Home हेल्थ राज्य में अब तक की सबसे बड़ी स्तन गांठ की शल्यक्रिया का...

राज्य में अब तक की सबसे बड़ी स्तन गांठ की शल्यक्रिया का सफलतापूर्वक उपचार

77 views
0
Google search engine

रोगी ऑपरेशन के पश्चात् पूर्ण रूप से स्वस्थ
2 फीट 9 सेमी आकार की स्तन गांठ को निकाला

जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के डॉ. नरेश लेडवानी, डॉ. अरविन्द ठाकुरिया एवं डॉ. पुष्पलता गुप्ता की टीम के द्वारा आगरा निवासी, 40 वर्षीय संध्या शर्मा के स्तन से 2 फीट आकार की गांठ शल्यक्रिया द्वारा निकाली गयी। गांठ के विशाल आकार एवं खून की नसों की अत्यधिक घनत्वता के कारण शल्यक्रिया अत्यन्त जटिल थी। लगभग दो घंटे चली इस प्रक्रिया के उपरान्त रोगी पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं एवं दूसरे दिन से ही स्वयं के सभी कार्य करने में सक्षम हैं।
सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ नरेश लेडवानी ने बताया कि रोगी महिला स्तन की गांठ में दर्द एवं घाव में दुर्गन्ध के कारण हॉस्पिटल में दिखाने आयी थी। स्तन में गांठ, त्वचा में घाव बनाकर बाहर निकली हुई थी एवं मवाद निकलने के साथ ही बार-बार रक्त स्त्राव भी हो रहा था। रोगी की ऐसी स्थिती के कारण, तात्कालिक रूप से अन्य जाँचें करवाकर शल्यक्रिया निर्धारित की गयी। गांठ के बड़े आकार के कारण, शल्यक्रिया के दौरान सबसे बड़ी चुनौती गांठ को फटने से बचाना एवं अत्यधिक रक्तस्त्राव का नियन्त्रण करना था। टीम में मौजूद कुशल सर्जन, निश्चेतना विशेषज्ञ एवं नर्सिंग स्टाफ की वजह से शल्यक्रिया सफलतापूर्वक सम्पादित हुई।
विशेषज्ञ से परामर्श है जरूरी
संध्या शर्मा ने बताया कि 2018 में पहली बार उन्हें बाएं स्तन में गांठ बनी। जिसका गत पांच वर्षों में तीन बार आगरा में ऑपरेशन किया गया। लेकिन गांठ बार-बार बनती गई एवं इस  बार आगरा व दिल्ली में दिखाने के पश्चात जयपुर में भगवान महावीर कैंसर हास्पिटल में दिखाने का निर्णय लिया गया।
स्तन के आकार में परिवर्तन से हो जाये सचेत
सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ अरविन्द ठाकुरिया ने बताया कि महिलाएं हर माह दर्पण के सामने खड़े होकर स्तनों का स्वय परीक्षण करें। इससे स्तन के आकार में परिवर्तन होने या उसमे किसी भी प्रकार की गांठ बनने को पहचाना जा सकता है। इसके साथ ही 35 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं को नियमित रूप से स्तन परीक्षण एवं 40 वर्ष की उम्र के बाद डॉक्टर की सलाह से मैमोग्राफी की जांच जरूर करवानी चाहिए जिससे शरीर में रोग को प्रारंभिक अवस्था में ही पहचाना जा सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here