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नशे के विरुद्ध लड़ाई जीती जाती है जागृति से : शेखावत

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वाराणसी में “नशा मुक्त युवा फॉर विकसित भारत” आध्यात्मिक समिट में बोले केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री

वाराणसी, दिव्यराष्ट्र*/। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि नशे के विरुद्ध लड़ाई आज्ञा से नहीं, जागृति से जीती जाती है। वह जागृति संस्कृति, समुदाय और संकल्प से आती है।

शनिवार को “नशा मुक्त युवा फॉर विकसित भारत” नामक युवा आध्यात्मिक समिट के शुभारंभ अवसर पर केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि काशी केवल एक नगर नहीं है, यह स्वयं में एक जीवंत चेतना है। ऐसी चेतना, जो युगों से अध्यात्म, ज्ञान और संस्कृति की ज्योति प्रज्वलित करती आ रही है। ऐसी पुण्यभूमि पर एक गंभीर विषय पर आयोजित विमर्श के लिए एकत्र होना हम सभी के लिए गर्व की बात है, जो न केवल आज के युवाओं को दिशा देता है, बल्कि सरकारी पहल और नागरिक समाज को एक साझा मंच पर लाकर नशा विरोधी अभियान को सशक्त बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

शेखावत ने कहा कि हम एक मौन युद्ध के बीच खड़े हैं, यह युद्ध बंदूकों या बारूद से नहीं, बल्कि प्रलोभन, भ्रम और रसायन से लड़ा जा रहा है, जो हमारे युवाओं से उनका स्वास्थ्य, ऊर्जा, भविष्य और उद्देश्य छीन रहे हैं। आज नशा एक व्यक्ति की कमजोरी नहीं, बल्कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट, एक सामाजिक-आर्थिक बोझ और एक आध्यात्मिक पतन का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा शक्ति वाला देश है, लेकिन इसका एक मौन महामारी की चपेट में रहना अत्‍यंत चिंताजनक है। शहरों से गांवों तक, स्कूलों से गलियों तक, हमारे युवा बड़ी संख्या में दवाएं, शराब, तंबाकू और अन्य लतों की गिरफ्त में आ रहे हैं। यह केवल स्वास्थ्य का संकट नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति और सभ्यता पर आक्रमण है, क्योंकि जब युवा गिरते हैं तो भविष्य डगमगाता है। इसलिए हमें सिर्फ इलाज नहीं, जागृति, संकल्प और सामूहिक चेतना की आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज जब हर दिशा में सोशल मीडिया, अभियान, पोस्टर्स का प्रचलन है तो हमें स्मरण करना चाहिए कि भारत संवाद की जननी रहा है। यहां कथाएं थीं, यात्राएं थीं, सभाएं थीं और उत्सवों में शिक्षा थी, संचार सूचना नहीं, प्रेरणा का साधन था। नशे की लत के विरुद्ध लड़ाई आज्ञा से नहीं, जागृति से जीती जाती है। वह जागृति संस्कृति, समुदाय, और संकल्प से आती है। शेखावत ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘‘मुझे 100 ऊर्जावान युवा दो और मैं भारत को बदल दूंगा‘’, आज 100 नहीं, लाखों विवेकानंद चाहिए, क्योंकि परिवर्तन तभी आएगा, जब युवा केवल देखेंगे नहीं, बल्कि आगे बढ़कर बदलाव की दिशा में काम करेंगे।

शेखावत ने कहा कि काशी घोषणा-पत्र इस सांस्कृतिक जागरण को वैचारिक दिशा देगा, जबकि नशा मुक्ति प्रतिज्ञा पोर्टल युवाओं को अपनी प्रतिबद्धता दर्ज करने का अवसर देगा। यह समय है अपनी सोच बदलने का। हमें यह पूछने के बजाय कि “मैं क्या कर सकता हूं?”, यह विश्वास और गर्व के साथ कहना चाहिए “बदलाव मैं ही हूं,” क्योंकि हर बड़ा परिवर्तन, एक छोटे से संकल्प से ही शुरू होता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हर अभियान को एक जन आंदोलन की भांति लोकार्पित करते हैं और युवाओं की उनमें अग्रणी भागीदारी का प्रयास करते हैं। बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी में भी आज इस आयोजन के माध्यम से नशे के खिलाफ एक जन आंदोलन का आगाज हुआ है। यह चिंतन शिविर उसी संकल्प का जीवंत प्रतीक है। यह सिर्फ विचार-विमर्श नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय जागरण है, जहां हमारे युवा नशा मुक्ति के लाभार्थी नहीं, बल्कि इसके नेता बनकर उभरें। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया के सानिध्य में कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

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