(दिव्यराष्ट्र के लिए डॉ. अनुपमा गंगवाल, सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, कोकून हॉस्पिटल)
जयपुर, दिव्यराष्ट्र/
गर्भावस्था महिलाओं के जीवन का ऐसा समय होता है जब उनके शरीर में कई बदलाव आते हैं और शरीर के अलग-अलग अंग इन बदलावों के अनुसार खुद को ढालते हैं। इस समय थायरॉयड ग्रंथि की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। यह ग्रंथि गर्दन के पास होती है और यह शरीर की ऊर्जा, मेटाबॉलिज्म और विकास को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाती है। ये सभी चीजें स्वस्थ गर्भावस्था के लिए बहुत जरूरी हैं।
गर्भावस्था में थायरॉयड की भूमिका
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर को ज्यादा मात्रा में थायरॉयड हार्मोन की जरूरत होती है, खासकर पहले तीन महीनों में, जब बच्चे की थायरॉयड ग्रंथि पूरी तरह विकसित नहीं होती। बच्चे के मस्तिष्क, नर्वस सिस्टम और शारीरिक विकास के लिए यह हार्मोन बेहद जरूरी होता है। अगर शरीर में इसकी थोड़ी सी भी कमी हो जाए तो मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है।
गर्भावस्था में दो प्रकार की थायरॉयड समस्याएं आम होती हैं-
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में दो प्रकार की थायरॉयड समस्याएं आमतौर पर देखी जाती हैं — पहली है हाइपोथायरॉयडिज्म, जिसमें थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में हार्मोन नहीं बना पाती, जिससे शरीर की कार्यप्रणाली धीमी हो जाती है। दूसरी है हाइपरथायरॉयडिज्म, जिसमें थायरॉयड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन बनाती है, जिससे शरीर की गतिविधियां सामान्य से तेज हो जाती हैं। दोनों ही स्थितियां माँ और शिशु दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए इनका समय पर पहचान और इलाज जरूरी है।
महिलाओं को किन लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए
गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं को थकान, मूड में अचानक बदलाव और शरीर के वजन में लगातार बदलाव का अनुभव होता है और इन्हें थायरॉयड से संबंधित लक्षणों से अलग करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। अगर महिलाओं को ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण से पीड़ित हैं, तो उन्हें अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह लेनी चाहिए।
हाइपोथायरॉयडिज्म के लक्षण
इसके लक्षणों में अत्यधिक थकान महसूस होना सबसे आम है। व्यक्ति बिना किसी ज्यादा मेहनत के भी थका-थका महसूस करता है। वजन बिना किसी कारण के बढ़ने लगता है और गर्मी के मौसम में भी ठंड का अहसास होता है। त्वचा रूखी हो जाती है और बाल तेजी से झड़ने लगते हैं। इसके साथ ही अक्सर मन उदास रहता है और डिप्रेशन जैसा महसूस होता है। दिल की धड़कन भी सामान्य से धीमी हो सकती है। ये सभी लक्षण मिलकर शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं और थायरॉइड जांच की आवश्यकता को दर्शाते हैं।
हाइपरथायरॉयडिज्म के लक्षण
इसके लक्षणों में सबसे पहले बिना किसी कोशिश के वजन न बढ़ना या कम हो जाना शामिल है। दिल की धड़कन तेज हो जाती है और व्यक्ति को अक्सर बहुत ज्यादा पसीना आता है। चिंता, घबराहट और बेचैनी की भावना बनी रहती है, जिससे मानसिक तनाव भी बढ़ सकता है। नींद सही से नहीं आती और बार-बार जागने की समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में आंखें उभर कर बाहर की ओर दिखाई देने लगती हैं, जिसे एक गंभीर लक्षण माना जाता है। ये सभी संकेत हाइपरथायरॉयडिज्म की ओर इशारा करते हैं, जिन पर समय रहते ध्यान देना जरूरी है।
जल्दी जांच क्यों जरूरी है
गर्भवती महिलाओं की थायरॉयड जांच नियमित रूप से होनी चाहिए, खासकर जिनके परिवार में थायरॉयड की समस्या रही हो। समय रहते समस्या का पता लगने पर उसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। इसलिए जल्द जांच बहुत जरूरी है।
अनदेखा करने पर खतरा
अगर थायरॉयड की समस्या का इलाज न हो तो मां को हाई ब्लड प्रेशर, खून की कमी, गर्भपात या प्लेसेंटा की समस्या हो सकती है। बच्चे को समय से पहले जन्म, कम वजन, दिमागी विकास में बाधा या मृत जन्म जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
गर्भावस्था एक खास और संवेदनशील समय होता है। थायरॉयड की जांच और देखभाल इस दौरान बेहद जरूरी है। थकान, मूड स्विंग या शरीर में असामान्य बदलाव को सामान्य मानकर नजरअंदाज न करें। समय पर जांच और इलाज से मां और बच्चे दोनों की सेहत सुरक्षित रखी जा सकती है।