(हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक एवं श्री रामचंद्र मिशन के अध्यक्ष दाजी द्वारा दिव्यराष्ट्र के लिए)
क्या हम आसमान और समुद्र की खोज करने से पहले ही अपने भीतर खोज रहे थे?*
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भले ही नया है, लेकिन योग अपने आप में कालातीत है। इसकी शुरुआत लिखित इतिहास से परे है।
जंगलों की खामोशी में, नदियों के किनारे और प्राचीन भारत के खुले आसमान के नीचे ऋषि-मुनि शांति से बैठे थे। उन्होंने कोई विधि नहीं खोजी। उन्होंने जीवन जीने के एक तरीके को पहचाना और उसे आकार दिया, जो आंतरिक व्यवस्था, प्राकृतिक लय और संपूर्णता के प्रति स्थिर जागरूकता पर आधारित था।
योग शरीर, श्वास, मन और हृदय के प्राकृतिक मिलन को सुगम बनाता है। यह आंतरिक जुड़ाव ऐसी परिस्थितियाँ निर्मित करता है जिनसे गहन ज्ञान उभर सकता है। समय के साथ इससे निर्णय लेना, संतुलित रहना और दैनिक जीवन में शांति से प्रतिक्रिया करना आसान हो जाता है।
ऋग्वेद ने उस एकता की बात की जिसमें सभी चीजें शामिल हैं। उपनिषदों ने इसे तीन शब्दों में व्यक्त किया: ‘तत् त्वम असि’, तुम वही हो। योग के आठ अंग नैतिक सिद्धांतों (यम और नियम) से लेकर समाधि की अंतिम अवस्था तक मानव उत्कर्ष के लिए एक संपूर्ण रूपरेखा प्रदान करते हैं।
यह प्राचीन ज्ञान आधुनिक आत्मा से भी संबंधित है क्योंकि यह चिरस्थायी मानवीय चिंताओं का हल दिखाता है: हम अराजकता में शांति कैसे पा सकते हैं? हम शरीर, मन और आत्मा को कैसे एकजुट कर सकते हैं? हम अपनी सीमाओं को कैसे पार कर सकते हैं? भारत के ऋषियों ने अनुभवात्मक विज्ञान के माध्यम से इन सवालों के जवाब दिए, जो सभी के लिए उपलब्ध आत्म-खोज की एक पद्धति है।
आंतरिक अभ्यासों का वैश्विक आलिंगन*
आज दुनिया भर के लोग अपने दिन की शुरुआत योग से करते हैं। शहरों और गाँवों में, घरों और सार्वजनिक स्थानों पर वे श्वास क्रिया और ध्यान से शुरुआत करते हैं। ये सरल अभ्यास तनाव को कम करने, ध्यान केंद्रित करने और दैनिक जीवन में शांति की भावना लाने में मदद करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने 2014 में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। दुनिया भर के देशों ने इस निर्णय का समर्थन किया। इसने माना कि योग विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमियों के लोगों की मदद करता है। तब से लाखों लोगों ने योग को अपने दैनिक जीवन में शामिल किया है। वे इसका उपयोग स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, मन को शांत करने और अधिक संतुलित महसूस करने के लिए करते हैं।
वैश्विक योग और ध्यान बाजार 2025 तक $37 बिलियन को पार करने का अनुमान है। यह आंतरिक कल्याण में व्यापक और बढ़ती रुचि को दर्शाता है।
पथ के केंद्र में ध्यान*
