पत्रकारिता के साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़ा एक स्नेहिल व्यक्तित्व शैलेश व्यास
जय राजस्थान दैनिक में मेरे वरिष्ठ सहयोगी रहे वरिष्ठ पत्रकार भूपेन्द्र कुमार चौबीसा से दूरभाष पर जय राजस्थान के प्रधान सम्पादक शैलेषजी व्यास के असामयिक निधन का दु:खद समाचार मिला। मैं स्तब्ध रह गया। अचानक यह कैसा समाचार मिला।
आज शैलेष जी भाई साहब को अन्तिम विदाई के साथ उनकी स्मृतियां मन- मानस में उमड़ रही है। उनक वो मस्त मौला अन्दाज, खुश मिजाजी, दु:ख में धैर्य व उत्साह प्रदान करने वाला उनका स्वभाव व स्नेहिल भाव सहज ही याद आ रहा है।
शैलेष जी भाई से मैं सर्व प्रथम 1980 में मिला। तब मैं पांचवीं कक्षा का विद्यार्थी था। उनकी माताजी वैद्या दुर्गादेवी जी व्यास जिन्हें हम स्नेह से मम्मी जी कहते थे। वे और मेरे माता- पिता आयुर्वेद विभाग में सहकर्मी थे। मम्मीजी ने मुझे कहा 6 फरवरी को जय राजस्थान का स्थापना दिवस है- तुम जरूर आना। उस दिन मैं पहली बार जय राजस्थान ऑफिस बागर गली, हाथीपोल कार्यालय पर आया।
पूर्व मुख्यमंत्री व तत्कालीन सांसद मोहनलाल सुखाडिय़ा के मुख्य आतिथ्य में समारोह हुआ था। उस दिन से शैलेशजी भाई साहब से हुआ परिचय आजीवन रहा। उन्होंने सदैव अनुज की तरह स्नेह व दुलार दिया।
फिर मैं क्षेत्र की समस्या के सम्बन्ध में सम्पादक के नाम पत्र लिख कर भेजने लगा। बाद में पत्रकारिता पीजी डिप्लोमा के अध्ययन के बाद मैं जय राजस्थान के संस्थापक- सम्पादक चन्द्रेशजी व्यास के आशीर्वाद से जय राजस्थान की समाचार शाखा में जुड़ गया। लगभग बीस वर्ष तक शैलेषजी के साथ काम करने का अवसर मिला।
वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे वरिष्ठ पत्रकार तो थे ही साथ ही एक समाज सेवी, कला संगीत व संस्कृति प्रेमी होने के साथ वे एक अच्छे इंसान थे।
शैलेष जी उस पीढ़ी के पत्रकार हैं। जो ट्रेडल मशीन से लेकर कम्प्यूटर व इन्टरनेट युग की पत्रकारिता के साक्षी है। पहले कम्पोजिंग का जमाना था। डबोक हवाई अड्डे से तापमान जानने के लिए भी ट्रंककॉल बुक करवा कर इन्तजार करना पड़ता था। अन्य शहरों व जिलों के संवाददाता व्यक्तिगत डाक या रोडवेज की बस से समाचार और फोटो भी भेजते थे। उस दौर से इस दौर तक पापाजीके बाद शैलेष जी भाई साहब जय राजस्थान की मशाल थमे रहे। उनक महाप्रयाण पत्रकारिता व सामाजिक जगत के साथ मेरी व्यक्तिगत क्षति है।
मैंने और मेरे जैसे कई पत्रकारों ने जय राजस्थान में पत्रकारिता का कहकहरा भी सीखा। कई वरिष्ठ पत्रकारों की पत्रकारिता का शैशव काल जय राजस्थान में ही प्रारम्भ हुआ। पापाजी चन्द्रेश व्यास व भाई साहब शैलेषजी व्यास कई पत्रकारों को प्रशिक्षित भी किया।
शैलेष जी भाई साहब को संगीत व फिल्मों से भी जुड़ाव था। कुछ फिल्मों में वे अतिथि कलाकार के रूप में भी सम्मिलित हुए। लायन्स क्लब व अन्य सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से सेवा व सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहे।
उनके साथ विभिन्न आयोजनों, राजनीतिक सभाओं, पत्रकार सम्मेलनों में भी जाने जाने का अवसर मिला। वे एक जिन्दादिली इंसान थे। शैलेष जी विषय में एक बात मैं न लिखूं तो तेरा यह लेखन अधूरा रह जाएगा। मैं जय राजस्थान में समाचार सम्पादक रहते हुए 1999 में उदयपुर में पार्षद निर्वाचित हो गया। मैं पार्षद के साथ भाजपा का शहर जिला मंत्री व जिले का प्रेस प्रभारी था। लेकिन मैंने अपने दलगत जुड़ाव का असर कभी पत्रकारिता पर नहीं आने दिया। मेरा मानना है कि यह विवेक मुझे पापाजी चन्द्रेशजी व्यास के सानिध्य में मिली पत्रकारिता की घुट्टी से मिला। जिससे मेरे सार्वजनिक जीवन में दल विशेष से जुड़ाव के बाद भी पत्रकारिता में जय राजस्थान में सेवाएं यथावत रही। मुझे इस बात का संतोष है कि यहां काम करते हुए शैलेष भाई साहब या अन्य पाठकों ने कभी भी मेरे बारे में राजनीतिक भेदभाव की शिकायत नहीं की। राजनीति व व पत्रकारिता के दायित्वों का विवेक पूर्ण सन्तुलन वर्षों तक मैंने शैलेष जी भाई साहब के सानिध्य में निभाया, मैं उन्हें कैसे भूला सकता हूं! शैलेषजी ने प्रतिकूल परिस्थितियों में पत्रकारिता के मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया।
पत्रकारिता व समाज सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले शैलेषजी भाई साहब हमें छोड़ कर अनन्त यात्रा पर चल दियेद्ध अब उनकी स्मृतियां शेष हैं। शत् शत् नमन। विनम्र श्रद्धांजलि।
– डॉ. विजयप्रकाश विप्लवी
पूर्व पार्षद, उदयपुर
(लेखक वर्षों तक जय राजस्थान दैनिक की समाचार शाखा में कार्यरत रहे हैं)