मानसिक शक्तियों का विकास होता है। ध्यान से शरीर की रोग-प्रतिरोधी शक्ति और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। मन शान्त होने पर उत्पादक शक्ति बढती है। ध्यान से अपने जीवन का उद्देश्य समझने में सहायता मिलती है।

ध्यान से व्यग्रता में 39 प्रतिशत तक कमी

वैज्ञनिकों के अनुसार ध्यान से व्यग्रता में 39 प्रतिशत तक कमी आती है और मस्तिष्क की कार्य क्षमता बढ़ती है। ध्यान में मन को विशान्ति देने से लेकर करुणा, प्रेम, धैर्य, उदारता, क्षमा आदि गुणों का विकास होता है। आज की दुनिया को इन गुणों की सर्वाधिक आवश्यकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here