योग का उद्देश्य मन को शांत करना और ध्यान के लिए तैयार करना है। ध्यान अभ्यास का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। ‘ध्यान’ शब्द दो मूलों से आया है: धी, जिसका अर्थ है उच्च ज्ञान या आंतरिक बुद्धिमत्ता, और यान, जिसका अर्थ है वाहन या गति। ध्यान वह वाहन बन जाता है जिसके माध्यम से हम अपने भीतर ज्ञान के स्रोत से जुड़ जाते हैं, जो योग का वास्तविक अर्थ है। शारीरिक आसन शरीर को मजबूत और स्थिर बनने में मदद करते हैं। इससे लंबे समय तक बैठकर ध्यान करना आसान हो जाता है। ध्यान की शांति में ही सच्चा परिवर्तन होता है, जहाँ वृत्तियाँ (मानसिक उतार-चढ़ाव) शांत हो जाती हैं, जहाँ अहंकार विलीन हो जाता है और जहाँ हम अपनी मूल प्रकृति को स्पर्श कर पाते हैं। इस आंतरिक यात्रा के बिना हम एक लचीला शरीर प्राप्त कर सकते हैं लेकिन हो सकता है कि चेतना कठोर बनी रह जाए। हम हाथों के बल खड़े होने में निपुण हो सकते हैं लेकिन वास्तविकता की हमारी समझ उलटी रह सकती है।
वैज्ञानिक अध्ययन इस अनुभव की पुष्टि करते रहते हैं। जेएएमए साइकियाट्री में प्रकाशित 2022 के एक ऐच्छिक परीक्षण से पता चला है कि आठ सप्ताह का ध्यान कार्यक्रम किसी प्रमुख चिकित्सक द्वारा अनुशंसित दवा की तरह ही चिंता को दूर करता है। 2024 में नेचर ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि संक्षिप्त ध्यान सत्रों ने सैकड़ों प्रतिभागियों में तनाव कम किया।
समय के साथ ध्यान एक परिचित स्थल बन जाता है, जहाँ विचार शांत हो जाते हैं और हम दिल से जुड़े रहते हैं।
बिना किसी शर्त के साझा किया गया उपहार *
योग के ज्ञान को उन ऋषियों ने मुक्त हस्त से बाँटा जिन्होंने इसे खोजा था। उन्होंने इसे छिपाया नहीं। उन्होंने देखा कि सत्य सभी का है। उन्होंने अपने जीवन जीने के तरीके, अपने आचरण, अनुशासन और अपने शांत व्यक्तित्व के माध्यम से अपनी अंतर्दृष्टि को आगे बढ़ाया। आज दुनिया भर के लोग उसी भावना से सीखना जारी रखते हैं।
आइए हम ध्यान को अपने अभ्यास के केंद्र में उसके उचित स्थान पर पुनर्स्थापित करने के लिए एक पवित्र प्रतिबद्धता लें। आइए हम शारीरिक तंदुरुस्ती को आध्यात्मिक विकास समझने की भूल न करें। मन से चेतना तक की यात्रा ही योग का संपूर्ण मार्ग है।
योग साँस लेने से शुरू होता है। ध्यान के माध्यम से यह गहरा होता है। यह हमें हृदय तक ले जाता है।
सादगी की ओर लौटना
योग लगन और निरंतरता के माध्यम से काम करता है। रोजाना कुछ मिनट का अभ्यास मानसिक और भावनात्मक बेचैनी को कम कर सकता है। प्राणायाम जैसी साँस लेने की तकनीकें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे तंत्रिका तंत्र को विनियमित करने और ध्यान के लिए मन को तैयार करने में मदद करती हैं। साँस लेने की सरल क्रियाएँ भी चिंता को कम कर सकती हैं और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। चिकित्सक अब रक्तचाप को नियंत्रित करने और नींद की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करने के लिए सरल श्वास क्रिया की सलाह देते हैं।
हार्टफुलनेस ध्यान इस प्रक्रिया को और गहरा करता है। हम बैठकर अपने हृदय का निरीक्षण करते हैं। प्रत्येक सत्र के साथ मन शांत होता है और ग्रहणबोध तेज होता है। जो लोग आसन से शुरुआत करते हैं, वे मौन के बारे में उत्सुक हो जाते हैं। जो लोग तनाव से राहत पाने के लिए आते हैं, वे एक व्यापक उद्देश्य की समझ प्राप्त करते हैं। एक सिद्ध विधि और एक समुदाय का समर्थन उन्हें अपने मार्ग पर बने रहने में मदद करता है।
