भारत विकास परिषद के संस्थापक सूरज प्रकाश जिन्होने सेवा का दीप जलाया

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(दिव्यराष्ट्रके लिए उमेन्द्र दाधीच)

देश में रोगियों असहाय लोगों की सेवा, उपचार के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनी सामाजिक संस्था सेवा भारती जिसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ परिवार का एक महत्वपूर्ण घटक माना जाता है इस संस्थान की स्थापना डॉ.सूरज प्रकाश ने की उनकी जयंती 27जून को मनाई जाती है लेकिन कही कही उनके जन्मदिवस की तारीख 2फरवरी भी मानी जाती है।डॉ. सूरज प्रकाश जी का जन्म 27 जून 1920 को पंजाब के गुरदासपुर जिले के छमाल गांव में हुआ था। उनके पिता राम सरन महाजन एक बीमा कंपनी में कार्यरत थे, और उनका परिवार आर्य समाजी विचारधारा से प्रेरित था। इस आधार पर, उनकी जयंती 27 जून को मनाई जाती है, जैसा कि 2020 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा उनके जन्म शताब्दी समारोह के दौरान भी उल्लेख किया गया था।हालांकि, कुछ स्थानीय शाखाओं या समाचार स्रोतों में उनकी जयंती 2 फरवरी को मनाए जाने का उल्लेख मिलता है। यह भ्रम संभवतः उनकी पुण्यतिथि (2 फरवरी 1991) के साथ मिश्रण के कारण उत्पन्न हुआ है। भारत विकास परिषद के आधिकारिक रिकॉर्ड्स के अनुसार, डॉ. सूरज प्रकाश जी का निधन 2 फरवरी 1991 को उदयपुर में आयोजित अखिल भारतीय सम्मेलन की तैयारियों के दौरान हृदयाघात से हुआ था। इस दिन को उनकी स्मृति में अक्सर स्मरण किया जाता है, और कुछ स्थानों पर इसे उनकी जयंती के रूप में गलत समझ लिया गया हो सकता है।

