Home Blog आज का युवा कृष्ण से सीखे चरित्र निर्माण

आज का युवा कृष्ण से सीखे चरित्र निर्माण

122 views
0
Google search engine

कृष्ण न केवल उत्तम वक्ता, उत्तम राजदूत, युद्ध कला में निपुण जिनमें धनुर्विद्या में प्रवीण ,गदा युद्ध में कौशल मल्ल विद्या में, श्रेष्ठ ,धैर्यवान , उत्कृष्ट सारथी ही थे बल्कि उन्होंने उज्जैन के संदीपनी ऋषि के आश्रम में रहकर 64 दिन में 64 विधाओं का ज्ञान प्राप्त किया उन्हें दशसिद्धि, अष्टमहासिद्धि प्राप्त थी जिसके चलते ही वस्त्रावतार धारण कर श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज रखी श्री कृष्ण ने नारी का सम्मान किया उनके जीवन में नरकासुर के कारावास से मुक्त 16000 कन्याओं की बड़ी चुनौती थी जिनसे विवाह कर उन्हें समाज में उन कन्याओं को उचित स्थान दिलाया यह चरित्र निर्माण का श्रेष्ठ उदाहरण है । कृष्ण योद्धा भी रहे उन्होंने युद्ध में दूसरों की सहायता कर कंश जरासंध कौरव को मार कर अन्याय को नष्ट किया कृष्ण ने आदर्श मित्र का भी उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया ।
कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के मैदान में गीता का ज्ञान दे दिया आज की युवा पीढ़ी के लिए कृष्ण का संदेश भी यही से मिलता है जब भारी तनाव और दबाव जैसी स्थिति हो व्यक्ति मन और दिमाग को शांत रखें बुरी से बुरी स्थिति में भी वह अपने लिए सही रास्ता खोज ही लेगा ।कृष्णा का जीवन सरल ना था जन्म कारागृह में संघर्ष की शुरुआत मात्र तीसरे दिन से पूतना को मारा और कृष्ण का संघर्ष देहान्त त्यागने से पहले द्वारिका डुबोने तक रहा आज के युवाओं के लिए कृष्ण आदर्श ही नहीं सर्वश्रेष्ठ गुरू सा है कृष्ण का जीवन कहता है जो संसार में आया है संघर्ष रहेगा लेकिन जिस तरह कृष्ण ने चुनौतियों को स्वीकार कर धैर्य से रास्ता निकाला और कभी किसी बात की शिकायत नहीं की हर परिस्थिति को जिया और जीत में बदला।
कृष्ण कहते हैं स्थिति से भागों मत मुकाबला डटकर करें । हम परेशानियो में भी केवल कर्म से ही विजय प्राप्त कर सकते हैं ।
कृष्ण के जीवन से उत्तम स्वास्थ्य की प्रेरणा की मिलती हैं जब बचपन में मक्खन खाया जिससे पौष्टिक तत्व यह बताता है बचपन में अच्छा खाने से ही स्वास्थ सही रहता है स्वस्थ शरीर से ही विजय हो सकते हैं कृष्ण ने आदर्श पुत्र ,आदर्श बंधु ,आदर्श पति ,आदर्श पिता ,आदर्श मित्र के जीवन को अच्छे से जिया,उन्होंने समाज को संदेश दिया अन्याय को सहन नहीं करना है और ऐसा आचरण रखना है जिससे दूसरों का कल्याण हो। कृष्ण धेर्यवान , नि:स्वार्थी ,शुर और पराक्रमी भी थे ,वो नृत्य कला, संगीत, बांसुरी वादन एवं रास क्रीड़ा से संघर्षशील जीवन में भी हंसी खुशी माहौल को बनाए रखा ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here