हार्टफुलनेस में यह प्राणाहुति या योगिक संचरण के माध्यम से संभव है। मार्गदर्शक से साधक को यह सूक्ष्म ऊर्जावान भेंट ध्यान को गहरा करने और हृदय से अधिक सीधे जुड़ने में मदद करती है। यह ध्यान को आसान बनाने में मदद करता है और व्यवहार और सोच में स्थायी बदलावों का समर्थन करता है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस सभी को अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने के लिए आमंत्रित करता है। हम चाहे घर में हों, कार्यालय में या दिन के किसी शांत पल में, हम कुछ देर रुक सकते हैं और हृदय में लौट सकते हैं। इस तरह की एक छोटी सी क्रिया, हर दिन आधे घंटे का अभ्यास खुद को और आस-पास के वातावरण को शांति प्रदान कर सकता है। ऋषियों का मार्गदर्शन ईमानदारी से अभ्यास करने से जारी रहता है। वास्तविक परिवर्तन हमारे आचरण, ध्यान और प्रयास में दिखाई देता है।
शांति में निहित एक साझा भविष्य
योग हमें जागरूकता में निहित भविष्य की ओर इंगित करता है। शोरगुल भरी दुनिया में यह शांति बहाल करता है। आपसी दूरियों के इस समय में यह हमें उस धागे की याद दिलाता है जो सभी प्राणियों को जोड़ता है। इसके साधन सरल हैं और परिणाम स्थायी हैं।
दैनिक ध्यान की प्रत्येक क्रिया हमारी प्रतिक्रियाओं और इरादों को आकार देती है और हमारे भीतर जो परिवर्तन होता है, वह धीरे-धीरे हमारे आस-पास की दुनिया को भी बदल देता है। हम जिस शांति की तलाश कर रहे हैं, वह हमारे बाहर नहीं है। योग हमें याद दिलाता है कि यह हमेशा हमारी पहुँच में थी।
ओम शांति। यह मार्ग कई दिलों का मार्गदर्शन करे।
लेखक के बारे में: कमलेश पटेल, जिन्हें कई लोग दाजी के नाम से जानते हैं, हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक हैं। वे लोगों को अपने मन को नियंत्रित करने, अपनी भावनाओं को प्रबंधित करने और अपनी चेतना को उच्चतम संभव स्तर तक बढ़ाने में मदद करने के लिए आधुनिक दुनिया में योगिक आध्यात्मिक अभ्यासों का सार वैज्ञानिक तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। वे दुनिया भर के लाखों आध्यात्मिक साधकों के लिए एक आदर्श हैं और सभी पृष्ठभूमि और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ अपनापन महसूस करते हैं, जिसमें वे आज के युवाओं पर विशेष ध्यान देते हैं।
हार्टफुलनेस के बारे में: हार्टफुलनेस, ध्यान के अभ्यासों और जीवन शैली में बदलाव का एक सरल संग्रह प्रदान करता है। इसकी उत्पत्ति बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में हुई और भारत में 1945 में श्री राम चंद्र मिशन की स्थापना के साथ इसे औपचारिक रूप दिया गया, जिसका उद्देश्य था एक-एक करके हर हृदय में शांति, ख़ुशी और बुद्धिमत्ता लाना। ये अभ्यास योग का एक आधुनिक रूप हैं जिनकी रचना एक उद्देश्यपूर्ण जीवन की दिशा में पहले कदम के रूप में संतोष, आंतरिक शांति और स्थिरता, करुणा, साहस और विचारों में स्पष्टता लाने के लिए की गई है। वे सरल और आसानी से अपनाए जाने योग्य हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों, संस्कृतियों, धार्मिक विश्वासों और आर्थिक स्थितियों के लोगों के लिए उपयुक्त हैं, जिनकी उम्र पंद्रह वर्ष से अधिक है। हार्टफुलनेस अभ्यासों में प्रशिक्षण हजारों स्कूलों और कॉलेजों में चल रहा है, और 100,000 से अधिक पेशेवर दुनिया भर में कॉर्पोरेट निगमों, गैर-सरकारी और सरकारी निकायों में ध्यान कर रहे हैं। 160 देशों में 5,000 से अधिक हार्टफुलनेस केंद्रों का हजारों प्रमाणित स्वयंसेवी प्रशिक्षकों और लाखों अभ्यास करने वालों द्वारा संचालन किया जाता है।