डॉ. सूरज प्रकाश की जयंती 27 जून को सही मानी गई है, और 2 फरवरी उनकी पुण्यतिथि है। इस लेख में हम उनकी जयंती (27 जून) को आधार मानकर उनके जीवन और योगदान पर चर्चा कर रहे है।।डॉ सूरज प्रकाश का जन्म 27 जून 1920 को पंजाब के गुरदासपुर जिले के छमाल गांव में एक समर्पित और धार्मिक आर्य समाजी परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री राम सरन महाजन और माता श्रीमती मेला देवी ने उन्हें नैतिकता, देशभक्ति, और सेवा के मूल्यों से प्रेरित किया। बचपन से ही वे मेधावी छात्र थे और सहयोगी स्वभाव के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपनी मैट्रिक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और दिल्ली में एफएससी (मेडिकल) में भी अव्वल रहे। दिल्ली प्रशासन द्वारा उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की गई, जिसके बाद वे एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई के लिए लाहौर के किंग एडवर्ड मेडिकल कॉलेज में दाखिल हुए, जहां से उन्होंने 1943 में विशिष्टता के साथ डिग्री प्राप्त की।डॉ. सूरज प्रकाश जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था। एक चिकित्सक के रूप में उनकी विशेषज्ञता के साथ-साथ, वे एक विचारक, संगठनकर्ता, और प्रेरक वक्ता थे। उनका जीवन सामाजिक सेवा, भारतीय संस्कृति के संरक्षण, और राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित रहा। उन्होंने समाज की समस्याओं को गहराई से समझा और यह महसूस किया कि भारत का विकास तभी संभव है जब इसके नागरिक अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहें और सामूहिक शक्ति का उपयोग करें। उनका मूल मंत्र था—”स्वस्थ, समर्थ, और संस्कारित भारत”, जो बाद में भारत विकास परिषद का मिशन बना। *भारत विकास परिषद की स्थापना* भारत विकास परिषद की स्थापना 10 जुलाई 1963 को दिल्ली में हुई थी, और इसके पीछे डॉ. सूरज प्रकाश का वह दृष्टिकोण था, जो भारत को एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में देखना चाहता था। संगठन की नींव स्वामी विवेकानंद के जन्म शताब्दी वर्ष (12 जनवरी 1963) पर रखी गई, जब डॉ. सूरज प्रकाश और लाला हंस राज गुप्ता जैसे समाज सुधारकों ने मिलकर एक सिटिजन्स काउंसिल का गठन किया था, जिसका प्रारंभिक उद्देश्य 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान नागरिकों को संगठित करना था। बाद में इसे भारत विकास परिषद के रूप में पुनर्नामित और पंजीकृत किया गया।संगठन का नाम तीन शब्दों—भारत, विकास, और परिषद—के संयोग से बना है। ‘भारत’ भारतीय संस्कृति, दर्शन, और मूल्यों का प्रतीक है; ‘विकास’ इन मूल्यों के संरक्षण और प्रसार को दर्शाता है; और ‘परिषद’ सामूहिक प्रयासों और सहयोग का प्रतीक है। डॉ. सूरज प्रकाश ने भारत विकास परिषद को एक ऐसा मंच बनाया, जो सामाजिक सेवा, सांस्कृतिक जागरूकता, और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दे। संगठन का लक्ष्य था कि प्रत्येक व्यक्ति में निहित देवत्व को जागृत किया जाए और उसे समाज के उत्थान के लिए उपयोग किया जाए।डॉ. सूरज प्रकाश ने 1963 में पश्चिमी पटेल नगर में 28-30 व्यक्तियों के एक छोटे समूह के सामने अपनी योजना प्रस्तुत की, जिसने संगठन की नींव रखी। बाद में, लाला हंस राज गुप्ता की अध्यक्षता में मासिक बैठकेंदिल्ली के होटल मरीना में होने लगीं। उनकी दूरदर्शिता और अथक प्रयासों से संगठन ने तीन दशकों में राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया।डॉ. सूरज प्रकाश का योगदान का समाज के हर क्षेत्र में प्रभाव पड़ा उनका योगदान केवल भारत विकास परिषद की स्थापना तक सीमित नहीं था। उनके कार्यों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, महिला सशक्तीकरण, और राष्ट्रीय एकता के क्षेत्रों में गहरा प्रभाव छोड़ा।
डॉ. सूरज प्रकाश का मानना था कि शिक्षा समाज की प्रगति का आधार है। उन्होंने परिषद के माध्यम से कई शैक्षिक संस्थानों की स्थापना में सहयोग किया और वंचित बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा कार्यक्रम शुरू किए। उनकी प्रेरणा से शुरू किए गए विकास भारती जैसे प्रकल्प आज भी ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार कर रहे हैं।स्वास्थ्य सेवाएं:
स्वास्थ्य को समाज की प्रगति का महत्वपूर्ण अंग मानते हुए, उन्होंने निशुल्क चिकित्सा शिविरों, रक्तदान शिविरों, और स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों का आयोजन किया। परिषद के अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर, जैसे फरीदाबाद में स्थापित सूरज प्रकाश आरोग्य केंद्र, लाखों लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। राजस्थान के कोटा में भी भारत विकास परिषद द्वारा अस्पताल संचालित किया जाता है।सांस्कृतिक संरक्षण*
भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी गहरी निष्ठा थी। उन्होंने परिषद के माध्यम से संस्कृत समूहगान, लोकगीत प्रतियोगिताएं, और सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू किए, जो युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं। राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता आज देश भर में लोकप्रिय है।
डॉ. सूरज प्रकाश ने महिलाओं की भूमिका को महत्व दिया और परिषद के माध्यम से उनके लिए कई कार्यक्रम शुरू किए। परिषद की महिला शाखाएं आज देश भर में सक्रिय हैं और नेतृत्व प्रदान कर रही हैं।
उनका मानना था कि भारत की विविधता इसकी ताकत है। उन्होंने भारत को जानो प्रतियोगिता शुरू की, जो युवाओं में भारतीय संस्कृति और इतिहास के प्रति जागरूकता बढ़ाती है।भारत विकास परिषद का वर्तमान स्वरूप: डॉ. सूरज प्रकाश की विरासत के रूप में पहचान रखता है।डॉ. सूरज प्रकाश के निधन (2 फरवरी 1991) के बाद भी भारत विकास परिषद् उनकी दृष्टि को आगे बढ़ा रहा है। आज परिषद की देश भर में 1,500 से अधिक शाखाएं हैं और यह विदेशों में भी सक्रिय है। संगठन के प्रमुख प्रकल्पों में विकास भारती,: शिक्षा और ग्रामीण विकास के लिए।स्वास्थ्य सेवाएं, निशुल्क चिकित्सा शिविर और अस्पतालहै। संस्था द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं।

पर्यावरण संरक्षण: वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियान।विकलांग सहायता: कृत्रिम अंग वितरण और पुनर्वासजैसे कार्यक्रम भी किए जाते है । परिषद ने 2007 में डॉ. सूरज प्रकाश की स्मृति में उत्कृष्टता सम्मान योजना शुरू की, जो समाज सेवा में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को सम्मानित करती है। ज्ञान प्रभा पत्रिका के माध्यम से परिषद वैचारिक मंथन और जागरूकता का कार्य कर रहा है। 27 जून को डॉ. सूरज प्रकाश की जयंती के अवसर पर देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 2020 में उनके जन्म शताब्दी समारोह के दौरान, नई दिल्ली में विज्ञान भवन में राष्ट्रीय स्तर पर एक भव्य आयोजन हुआ, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भाग लिया। इस वर्ष (2025) भी, परिषद की विभिन्न शाखाओं में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए इनमें राष्ट्रीय समूह गान प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रमदिल्ली। निशुल्क चिकित्सा शिविर और रक्तदान शिविरमुंबई।

भारत को जानो प्रतियोगिता और वृक्षारोपणलखनऊ महिला सशक्तीकरण पर कार्यशाला और सांस्कृतिक प्रदर्शनबेंगलूर मुख्य है ।इन आयोजनों में स्वयंसेवकों ने डॉ. सूरज प्रकाश के मिशन को आगे बढ़ाने का संकल्पलिया।सूरज प्रकाश जी का मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति में समाज को बदलने की शक्ति है। उनका यह कथन आज भी प्रासंगिक है: “भारत का विकास तब तक अधूरा है, जब तक इसका प्रत्येक नागरिक सशक्त और संस्कारित नहीं हो जाता।” यह संदेश आज के युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है। उनकी प्रेरणा से भारत विकास परिषद आज भी उनके सपनों को साकार करने में लगा है।

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