(सरोज दाधीच)
जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ राजस्थान सरकार के कृषिमंत्री डा. किरोड़ी लाल मीणा लंबे समय से अपनो से नाराज चल रहे है। वैसे यह कोई नई बात नहीं है कि डा. किरोड़ी लाल मीणा पहली बार नाराज हुए हो वे पूर्व मुख्यमंत्री मंत्री भैरो सिंह शेखावत और पूर्व मुख्यमंत्री मंत्री रही वसुंधरा राजे से भी नाराज रहे हैं। शेखावत से नाराजगी के चलते हुए उन्हें कई बार सत्ता और संगठन में नुकसान भी उठाना पड़ा। उस समय शेखावत की नाराजगीसे बचाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे ललित किशोर चतुर्वेदी से संरक्षण मिलता रहता था। वसुंधरा राजे से नाराजगी के कारण उन्हें पार्टी से बाहर भी जाना पड़ा। राष्ट्रीय जनता पार्टी (एनपीपी) के बैनर पर उन्होंने कांग्रेस, भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की लेकिन चार सीट ही जीत पाए। इससे पहले उन्होंने निर्दलीय के रूप में लोकसभा, विधान सभा का चुनाव भी लड़ा और अपनी पत्नी गोलमा देवी को भी निर्दलीय विधायक का चुनाव जीतकर तत्कालीन अशोक गहलोत की सरकार में मंत्री भी बनवा दिया। डा. किरोड़ी लाल राजस्थान के चंद उन नेताओं में से हे जिन्होंने अलग अलग क्षेत्र से चुनाव लड़कर विजय प्राप्त की। साथ ही उन्हें जिला प्रमुख, विधायक, लोकसभा, राज्यसभा का सदस्य बनने का अवसर मिला। संगठन में भी उन्हें युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बनने का भी अवसर मिला। डा. किरोड़ी लाल की सता और संगठन से नाराजगी दौसा विधान सभा उप चुनाव के बाद ज्यादा बड़ी है। उन्होंने राज्य में सत्ता रूढ़ बीजेपी की भजन लाल सरकार में कृषि मंत्री के रूप में शपथ ली परन्तु स्वयं ने नाराजगी के चलते मंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी भले ही उनका त्याग पत्र राज्यपाल को आज तक नहीं भेजा गया। उपचुनाव में भाजपा ने किरोड़ी लाल के भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिया था लेकिन वे अपने भाई को चुनाव नहीं जीता पाए ऐसी स्थिति में उन्होंने इस हार के पीछे कारण संगठन की निष्क्रियता को बताया । किरोड़ी लाल ने पेपर लीक प्रकरण को मुद्दा बनाकर राज्य में अपनी राजनेतिक पहचान बनाने की कोशिश की परन्तु पार्टी संगठन ने इसे संगठन का मुद्दा नहीं बनाकर व्यक्तिगत रूपसे किरोड़ी लाल मीणा का ही मुद्दा कर दिया। डा किरोड़ी लाल उन चंद विधायकों में से भी है जो सपत्नीक विधायक बने हो। अब लगता है किरोड़ी लाल की वर्तमान भाजपा नेतृत्व से नाराजगी कोई नए राजनीतिक समीकरण खड़े करेगी।